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राज्यपाल के अभिभाषण में संशोधन को लेकर घिरी योगी सरकार

राज्यपाल के अभिभाषण में किसानों की कर्जमाफी में लिपिकीय त्रुटि में संशोधन की मांग को विपक्षी सदस्यों द्वारा खारिज किए जाने के बाद कशमकश हो गई।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 02:45 PM (IST)
राज्यपाल के अभिभाषण में संशोधन को लेकर घिरी योगी सरकार
राज्यपाल के अभिभाषण में संशोधन को लेकर घिरी योगी सरकार

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राज्यपाल के अभिभाषण में संशोधन को लेकर योगी सरकार घिर गई है। सत्तापक्ष द्वारा गुरुवार को विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण में किसानों की कर्जमाफी में लिपिकीय त्रुटि में संशोधन की मांग को विपक्षी सदस्यों द्वारा खारिज किए जाने के बाद कशमकश हो गई। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने यह व्यवस्था दी कि विधिक राय लेने के बाद सरकार शुक्रवार को दोबारा संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत करे।

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विधानसभा सत्र के दौरान गुरुवार की शाम संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने संशोधन प्रस्ताव रखते हुए कहा कि कैबिनेट ने चार अप्रैल को यह फैसला किया था कि 31 मार्च 2016 तक लघु और सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के फसली ऋण सरकार माफ करेगी लेकिन, राज्यपाल के अभिभाषण में यह तारीख 31 दिसंबर, 2016 तक छप गई और लघु एवं सीमांत शब्द छूट गया।

वह लघु और सीमांत शब्द जोड़ने तथा तारीख बदलने के लिए संशोधन पर बल दे रहे थे। इस पर नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने आपत्ति की। चौधरी का कहना था कि बुधवार को ही वह सदन को बताएं कि राज्यपाल का अभिभाषण संवैधानिक नहीं है लेकिन, किसी ने सुनी नहीं। चौधरी का कहना था कि संशोधन प्रस्ताव लाने का अधिकार संसदीय मंत्री को नहीं है और इससे गलत परंपरा पड़ेगी।

चौधरी ने अभिभाषण की अशुद्धि दूर करने की प्रक्रिया बताई। लोकसभा का दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए कहा कि अशुद्धि होने पर संबंधित मंत्रलय पहले राष्ट्रपति का ध्यान उस ओर दिलाता है और इसके बाद राष्ट्रपति सदन को सूचित करते हैं। चौधरी ने सुझाव दिया कि पहले राज्यपाल को इस अशुद्धि के बारे में सूचित किया जाए और वह संबंधित मंत्री को निर्देशित करें तो उसके बाद कल आप इसे सदन में प्रस्तुत कर सकते हैं।

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बसपा विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा का कहना था कि कोई और संशोधन प्रस्तुत नहीं किए जा सकते हैं बल्कि मूल तथ्य में सिर्फ शब्द जोड़े जा सकते हैं। अगर कोई दिक्कत है तो विधि विशेषज्ञों की राय लेकर इसे प्रस्तुत कर सकते हैं।

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