10 लाख ओबीसी छात्रों की शुल्क प्रतिपूर्ति पर संकट, विभाग ने 900 करोड़ रुपये और मांगे
पिछड़ा वर्ग के करीब 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति पर संकट के बादल छा गए हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के पास बजट खत्म हो गया है।
लखनऊ, जेएनएन। पिछड़ा वर्ग के करीब 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति पर संकट के बादल छा गए हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में विभाग के पास बजट खत्म हो गया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण ने बचे हुए छात्र-छात्राओं को योजना का लाभ देने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 900 करोड़ रुपये और मांग की है।
वर्ष 2019-20 में अन्य पिछड़ा वर्ग के करीब 22 लाख छात्र-छात्राओं ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया था। विभाग के पास शुल्क प्रतिपूर्ति के मद में केवल 600 करोड़ रुपये का बजट था, इससे करीब 12 लाख छात्र-छात्राओं की ही शुल्क प्रतिपूर्ति की जा सकी है। ऐसे में 10 लाख छात्र-छात्राएं शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बचे हैं। छात्रवृत्ति योजना में 609 करोड़ रुपये का बजट था इससे 20 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिली है। इसमें भी दो लाख छात्र रह गए हैं।
स्थिति यह है कि सामान्य वर्ग के जितने भी छात्र-छात्राओं के आवेदन वैध मिले थे उन सभी को योजना का लाभ मिल गया है। वहीं, पिछड़ा वर्ग में 66 फीसद अंकों से पास होने वाले छात्रों की भी शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं हो सकी है। इससे ओबीसी छात्रों में नाराजगी है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने सभी छात्रों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देने के लिए करीब 900 करोड़ रुपये की मांग की है। इतनी धनराशि वर्तमान वित्तीय वर्ष में मिलना मुश्किल है। सूत्रों के अनुसार वित्त विभाग से करीब 200 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इतनी धनराशि से डेढ़ से दो लाख छात्रों को ही योजना का लाभ मिल पाएगा।
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जितना बजट उन्हें मिला था उससे मेरिट के आधार पर छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति कर दी गई है। बचे हुए छात्र-छात्राओं के लिए अतिरिक्त बजट की मांग की गई है, जैसे ही यह मिल जाएगा छात्र-छात्राओं को शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दे दिया जाएगा।