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फसल अवशेष प्रबंधन योजना : यूपी में चार वर्षों में आधी हुईं पराली जलाने की घटनाएं, 35,550 किसानों को मिला लाभ

Crop Residue Management Scheme कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत केंद्र से मिली धनराशि का सदुपयोग करते हुए इस योजना को उत्तर प्रदेश में गंभीरता से लागू किया गया है। इसी का परिणाम है कि पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं।

By Rajeev DixitEdited By: Umesh TiwariPublished: Thu, 29 Sep 2022 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 05:04 PM (IST)
फसल अवशेष प्रबंधन योजना : यूपी में चार वर्षों में आधी हुईं पराली जलाने की घटनाएं, 35,550 किसानों को मिला लाभ
UP News: अब तक 6227 कृषकों व 1100 मशीनरी बैंक के लिए हुआ पंजीकरण।

UP News: लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई फसल अवशेष प्रबंधन योजना पर सख्ती से अमल का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में धान की पराली जलाने की घटनाओं में वर्ष 2017 से 2021 तक 51.71 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं उत्तर प्रदेश के दायरे में आने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में ऐसी घटनाओं में 48.78 प्रतिशत की कमी आई है।

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पराली जलाने के कारण जाड़े के मौसम में दिल्ली और आसपास के इलाकों पर छाने वाली जहरीली धुंध से निजात पाने के लिए 2018-19 में लागू हुई फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को शत-प्रतिशत धनराशि उपलब्ध कराती है। पराली को काटकर खेत में ही उसका निस्तारण करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से चिन्हित किये गए 14 प्रकार के यंत्रों को खरीदने पर राज्य सरकार उनके मूल्य की 50 प्रतिशत धनराशि किसानों को अनुदान के तौर पर देती है।

मशीनों की खरीददारी पर 80 प्रतिशत अनुदान

फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत कृषक उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों, गन्ना समितियों और पंचायतों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना का भी प्राविधान है जो इन यंत्रों को गरीब किसानों को किराये पर उपलब्ध कराती हैं। फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए 15 लाख रुपये तक की मशीनों की खरीददारी पर सरकार 80 प्रतिशत अनुदान देती है।

35,550 किसानों को मिला अनुदान

राज्य सरकार वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक 35,550 किसानों और 7412 फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए अनुदान दे चुकी है। वर्ष 2022-23 के लिए अगस्त में केंद्र से मिले 154.29 करोड़ रुपये से अब तक पंजीकृत 6227 किसानों को यंत्र खरीदने व पंजीकृत 1100 फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए धनराशि दी जाएगी।

पराली जलाने के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक

किसानों को विभिन्न माध्यमों से पराली जलाने के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। इसके अलावा फसल को खेत में सड़ाकर उससे खाद तैयार करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर रसायन भी 15 लाख किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

पराली दो, खाद लो

पराली के सदुपयोग के लिए राज्य सरकार की ओर से पिछले वर्ष 'पराली दो, खाद लो' योजना चालू की गई। इसके तहत किसान गो आश्रय स्थलों को पराली देकर उसके बदले वहां से गोबर की खाद ले सकते हैं। किसानों ने 5000 टन पराली गौशालाओं को देकर खाद ली है।

जुर्माने का भी असर

दो एकड़ खेत पर पराली जलाने पर 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ पर 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक पर 15000 रुपये जुर्माने का प्राविधान है। जुर्माना से बचने के लिए भी अब पराली जलाने के मामले घटे हैं।

यूपी में योजना को गंभीरता से लागू किया गया

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत केंद्र से मिली धनराशि का सदुपयोग करते हुए इस योजना को उत्तर प्रदेश में गंभीरता से लागू किया गया है। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं।

प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं

वर्ष - उत्तर प्रदेश - एनसीआर

  • 2017 - 8784 - 492
  • 2018 - 6623 - 208
  • 2019 - 4230 - 204
  • 2020 - 4659 - 372
  • 2021 - 4242 - 252

वर्ष - केंद्र से मिली धनराशि - खर्च (करोड़ रु.)

  • 2018-19 - 148.6 - 137
  • 2019-20 - 147.83 - 94
  • 2020-21 - 142.61 - 136.67
  • 2021-22 - 165.53 - 165.53

वर्ष - लाभार्थी किसान - फार्म मशीनरी बैंक

  • 2018-19 - 16406 - 2300
  • 2019-20 - 2104 - 1550
  • 2020-21 - 8695 - 1652
  • 2021-22 - 8345 - 1910

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