Coronavirus : अब यूपी में कोरोना वायरस की रोकथाम के निर्देशों का पालन नहीं करना होगा अपराध
Coronavirus उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह एक महीने तक एपिडेमिक एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकता है।
लखनऊ, जेएनएन। Coronavirus : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह एक महीने तक एपिडेमिक एक्ट (महामारी अधिनियम) के तहत कार्रवाई कर सकता है। जब राज्य को यह आशंका लगे कि कोई महामारी फैल रही है या फैल सकती है और मौजूदा कानून उसे रोकने में नाकाफी है तो वह इस एक्ट के तहत कुछ ठोस उपाय कर सकती है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए जारी निर्देश न मानना अब अपराध होगा।
एपिडेमिक डिजीज एक्ट की धारा तीन में प्रावधान है कि सरकारी निर्देश न मानने वाले व्यक्तिं को आईपीसी की धारा 188 के तहत गिरफ्तार किया जा सकेगा। उसे स्वास्थ्य संकट खड़ा करने के जुर्म में एक निश्चित अवधि या छह महीने तक की सजा हो सकती है और एक हजार रुपये जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
उधर, स्वास्थ्य विभाग की टीम अब एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन इत्यादि पर यात्रियों व अन्य स्थानों पर लोगों की स्क्रीनिंग कर अगर आशंका जताती है कि व्यक्ति में कोरोना वायरस हो सकता है तो वह उसे अस्पताल व अस्थायी आवास में रखने का अधिकार होगा। यूपी में इसके लिए अस्पतालों में 1268 आइसोलेशन बेड और 1093 कोरेनटाइन बेड की व्यवस्था भी की गई है। ऐसे में संदिग्ध मरीज यहां रहने से इनकार नहीं कर सकता।
यूपी में सभी शिक्षण संस्थान 22 मार्च तक बंद
कोरोना वायरस से बचाव के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को 22 मार्च तक बंद करने का निर्णय लिया है। यह बंदी बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, व्यावसायिक और चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी संस्थानों पर लागू होगी। सिर्फ वही शिक्षण संस्थान पूरी सतर्कता के साथ खुलेंगे, जहां पहले से परीक्षाएं चल रही हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए उच्चस्तरीय बैठक कर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। इसके तहत जिन शिक्षण संस्थानों में एक-दो दिन में परीक्षाएं शुरू होने वाली थीं, उन्हें टाल दिया गया है। राज्य सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण को महामारी तो नहीं घोषित किया है लेकिन, महामारी अधिनियम (एपिडेमिक डिजीज एक्ट) में प्रदान की गई शक्तियों के तहत स्वास्थ्य विभाग को इसके रोकथाम व उपचार के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
20 मार्च को शिक्षण संस्थान खोलने पर होगा फैसला
लोकभवन में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सरकार कोरोना वायरस संक्रमण से उपजी स्थिति का आकलन करने के लिए 20 मार्च को फिर समीक्षा बैठक करेगी। इस बैठक में तय किया जाएगा कि 23 मार्च से स्कूल खोले जाएं या छुट्टियां और बढ़ा दी जाएं। उन्होंने बताया कि सरकारी प्राइमरी व हायर सेकेंड्री स्कूलों की परीक्षा का कार्यक्रम भी आगे बढ़ा दिया गया है। अब इन स्कूलों की परीक्षाएं 23 से 28 मार्च के बीच होंगी। मुख्यमंत्री ने सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों का स्थगित करने के निर्देश दिए हैं। वहीं सरकार भी 19 मार्च को तीन साल पूरे होने पर आयोजित किए जाने वाला समारोह सादगी से मनाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिनेमाघर व सिनेप्लेक्स मालिकों को पूरी सर्तकता के साथ फिल्म शो चलाने के निर्देश दिए गए हैं। यदि जरूरी हुआ तो रिव्यू कर इस पर भी रोक लगाई जाएगी।
कोरोना वायरस के 19 संदिग्ध मरीज हुए भर्ती
यूपी में शुक्रवार को कोरोना वायरस के 19 संदिग्ध मरीज को अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। इसमें छह मरीज लखनऊ में, चार आगरा, एक-एक अमरोहा, नोएडा, आजमगढ़ व गाजियाबाद में बाकी छह दिल्ली में सफदरगंज अस्पताल में भर्ती करवाए गए हैं। फिलहाल शुक्रवार को किसी नए मरीज में कोरोना वायरस पाए जाने की पुष्टि नहीं हुई। ऐसे में अभी तक कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 11 ही है।
शुक्रवार को किसी मरीज में नहीं मिला वायरस
चीन, साउथ कोरिया, ईरान, इटली सहित कोरोना प्रभावित देशों की यात्रा से लौटे 866 लोगों को जिला सर्विलांस यूनिट ने चिह्नित किया। अभी तक कोरोना वायरस के 651 संदिग्ध मरीजों के नमूने जांच के लिए लैब भेजे जा चुके हैं और इसमें से 549 की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 92 मरीजों की जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है। उधर चीन, ईरान, साउथ कोरिया, इटली, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस की यात्रा से लौटे मरीजों को विशेष रूप से चिह्नित किया जा रहा है और इन्हें 14 दिन अस्पताल में रखा जाएगा। इसके लिए कोरोनटाइन बेड की व्यवस्था की गई है।
पांच जगह जांच की सुविधा
यूपी के संदिग्ध मरीजों के सैंपल जांचने के लिए अब पांच लैब में व्यवस्था की गई है। इनमें लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे और गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। जल्द ही सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जांच की व्यवस्था की जाएगी।
जागरूकता पर जोर
डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टॉफ के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा बहुओं को प्रशिक्षित कर उनके जरिये लोगों को जागरूक किया जाएगा। बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के शिक्षण संस्थान हैंडबिल व पोस्टर के माध्यम से बचाव का जागरूकता अभियान चलाएंगे। पंचायती राज विभाग गांवों में और नगर विकास विभाग शहरों में लोगों को जागरूक रखेगा। साथ ही साफ सफाई के भी पूरे इंतजाम करेगा। लोगों को जागरूक करने के लिए रेलवे और बस स्टेशनों पर भी विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।