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Coronavirus: सामुदायिक रसोइघरों में बदले मिड-डे मील पकाने वाले अक्षयपात्र फाउंडेशन के मेगा किचन

Coronavirus यूपी में सभी स्कूल बंद हैं लेकिन लखनऊ और मथुरा में बच्चों के लिए मिड-डे मील पकाने वाले अक्षयपात्र फाउंडेशन के मेगा किचन में खाना बनाने की गतिविधियां जारी हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 12 Apr 2020 06:35 PM (IST)Updated: Sun, 12 Apr 2020 06:36 PM (IST)
Coronavirus: सामुदायिक रसोइघरों में बदले मिड-डे मील पकाने वाले अक्षयपात्र फाउंडेशन के मेगा किचन
Coronavirus: सामुदायिक रसोइघरों में बदले मिड-डे मील पकाने वाले अक्षयपात्र फाउंडेशन के मेगा किचन

लखनऊ, जेएनएन। Coronavirus : कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण उत्तर प्रदेश में सभी स्कूल बंद हैं, लेकिन राजधानी लखनऊ और मथुरा में स्कूली बच्चों के लिए मिड-डे मील पकाने वाले अक्षयपात्र फाउंडेशन के मेगा किचन में खाना बनाने की गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं। लॉकडाउन से प्रभावित गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए इन अत्याधुनिक रसोईघरों में दाल-चावल, रोटी-सब्जी, खिचड़ी या तहरी-अचार, छोले-चावल, राजमा-चावल जैसे सुस्वादु व्यंजन तैयार कर वाहनों के माध्यम से लखनऊ, मथुरा और नोएडा के विभिन्न क्षेत्रों में जरूरतमंदों को बांटने के लिए भेजे जा रहे हैं।

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अक्षयपात्र फाउंडेशन देश के 12 राज्यों के 48 जिलों के 19 लाख बच्चों को रोज मिड-डे मील सुलभ कराता है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले में रोजाना 97,366 और मथुरा के 1.16 लाख बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराता है। पिछले वर्ष से गोरखपुर के 9600 बच्चों के लिए भी मध्याह्न भोजन मुहैया करा रहा है। अक्षयपात्र फाउंडेशन के यूपी और दिल्ली के रीजनल प्रेसिडेंट भरत दास बताते हैं कि लॉकडाउन होते ही मजदूरों में भूख का संकट शुरू हो गया। ऐसे में हम लोगों ने सोचा कि क्यों न संकट की इस घड़ी में जरूरतमंदों के लिए भोजन तैयार करें।

भरत दास बताते हैं कि शुरू में तो कुछ साथी संक्रमण को लेकर आशंकित थे, लेकिन फिर हमने बेसिक शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के जरिये लखनऊ और मथुरा के जिला प्रशासन से संपर्क किया। दोनों को एक-दूसरे की जरूरत थी और दोनों जिलों के प्रशासन ने हमारे प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया। हमने खुद कभी नहीं सोचा था कि दुनिया में मिड डे मील का सबसे बड़ा गैर-लाभकारी प्रोग्राम चलाने वाले मेगा किचन इस वैश्विक महामारी में कम्युनिटी किचन के रूप में अपनी उपयोगिता इस कदर साबित करेंगे।

फाउंडेशन ने अपने वृंदावन किचन के माध्यम से मथुरा और नोएडा में 28 मार्च और लखनऊ किचन के जरिये 30 मार्च से जरूरतमंदों के लिए भोजन सुलभ कराना शुरू किया। मथुरा में फाउंडेशन की ओर से रोजाना औसतन 8500 और लखनऊ में 15 से 20 हजार लोगों के लिए खाना तैयार कराया जाता है। नगर निगम के अधिकारी फाउंडेशन को एक दिन पहले बता देते हैं कि किन क्षेत्रों में कितने लोगों के लिए उन्हें भोजन की आवश्यकता होगी। फाउंडेशन उसी हिसाब से खाना तैयार कर वाहनों से उसे क्षेत्रों में भेज देता है।

प्रति व्यक्ति को भोजन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन एक निश्चित दर से फाउंडेशन को भुगतान करता है। नगर निगम और जिला प्रशासन के सहयोग से जरूरतमंदों को गर्मागर्म खाना बांटा जाता है। भरत दास के मुताबिक अक्षयपात्र फाउंडेशन अब तक लखनऊ, मथुरा, नोएडा, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, मैसूर, बेल्लारी, हुबली, अहमदाबाद, भावनगर, सिलवासा, पुणे, ठाणे और दिल्ली में 33.52 लाख लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करा चुका है।

खाद्य सामग्री के पैकेट का भी वितरण

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनके परिवार की ओर से दानस्वरूप मिली धनराशि से अक्षयपात्र फाउंडेशन गरीबों को खाद्य सामग्री के पैकेट भी मुहैया करा रहा है। प्रत्येक पैकेट में पांच किलो आटा, एक किलो चने की दाल, दो किलो चावल, आधा किलो देसी चना, एक किलो नमक, एक लीटर सरसों का तेल, 200 ग्राम गरम मसाला, 200 ग्राम सब्जी मसाला, 100 ग्राम मिर्च पाउडर, 100 ग्राम हल्दी पाउडर, 200 ग्राम धनिया पाउडर और आधा किलो चीनी होती है। फाउंडेशन की ओर से लखनऊ में खाद्य सामग्री के 20 हजार, मथुरा में 10 हजार, नोएडा में 15 हजार और गोरखपुर में 2500 पैकेट बांटे जाएंगे। फाउंडेशन की ओर से विभिन्न प्रदेशों में अब तक 1.64 लाख जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री के पैकेट बांटे जा चुके हैं।


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