UP Panchayat Chunav Result 2021: आठ हजार पंचायतों के गठन का संकट, जानें- क्यों आई यह समस्या
UP Panchayat Chunav Result 2021 यूपी में पंचायत चुनाव में मतगणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी राज्य की करीब आठ हजार ग्राम पंचायतों के गठन का संकट बन गया है। इन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई निर्वाचित सदस्यों की संख्या पूरी न होने से दोबारा चुनाव प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में मतगणना प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी राज्य की करीब आठ हजार ग्राम पंचायतों के गठन का संकट बन गया है। इन ग्राम पंचायतों में दो तिहाई निर्वाचित सदस्यों की संख्या पूरी न होने से दोबारा चुनाव प्रक्रिया अपनाई जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग को पंचायतों का गठन कराने के लिए छह महीने में चुनाव कराना होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के विशेष कार्याधिकारी एसके सिंह ने बताया कि प्रदेश की 58,176 ग्राम पंचायतों के 7,32,485 वार्डों में वार्ड सदस्य के लिए चयन हुआ। इनमें से 3,17,127 वार्डों में सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए है जबकि 4,15,358 वार्डों के लिए 4,38,277 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार करीब आठ हजार ऐसी ग्राम पंचायतें रहीं जहां सदस्यों की संख्या दो तिहाई से कम है। एसके सिंह ने बताया कि पंचायतीराज विभाग से ग्राम पंचायतों के गठन के बारे में सूचना मांगी जाएगी। सूचना मिलने के बाद सदस्य संख्या पूरी करने के लिए चुनाव कराया जाएगा।
पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी प्रमुख दल बनकर उभरे हैं। वर्ष 2015-16 में 62 जिला पंचायत बोर्डों काबिज होने वाली समाजवादी पार्टी का दावा है कि पिछले चुनावों में करीब 1500 सदस्य विजयी हुए थे। इस बार लगभग एक हजार जीते हैं, जिसमें सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल हैं। दूसरी ओर वर्ष 2015-16 में मात्र पांच जिला पंचायत बोर्डों में सिमटी भारतीय जनता पार्टी इस बार 981 सदस्य जीतने को लेकर उत्साहित है। नेताओं का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए भाजपा का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में निर्दल और छोटे दल पंचायतों में शुचिता लाने के लिए लगातार संपर्क में हैं।
बसपा ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाया : पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भले ही अपेक्षित प्रदर्शन न कर पायी हो परंतु मुकाबलों को तिकोना बनाने में कामयााब रही। चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की स्थिति कमोबेश वर्ष 2015-16 जैसी रहीं है। बसपाइयों का दावा 400 से ज्यादा सदस्य जीतने का हैं परंतु एक दो जिलों को छोड़कर उनकी संख्या कही भी मुख्य लड़ाई में आने लायक नहीं है। आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता वापसी का जतन कर रही बसपा के लिए समाजवादी चक्रव्यूह तोड़ना पहली परीक्षा है। सपा बढ़ेगी तो बसपा का मुख्य मुकाबले में बने रहना आसान नहीं होगी। ऐसे में बसपा के रुख पर निगाहें लगी है। वहीं, कांग्रेस ने भी 270 जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवारों के जीतने का दावा करते हुए परिणाम को संतोषजनक बताया है।