कोरोना से निपटने में सीएसआइआर का योगदान उल्लेखनीय : डॉ.मांडे
जांच की दवा हो या वैक्सीन कोरोना से निपटने के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएस
जांच की दवा हो या वैक्सीन, कोरोना से निपटने के लिए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की भूमिका उल्लेखनीय रही है। भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) के 55वें वार्षिक दिवस को संबोधित करते हुए यह बात सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ.शेखर सी मांडे ने कही। समारोह का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया।
डॉ. मांडे 24वां सिब्ते हसन जैदी व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में आइआइटीआर की भूमिका उल्लेखनीय रही है। वहीं सीएसआइआर ने महामारी से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए फेलुदा डायग्नोस्टिक किट, फेविपिराविर एंटी वायरल टैबलेट, वेंटिलेटर, आरोग्यपथ एप, वैक्सीन के विकास आदि में योगदान दिया।
आइआइटीआर के निदेशक प्रो.आलोक धावन ने वर्ष 2019-2020 की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि 'उद्योग की सेवा' संस्थान के मूल में प्रारंभ से ही है। संस्थान अब और संगठित तरीके से अत्याधुनिक तकनीक जैसे 3डी ऑर्गन व टिशू प्रिटिग, मशीन लर्निंग तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, कुशल भारत, नमामि गंगे आदि जैसे राष्ट्रीय मिशन कार्यक्रमों में भी योगदान दे रहा है।
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के पूर्व निदेशक डॉ.सीएम गुप्ता ने संस्थान द्वारा विषविज्ञान के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह वास्तव में बहुत अच्छा है कि प्रौद्योगिकी के गहन तरीकों एवं प्रक्रियाओं के वर्तमान समय में आइआइटीआर ने पहले से ही अपने कार्यों में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करने के लिए व्यापक कार्य किया है।
इससे पहले वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. केसी खुल्बे ने अतिथियों का परिचय दिया। मुख्य वैज्ञानिक डॉ.डी परमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।