Coronavirus : ICMR के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में भी रोका गया कोरोना वायरस का रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट
Coronavirus यूपी के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि फिलहाल आइसीएमआर के निर्देश पर रैपिड टेस्टिंग किट से किए जा रहे एंटीबॉडी टेस्ट को रोक दिया गया है।
लखनऊ, जेएनएन। Coronavirus : यूपी में कोरोना वायरस के हॉटस्पाट बनें क्षेत्रों में लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए किए जा रहे रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट पर रोक लगा दी गई है। रैपिड टेस्टिंग किट में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निर्देश पर इसकी जांच दो दिनों के लिए रोक दी गई है। रैपिड टेस्टिंग किट से नमूनों की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने के बाद इसे रोका गया है।
रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट नोएडा में बने हॉटस्पाट में 100 संदिग्ध लोगों का किया गया था और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी, वहीं राजस्थान के कोटा से यूपी लौटे करीब साढ़े सात हजार विद्यार्थियों की भी स्क्रीनिंग इसी से की जा रही है। अभी तक जितने भी हुए टेस्ट में ज्यादातर की रिपोर्ट निगेटिव आई है। सिर्फ गाजीपुर में एक विद्यार्थी की रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। जब इसे पुख्ता करने के लिए दोबारा पेरिमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) टेस्ट हुआ तो रिपोर्ट निगेटिव आई। फिलहाल अब इसे रोक दिया गया है।
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि फिलहाल आइसीएमआर के निर्देश पर रैपिड टेस्टिंग किट से किए जा रहे एंटीबॉडी टेस्ट को रोक दिया गया है। मालूम हो कि यूपी में आइसीएमआर द्वारा करीब साढ़े आठ हजार किट भेजी गई थी और इसके अलावा सूबे में स्वास्थ्य विभाग ने भी अपने स्तर पर भी इसकी खरीद की है।
दरअसल यूपी में कोरोना का संक्रमण तेज होने पर बीती छह अप्रैल को रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट शुरू किए जाने का फैसला किया गया था। परोक्ष रूप से किए जाने वाली इस जांच में खून का सैंपल लिया जाता है और रिपोर्ट भी 15 मिनट से लेकर 30 मिनट के बीच आ जाती है। ऐसे में कोरोना के हॉटस्पाट बने क्षेत्रों में या फिर आश्रय स्थलों में प्रवासी मजदूरों की जांच के लिए इस रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट की शुरूआत की गई थी। यहां 100 लोगों के नमूने जांच को भेजे गए और सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई।
वहीं दो दिन पहले प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में राजस्थान के कोटा में तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को घर भेजने से पहले जिले के विभिन्न संस्थान में क्वारंटाइन किया गया। यहीं पर उनकी स्क्रीनिंग रैपिड टेस्ट के माध्यम से अलग-अलग जिलों में सीएमओ द्वारा करवाई गई। अब तक हुई जांच में गाजीपुर में एक विद्यार्थी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था और जब दोबारा पीसीआर जांच हुई तो वह निगेटिव निकला। ऐसे में इसकी जांच पर सवाल खड़े हो गए हैं।
दरअसल कोरोना वायरस की जांच के लिए पीसीआर टेस्ट 4500 रुपये का पड़ता है और रिपोर्ट में आठ घंटे से अधिक का समय लगता है। मगर मरीज में संक्रमण का पुख्ता पता लगाने के लिए यही टेस्ट मुफीद है। वहीं मरीजों की स्क्रीनिंग करने के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कारगर माना जा रहा था क्योंकि इस टेस्ट में सिर्फ 750 रुपये का खर्चा आता है और जांच रिपोर्ट भी 15 मिनट से 30 मिनट में मिल जाती है। ऐसे में इनफ्लुएंजा जैसे सर्दी, जुकाम, बुखार और खांसी इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति और उसके आसपास कोरोना वायरस के संक्रमित मरीज या उनके संपर्क में आने वाले मरीज हैं तो रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट से उनकी स्क्रीनिंग की जा रही थी। फिलहाल इसे रोक दिया गया है।