UP Lockdown: लॉकडाउन की जंग में सोशल मीडिया पर सजग यूपी पुलिस, हर ट्वीट पर पैनी नजर
Coronavirus Lockdown in UP लॉकडाउन के दौरान 112 नंबर पर आईं कॉल और अन्य माध्यमों के अलावा ट्विटर के जरिये की जा रही शिकायतों को भी पुलिस पूरी गंभीरता से ले रही है।
लखनऊ, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान 112 नंबर पर आईं कॉल और अन्य माध्यमों के अलावा ट्विटर के जरिये की जा रही शिकायतों को भी पुलिस पूरी गंभीरता से ले रही है। सोशल मीडिया पर चल रहे संदेशों और सूचनाओं की मानीटिरिंग भी की जा रही है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने 25 से 30 मार्च के दौरान 1376 ट्वीट का संज्ञान लेकर कार्रवाई की है। इसमें लॉकडाउन के उल्लंघन की 433, राशन से जुड़ी 154 व कोरोना के संदिग्ध मरीजों से संबंधित 122 सूचनाओं पर पुलिस ने जांच के बाद कार्रवाई की। ट्वीट के जरिए कालाबाजारी की भी 74 शिकायत आईं। मेडिकल सहायता के लिए 103 व आने-जाने की परमीशन संबंधी 219 ट्वीट प्राप्त हुए। पुलिस ट्वीट के जरिए प्राप्त हो रही सूचनाओं पर कार्रवाई के साथ ही जरूरतमंदों की मदद भी कर रही है। खासकर कालाबाजारी की हर सूचना पर तत्काल जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
गलत सूचना देकर न बढ़ाएं परेशानी
कोरोना के संदिग्ध मरीजों को लेकर कई लोग पुलिस को भ्रामक सूचनाएं भी दे रहे हैं। ऐसी सूचना पर पुलिस व संबंधित विभागों को बेवजह की भागदौड़ करनी पड़ रही है। डीजीपी मुख्यालय ने गलत सूचना देने वालों को कड़ी चेतावनी देने व बार-बार भ्रामक सूचना देने वाले के विरुद्ध विधिक कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।
जेल प्रशासन ने सप्लाई किए 70 हजार मास्क
कोरोना की जंग में कारागार प्रशासन लगातार अपने कदम बढ़ा रहा है। सूबे की 67 जेलों के बंदी अब तक 2.70 लाख से ज्यादा मास्क बना चुके हैं। कारागार प्रशासन ने इसमें से 72 हजार से ज्यादा मास्क पुलिस, परिवहन व अन्य विभागों को सप्लाई किए हैं। जेलों में मास्क बनाने का सिलसिला 13 मार्च को मथुरा जेल से शुरू हुआ था। जेलों में बने मास्क पांच रुपये प्रति मास्क की दर से सप्लाई किए जा रहे हैं। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए बंदियों को मास्क दिए गए हैं। बाजार में भी मास्क की मांग लगातार बनी हुई है।
अब तक 1386 और विचराधीन बंदी रिहा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विचाराधीन बंदियों को आठ सप्ताह के लिए जमानत पर छोड़े जाने का क्रम जारी है। मंगलवार को 1386 और विचाराधीन बंदी रिहा किए गए। अब तक सूबे की जेलों से कुल 5468 विचाराधीन बंदियों को रिहा किया जा चुका है। रविवार से शुरू हुई इस कार्रवाई के तहत करीब 8500 विचाराधीन व 2500 सिद्धदोष बंदियों की रिहाई होनी है। सात साल या उससे कम की सजा काट रहे सिद्धदोष बंदियों को तय मानकों के अनुरूप पैरोल पर छोड़ा जाएगा।
आवश्यक वस्तु अधिनियम के 46 मुकदमे
लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने और सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। बेवजह घरों से निकलने व सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई तेज की गई है। कालाबाजारी की सूचना पर खासकर त्वरित व कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न जिलों में अब तक आवश्यक वस्तु अधिनियम के 46 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। धारा 188 के तहत 6079 से ज्यादा एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई की गई है। पुलिस ने 1.5 लाख से अधिक वाहनों का चालान किया, जबकि 12,213 वाहन सीज किए गए।