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CoronaVirus Effect on RamNavmi : रामनवमी पर अयोध्या में सन्नाटा, गोरखनाथ मन्दिर में कन्या पूजन कार्यक्रम निरस्त UP News

CoronaVirus Effect on RamNavmi रामनगरी अयोध्या में यह पहला मौका है जब रामनवमी पर सन्नाटा पसरा है। गोरखपुर में भी रामनवमी पर कन्या पूजन का कार्यक्रम स्थगति कर दिया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 11:33 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 11:33 AM (IST)
CoronaVirus Effect on RamNavmi : रामनवमी पर अयोध्या में सन्नाटा, गोरखनाथ मन्दिर में कन्या पूजन कार्यक्रम निरस्त UP News
CoronaVirus Effect on RamNavmi : रामनवमी पर अयोध्या में सन्नाटा, गोरखनाथ मन्दिर में कन्या पूजन कार्यक्रम निरस्त UP News

लखनऊ, जेएनएन। चीन से विश्व भर में फैले कोरोना वायरस के कहर के कारण रामनवमी पर आज प्रदेश भर में सभी धार्मिक कार्यक्रम निरस्त हो गए हैं। रामनगरी अयोध्या में यह पहला मौका है जब रामनवमी पर सन्नाटा पसरा है। श्रीराम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यहां पर इस बार रामनवमी काफी धूमधाम से मनाने की तैयारी थी। उधर गोरखपुर में भी रामनवमी पर कन्या पूजन का कार्यक्रम स्थगति कर दिया गया है।

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गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष रामनवमी के अवसर पर कन्या पूजन का का कार्यक्रम होता है। इस बार भी गोरखनाथ मंदिर में यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे आयोजित होने वाला था। गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन कार्यक्रम कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए निरस्त कर दिया गया है। पहले इसमें मुख्यमंत्री के भी आने का कार्यक्रम प्रस्तावित था।

रामनगरी अयोध्या में रामनवमी पर अभूतपूर्व सन्नाटा

सुप्रीम कोर्ट का नौ नवंबर को अयोध्या के रामलला के हक में फैसला आने के साथ यह संभावना जगी थी कि इस बार यहां का राम जन्मोत्सव अभूतपूर्व होगा। इस बार राम जन्मोत्सव अभूतपूर्व तो है, पर अपेक्षाओं के ठीक विपरीत। कोरोना संकट के चलते उत्सव-उल्लास की अपेक्षा दूर की कौड़ी हो गई है और राम जन्मोत्सव सन्नाटे के आगोश में है। राम नवमी का पर्व आज है। इस बार अयोध्या के इतिहास में पहली बार सड़कें सूनसान रहेंगी। राम नगरी के संत भगवान राम के जन्मोत्सव की व्यापक तैयारी में जुटे, लेकिन अब राम जन्मभूमि पर फैसला आने के बाद पहली बार मनाया जाने वाला राम नवमी का पर्व बेहद सादगी से होगा। इसमें बहुत कम तादात में संत और महंत शामिल होंगे।

राम जन्मोत्सव तो चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, पर उत्सव का उल्लास वासंतिक नवरात्र की दस्तक के साथ बिखरता रहा है। इस बार उत्सव का आगाज कोरोना से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन से हुआ और तिथि बढऩे के साथ लॉकडाउन से उपजा सन्नाटा परवान चढ़ता गया। जिस रामनगरी में राम जन्मोत्सव की पूर्व संध्या तक आस्था का सैलाब हिलोरें लेता था, वहां वीरानी है। जो मठ-मंदिर, सार्वजनिक स्थल एवं मार्ग श्रद्धालुओं से पटे होते थे, वह सभी लॉकडाउन की कामयाबी के गवाह बने हुए हैं। मंदिरों में गुरुवार को दोपहर में राम जन्मोत्सव मनाए जाने की तैयारी की गई है, पर यह मंदिरों के प्रांगण तक सिमटा होगा।

कोरोना से निपटने की इस शर्त का अनुपालन रामजन्मभूमि के अलावा राम भक्तों की कई अन्य प्रमुख पीठों सहित नगरी के हजारों मंदिरों में किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष राम जन्मोत्सव की पूर्व बेला तक लाखों की भीड़ नियंत्रित करने के लिए मशक्कत करने वाला मेला प्रशासन इस बार यह सुनिश्चित करने की तैयारी में है कि राम जन्मोत्सव में एक भी बाहरी श्रद्धालु शिरकत न करने पाए।

धरी रह गई भव्यता देने की तैयारी

उपेक्षा के परिचायक तिरपाल के गर्भगृह से बुलेट प्रूफ वैकल्पिक गर्भगृह में स्थानांतरित होने के साथ रामलला के गौरव की बुधवार को वापसी का आगाज तो हुआ, पर राम जन्मोत्सव को भव्यता देने की तैयारियां धरी रह गईं। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से रामलला के जन्मोत्सव के लाइव प्रसारण की तैयारी भी स्थगित करनी पड़ी है। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार कोरोना संकट के चलते रामलला का जन्मोत्सव उसी तरह मनाए जाने का निर्णय किया गया। जिस औपचारिकता के साथ तिरपाल के गर्भगृह में मनाया जाता रहा है। रामलला को बीच 40 किलो पंजीरी का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।


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