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निरक्षर ने बंजर पर लिखी सफलता की इबारत, जज्बे से लहलहाने लगी फसल

बहुफसली तकनीकि ने किसान को बनाया रोल मॉडल। मेहनत और जज्बे से बंजर भूमि पर लहलहाने लगी फसल

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 07:21 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 07:21 AM (IST)
निरक्षर ने बंजर पर लिखी सफलता की इबारत, जज्बे से लहलहाने लगी फसल
निरक्षर ने बंजर पर लिखी सफलता की इबारत, जज्बे से लहलहाने लगी फसल

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। छह लोगों का परिवार चलाने के लिए दूसरों के खेत में मजदूर बनने को मजबूर दिनेश जब भी अपनी आधा हेक्टेयर बंजर जमीन देखते, उनका दुख दोगुना हो जाता। नमक जैसी चमकती इस जमीन के किनारे नहर होने के बावजूद फसलों के लिए मिठास नहीं थी। निरक्षर किसान आखिर बंजर जमीन पर जिंदगी की इबारत लिखता भी तो कैसे? दंपती और चार बच्चों की गुजर बसर इसी कश्मकश के बीच हो रही थी। एक दिन दिनेश को किसी ने बताया कि तुम्हारी जमीन पर कुछ सरकारी लोग आए हैं। मोहनलालगंज के पटवाखेड़ा निवासी दिनेश खेत पर पहुंचे तो पता चला कि केंद्रीय लवणता अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम ऊसर सुधार के लिए आई है। उसके बाद से दिनेश ने मुड़कर नहीं देखा। अब दिनेश युवा कृषि वैज्ञानिकों के रोल मॉडल बन गए हैं। उनके खेतों पर वैज्ञानिक न केवल शोध करते हैं, बल्कि अनपढ़ दिनेश तकनीकि के इस्तेमाल की बारीकियां भी सीखते हैं।

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बदल गई तस्वीर

यह कहानी है पांच साल पहले की। दिनेश ने वैज्ञानिकों की सलाह मानी और केंद्र की ओर से मदद की गई। दिनेश मजदूरों के साथ खुद ही फावड़ा कुदाल लेकर जुटे रहते। पहले बंजर जमीन में तालाब खोदा गया और उसकी मिट्टी से तालाब को चारों ओर से ऊंचा किया गया। तालाब से निकली मिट्टी को खेत के ऊपर तक फैला दिया गया। इस पर सब्जियों की खेती होने लगी। दिनेश अब न केवल बंजर भूमि पर फसल उगाते हैं, बल्कि तालाब में मछली पालन कर अतिरिक्त कमाई भी करते हैं।

सौ हेक्टेयर जमीन ऊसर, 300 प्रभावित

नहर किनारे पानी का रिसाव होता है जिससे धीरे जमीन दलदल हो जाती है। कुछ वर्षों में वह ऊसर का रूप ले लेती है। ऐसी करीब दो लाख हेक्टेयर जमीन प्रदेश में पड़ी हुई है। समन्वित कृषि प्रणाली ऐसी जमीन को उपजाऊ बनाकर किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है। दिनेश के गांव पटवा खेड़ा की बात करें तो यहां ऐसी 100 हेक्टेयर जमीन है जिस पर किसान मेहनत करके फसल ले सकते हैं। 

समन्वित कृषि प्रणाली से होगा सुधार

दिनेश द्वारा किया गया प्रयास को यदि विज्ञान के नजरिये से देखें तो यह विधि समन्वित कृषि प्रणाली का हिस्सा है। क्षारीय जमीन के उपजाऊ पोषक तत्व जब जिप्सम से ठीक नहीं होते हैं तो सह प्रणाली कारगर होती है। ऊपर की मिट्टी को खोदकर नीचे कर दिया जाता है। खोदाई से बना गड्ढा मछली पालन के काम आता और ऊपरी सतह की मिट्टी बंधा बनाने के काम आती है।

क्या कहते हैं किसान ? 

किसान दिनेश कुमार बताते हैं कि बंजर जमीन के चलते कुछ भी पैदा नहीं होता था, लेकिन कम जमीन में अधिक उत्पादन और ऊसर बंजर जमीन में फसल उगाने की तकनीकि ने मेरी जिंदगी बदल दी।

क्या कहते हैं केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र अध्यक्ष ?

लखनऊ केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान केंद्र अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार मिश्रा के मुताबिक, इस तकनीकि से नहर के किनारे बेकार पड़ी जमीन पर फसल उगाई जा सकती है। प्रदेश में ऐसी करीब दो लाख हेक्टेयर भूमि है, जिस पर कुछ नहीं पैदा होता।


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