COVID-19 TAX: महंगी होगी शराब, शराब पर कोविड-19 शुल्क लगा सकती है Yogi सरकार
COVID-19 TAX योगी आदित्यनाथ सरकार भी दिल्ली की तरह यहां भी शराब पर विशेष कोरोना शुल्क लगा सकती है। जिससे शराब के दाम बढ़ना तय है।
लखनऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लम्बे समय तक लॉकडाउन के मद्देनजर लॉकडाउन के चलते राज्य सरकार की कमाई को तगड़ा झटका लगा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार भी दिल्ली की तरह यहां भी शराब पर विशेष कोरोना शुल्क लगा सकती है। जिससे शराब के दाम बढ़ना तय है।
इससे पहले भी जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने शराब की कीमतों में इजाफा किया था। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में आबकारी राजस्व का लक्ष्य 31,600 करोड़ रुपये निर्धारित किया है। माना जा रहा है कि शराब पर कोविड शुल्क लगाकर प्रदेश सरकार राजस्व बढाएगी।
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन में भी शर्तों के साथ प्रदेश में शराब की बिक्री सोमवार से शुरू की गई है। पहले ही दिन दुकानों पर भारी भीड़ उमडऩे से लॉकडाउन का तो उल्लंघन हुआ, लेकिन सरकार को काफी राजस्व भी मिला। इसकी को देखते हुए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए प्रदेश सरकार अब शराब के साथ पेट्रोल-डीजल पर भी जल्द टैक्स बढ़ाने की तैयारी में है।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण बीते 24 मार्च से लॉकडाउन से सरकार को अप्रैल में उम्मीद से बेहद कम वाॢषक लक्ष्य का मात्र 1.2 फीसद कर राजस्व ही मिला है। सूत्रों के मुताबिक राजस्व में भारी कमी को देखते हुए राज्य सरकार, शराब की दुकानें खोलने के साथ ही शराब पर अतिरिक्त कोरोना शुल्क लगाने की तैयारी में है। कोरोना शुल्क से शराब डेढ़ गुने से अधिक महंगी हो सकती है। सरकार का मानना है कि शराब महंगी करने का उसे विरोध भी नहीं झेलना पड़ेगा और कमाई भी बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शराब से 37500 करोड़ रुपये की कमाई का सालाना लक्ष्य तय कर रखा है।
दूसरी तरह, पड़ोसी राज्यों की तुलना में पेट्रोल-डीजल की दरें प्रदेश में कम होने के कारण सरकार यहां भी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी में भी है। तीन से पांच रुपये लीटर तक तेल महंगा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि एक रूपये लीटर पेट्रोल-डीजल महंगा होने पर सरकार का सालाना राजस्व 1600 करोड़ रुपये बढ़ जाता है। इसमें सिर्फ डीजल से ही 1130 करोड़ रुपये बढ़ते हैं।
शराब व पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाने के संबंध में वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना का कहना है कि वित्तीय वर्ष में कर राजस्व से 166021 करोड़ की आय का लक्ष्य है लेकिन पहले महीने में मात्र 2012.66 करोड़ रुपये ही आए हैं। राजस्व में भारी कमी को देखते हुए सरकार अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वित्तीय संकट होने के बावजूद समय से सभी को वेतन-पेंशन दिया गया है। वेतन-पेंशन देने के लिए ही प्रतिमाह 12500 करोड़ रुपये चाहिए होते हैं।
जनवरी में किया था इजाफा
इससे पहले भी जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में शराब की कीमतों में इजाफा किया था। उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति 2020-21 के प्रतिपादित प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में अनुमोदन था। वित्तीय वर्ष 2020-21 की आबकारी नीति के तहत देसी मदिरा, बीयर और विदेशी मदिरा के बेसिक लाइसेंस फीस में क्रमश: दस, 15 व 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके साथ ही तय किया गया था कि पूरे प्रदेश में शराब की दुकानों का नवीनीकरण पूरी तरह से ऑनलाइन होगा और उन्हेंं एक साथ ऑनलाइन किया जाएगा। इस अलावा एक शख्स एक जनपद में सिर्फ दो दुकानों के लिए लाइसेंस रख पाएगा। इसमें भी ब्रांड और लेबल अप्रूवल सिर्फ सिंगल स्टेज पर होगा। ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन जरूरी किया गया था। माइक्रो ब्रेवरी में एक्साइज ड्यूटी कम करने के साथ बीयर शॉप पर वाइन की बिक्री भी की मंजूरी मिली थी।