Coronavirus Effect : अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नवंबर में खुलेंगे
कोरोना संक्रमण के कारण करीब ढाई माह से पर्यटकों के लिए बंद उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अभी नहीं खुलेंगे।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण करीब ढाई माह से पर्यटकों के लिए बंद उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अभी नहीं खुलेंगे। इसके लिए पर्यटकों को 15 नवंबर, 2020 तक का इंतजार करना होगा। लखनऊ और कानपुर चिड़ियाघर खुल गए हैं, लेकिन टाइगर रिजर्व और सेंचुरी 16 जून से 14 नवंबर तक हर साल बंद रहते हैं।
दरअसल, वन विभाग ने टाइगर रिजर्व और सेंचुरी को 15 नवंबर, 2020 से ही खोलने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश में दुधवा नेशनल पार्क के अलावा कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और पीलीभीत टाइगर रिजर्व हैं। इनमें 15 नवंबर से 15 जून के बीच पर्यटकों को प्रवेश की इजाजत मिलती है। कोरोना संक्रमण के कारण नेशनल पार्क व सेंचुरी लॉकडाउन से पहले ही यानी 18 से 31 मार्च तक एहतियातन बंद कर दिए गए थे। लखनऊ और कानपुर चिड़ियाघर मंगलवार से खुल गए हैं। वहीं, वन विभाग ने टाइगर रिजर्व व सेंचुरी को अब अगले सीजन में ही पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय लिया है।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्राजेक्ट टाइगर पीके शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइन में पार्क व सेंचुरी अभी न खोलने की बात है। वहीं, अनलॉक-1 के तहत केंद्र की गाइडलाइन में भी इस पर कुछ साफ नहीं किया गया है। अगर पार्क व सेंचुरी खुलते भी हैं तो सिर्फ एक सप्ताह ही पर्यटकों को प्रवेश मिल सकेगा। ऐसे में अब इसे 15 नवंबर से ही खोलने का निर्णय लिया गया है।
कतर्नियाघाट सेंचुरी में बाघ, तेंदुए, हिरन, हाथी, चीतल, बारहसिंघा और अन्य दुर्लभ वन्यजीव विहार करते हैं। बारिश के मौसम में जंगल की पगडंडियां क्षतिग्रस्त होने और वन्यजीवों के हमले की आशंका बढ़ने के मद्देनजर टूरिस्टों के आने पर रोक लगा दी जाती है। 16 जून से 14 नवंबर तक वन्यजीव विहार में टूरिस्ट एंट्री नहीं कर सकते हैं। कतर्नियाघाट सेंचुरी में आने के लिए निर्धारित शुल्क पर्यटकों को अदा करना होगा। थारू हट और वन विश्राम गृह की बुकिंग कतर्नियाघाट इको टूरिज्म की वेबसाइट पर ऑनलाइन होगी।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी और सीमाई भूभाग में स्थित पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बड़ा वन्यक्षेत्र समाहित है। 71 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला जंगल और यहां 65 बाघ विचरण करते हैं। यहां बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। गश्त के दौरान कर्मियों के जीपीएस सिस्टम से लैस रहने पर जंगल की गतिविधियों की जानकारी मिलती रहती है। पीलीभीत का जंगल, नदी बाघों के लिए मुफीद है।