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Coronavirus Effect : चर्चा में है एक ऐसा गांव जिसने दिए कई रत्न, अब लोग उड़ा रहे मजाक

सीतापुर के कोरौना गांव ने दिए कई न्यायिक और पुलिस अधिकारी। चौरासी कोसी परिक्रमा का भी पहला पड़ाव है यह गांव।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 31 Mar 2020 06:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 03:53 PM (IST)
Coronavirus Effect : चर्चा में है एक ऐसा गांव जिसने दिए कई रत्न, अब लोग उड़ा रहे मजाक
Coronavirus Effect : चर्चा में है एक ऐसा गांव जिसने दिए कई रत्न, अब लोग उड़ा रहे मजाक

सीतापुर, जेएनएन। Corouna village कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच सीतापुर की मिश्रिख तहसील का 'कोरौना' गांव अचानक बड़ी तेजी से चर्चा में आ गया है। वायरस से मिलते-जुलते नाम के कारण जहां गांव के बारे में पता करने को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ गई है, वहीं सोशल मीडिया पर लोग गांव का मजाक भी बना रहे हैं। कोरौना गांव के निवासी इससे खासे नाराज है। वे कहते हैं, गांव ने कई बड़े अफसर दिए हैं। यही नहीं, नैमिषारण्य की चौरासी कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव भी इसी गांव में है। इसी वजह से देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं।

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लखनऊ हाईकोर्ट के वकील प्रणव त्रिवेदी का कहना है कि गांव का मजाक उड़ाना कतई सही नहीं है। इस गांव से जुड़ी तमाम पौराणिक गाथाएं हैं। राजीव कुमार ङ्क्षसह का कहना है कि हमारा गांव कोरौना पूरे जिले में प्रतिष्ठित है। सोशल मीडिया पर मैंने भी लोगों को इसे कोरोना से जोड़कर मजाक उड़ाते देखा है, लेकिन हकीकत में इसके चलते अब तक कहीं कोई दिक्कत नहीं झेलनी पड़ी। फोन पर भी कभी किसी ने कोई ऐसी बात मुझसे नहीं की। उन्होंने कहा कि हमारा गांव जागरूक है। हम सब लॉकडाउन का भी पूरी तरह पालन कर रहे हैं।

पौराणिक नाम है कारंडव वन

पहले यह गांव कारंडव वन के नाम से प्रचलित था। नैमिषारण्य से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की आबादी लगभग चार हजार है। गांव के दक्षिण में द्वारिकाधीश मंदिर है और सामने प्राचीन तीर्थ है। मंदिर के पड़ोस में तालाब है। इसे अहिल्या के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि, इस तालाब की स्थापना देवताओं ने की थी।

ऐसे बन गया कोरौना

पूर्व प्रधान पद्ममंगल त्रिवेदी बताते हैं कि कारंडव वन नाम का अपभ्रंश हो गया। धीरे-धीरे बोलचाल में ही यह कारंडव वन से कोरौना बन गया।

ये रहे गांव की शान

स्वर्गीय रामकृष्ण त्रिवेदी पश्चिम बंगाल में पुलिस महानिदेशक विजिलेंस, स्वर्गीय गोङ्क्षवद कृष्ण त्रिवेदी जिला जज, स्वर्गीय जयशंकर त्रिवेदी हाईकोर्ट इलाहाबाद बेंच जज, स्वर्गीय डॉ.ज्ञानवती त्रिवेदी काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय में ङ्क्षहदी विभागाध्यक्ष और स्वर्गीय शिव शंकर त्रिवेदी उप्र संस्कृत अकादमी में कार्यकारी पार्षद रहे। इसके अलावा हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के रिटायर्ड जज डीके त्रिवेदी भी इसी गांव के हैं। वह बिहार में सवर्ण आयोग के चेयरमैन भी रहे। इसी गांव के राजीव कुमार ङ्क्षसह की बेटी निवेदिता ङ्क्षसह वर्तमान में रामपुर जिले में जिला अल्प बचत अधिकारी हैं।

पूर्व प्रधान पद्ममंगल त्रिवेदी कहते हैं, कोरौना पौराणिक गांव है। स्कंद पुराण के विष्णु खंड में भी इसका वर्णन है। गांव के कई लोग बड़े पदों पर पहुंचे हैं। वर्तमान में गांव के बारे में गलत बातें प्रसारित की जा रहीं हैं। किसी के मजाक का मतलब यह नहीं है कि यहां आने से लोग घबराने लगें।


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