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'उस्ताद' ने पूरे गांव को बना दिया साइबर अपराधी, बिहार-झारखंड की सीमा पर जंगल से घिरा है प्रमोद का गांव

झारखंड के दुमका जिले में सरैया घाट के पास एक गांव है सलजोर बंदरी। जंगल से घिरा यह गांव बिहार प्रांत के बांका जिला के बार्डर पर है। झारखंड और बिहार सीमा पर स्थित इस गांव में अब हर कोई करोड़पति है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 06:03 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 07:58 AM (IST)
'उस्ताद' ने पूरे गांव को बना दिया साइबर अपराधी, बिहार-झारखंड की सीमा पर जंगल से घिरा है प्रमोद का गांव
महज छह हजार रुपये के वेतन में देवघर में बच्चों को पढ़ाने वाला प्रमोद करोड़पति है।

लखनऊ, [ज्ञान बिहारी मिश्र]। साइबर अपराध के जरिए कई राज्यों की पुलिस के नाम में दम कर देने वाले प्रमोद मंडल ने अपने पूरे गांव को साइबर अपराधी बना दिया। महज छह हजार रुपये के वेतन में देवघर में बच्चों को पढ़ाने वाला प्रमोद करोड़पति है। लोगों की गाढ़ी कमाई लूटकर उसने गांव में कोठियां बना दीं। यही नहीं, उस्ताद बनकर गांव के लड़कों के लिए ठगी की पाठशाला शुरू कर दी। नतीजा नौकरी छोड़कर गांव के युवा जालसाजी की दुनिया में पैर जमाने लगे।

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झारखंड के दुमका जिले में सरैया घाट के पास एक गांव है सलजोर बंदरी। जंगल से घिरा यह गांव बिहार प्रांत के बांका जिला के बार्डर पर है। झारखंड और बिहार सीमा पर स्थित इस गांव में अब हर कोई करोड़पति है। बताते हैं कि प्रमोद मंडल के पास जब अचानक से रुपये आने शुरू हुए तो गांव वाले हैरान हो गए। शुरू में प्रमोद अकेले ही ठगी की घटनाओं को अंजाम देता था। गांव में जब लोगों ने उससे पूछा तो उसने अपने कुछ करीबियों को साथ मिला लिया। इसके बाद गांव के अन्य लड़के भी जुडऩे लगे। प्रमोद ने ज्यादा से ज्यादा रकम हड़पने के लिए गांव के लड़कों व अपने भाइयों को प्रशिक्षण देना शुुरू कर दिया।

जुटने लगे युवा तो ठगी सिखाने को लेने लगा शुल्क : साइबर सेल लखनऊ की टीम ने जब उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि जो लड़के फोन पर बात करने में बेहतर नहीं थे, उन्हें गांव के आसपास निगरानी के लिए लगाया था ताकि पुलिस के आने पर उन्हें सूचित कर दें। कुछ लड़कों को उसने मजदूरों का आधार कार्ड लेकर फर्जी खाता खुलवाने का काम दिया। धीरे-धीरे आसपास के गांव के लड़के भी प्रमोद से जुडऩे लगे तो उसने ठगी का तरीका सिखाने के लिए शुल्क लेना शुरू कर दिया।

पकडऩे जाती थी पुलिस तो भागकर चले जाते थे बिहार : प्रशिक्षण लेने के बाद वहां के लड़कों ने अपना अलग गिरोह तैयार कर लिया। जामताड़ा का नाम जब सामने आया तो प्रमोद ठिकाने बदलकर रहने लगा। खास बात यह है कि जब भी झारखंड पुलिस ठगों को पकडऩे जाती थी तो सभी बिहार में छिप जाते थे। भले ही प्रमोद अपने दो भाइयों व पिता के साथ लखनऊ जेल में बंद है, लेकिन उसके चेले अभी भी लोगों के खातों में सेंधमारी कर रहे हैं। साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस को व्यापक स्तर पर अभियान चलाने की दरकार है।


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