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Coronavirus: सावधान! अब वायरस के करवट लेने का वक्त, लोकल ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ा

कोरोना के अब करवट लेने का वक्त है। ऐसे में तय गाइड लाइन सुझावों का पालन करें। बेवजह भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 06:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 12:26 PM (IST)
Coronavirus: सावधान! अब वायरस के करवट लेने का वक्त, लोकल ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ा
Coronavirus: सावधान! अब वायरस के करवट लेने का वक्त, लोकल ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ा

लखनऊ, जेएनएन। Coronavirus: सावधान! कोरोना के अब करवट लेने का वक्त है। ऐसे में तय गाइड लाइन, सुझावों का पालन करें। बेवजह भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। खुद को सुरक्षित करने पर फोकस करें। विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रैवल-कॉन्ट्रेक्ट हिस्ट्री के साथ अब लोकल ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ गया है। 

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केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कोरोना वायरस को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा कि फस्र्ट फेज के बाद बीमारी के तीन और चरण बाकी हैं। ऐसे में भविष्य के खतरे को टालने के लिए वायरस प्रसार के द्वितीय चरण पर काबू पाना होगा। इसके नियंत्रण के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है। कॉलेज, स्कूल, सिनेमा हॉल, जिम समेत भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पाबंदी लगा रही है। इसके साथ ही जनमानस को भी सजग होना होगा। कारण, सेकेंड फेज में नियंत्रण न होने पर आगे की तस्वीर भयावह हो जाएगी। लोकल ट्रांसमिशन के बाद ही चीन, इटली के हालात बदतर हुए। 

ऐसे होता कोरोना वायरस का प्रसार 

फस्‍ट फेज : इसमें ट्रैवल हिस्ट्री कांटेक्ट्र हिस्ट्री होती है। यानी कि संक्रमित देशों से आए यात्री व उनके संपर्क में आने वाले लोगों में वायरस का खतरा होता है। इसका दायरा सीमित होता है।

सेकेंड फेज : इसमें वायरस का लोकल ट्रांसमिशन हो जाता है। इसका प्रमुख कारण अनजाने में कांट्रेक्ट पर्सन के सपंर्क में आना है। अनभिज्ञतावश संदिग्ध मरीजों की चैन लंबी हो जाती है। यह चरण विकराल स्थिति की ओर ढकेलता है।

थर्ड फेज: लोकल ट्रांसमिशन के बाद वायरस का प्रसार अनियंत्रित हो जाता है। कई पेशेंट की हिस्ट्री का रिकॉर्ड नहीं होता है। ऐसे में उन्हें चिह्नित कर आइसोलेट करना मुश्किल हो जाता है। वायरस की यह स्टेज वृहद स्तर पर फैलकर कम्युनिटी बेस्ड हो जाती है।

फोर्थ फेज : कम्युनिटी बेस्ड के बाद यह वायरस नेशन वाइड एपेडिमिक में तब्दील हो जाता है। ऐसे में दूसरे चरण पर ही नियंत्रण जरूरी है। 

समझें 'जे शेप, 15 दिन अहम

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक कोरोना कोविड-19 के प्रसार का विश्वव्यापी आकलन किया गया। इसमें एक्सपर्ट ने इसका विस्तार जे-शेप कर्व में पाया। इसके पहला चरण का प्रसार सीमित होता है। यह 'जे' के ऊपरी छोटी लाइन बेस्ड स्थिति होती है। इसके बाद सेकेंड-थर्ड फेज में तेजी से वायरस फैलता है। इसकी तुलना 'जे' की सीधी लंबी वाली लाइन से की जाती है। यही टाइम लाइन खतरनाक है। वहीं 'जे' की कर्व लाइन एपेडिमिक है। ऐसे में सेकेंड फेज को रोकना है। इसके लिए अगले 15 दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं।

 

क्या है क्वारंटाइन

क्वारंटाइन को लोगों में घबराहट है। इसको सोशल मीडिया पर वायरल चीनी वीडियो से जोड़ रहे हैं। इन वीडियो में व्यक्ति को जबरन घर में बंद करना दिखाया जा रहा है। मगर, ऐसा नहीं है। क्वारंटाइन लैटिन भाषा का शब्द है। इसका मूल अर्थ है चालीस है। पुराने समय में जिन जहाजों में किसी यात्री के रोगी होने, उस पर लदे माल में रोग प्रसारक कीटाणु होने का संदेह होता था। उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग को रोकने के लिए इस व्यवस्था का उपयोग किया गया। सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए ऐसे वार्डों का गठन किया है। इसमें व्यक्ति को अलग रखा जाएगा। क्वारंटाइन होने से आपके पारिवारिक सदस्य भी सुरक्षित रहेंगे।


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