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Happy Mothers Day 2020: जननी से मिल रही जिंदगियां बचाने की सकारात्मक ऊर्जा

Happy Mothers Day 2020 कोविड वार्ड में घंटों पीपीई किट पहनकर कोरोना से लड़ने वाले फाइटर्स की जुबानी मातृ शक्ति की कहानी।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 02:14 PM (IST)
Happy Mothers Day 2020: जननी से मिल रही जिंदगियां बचाने की सकारात्मक ऊर्जा
Happy Mothers Day 2020: जननी से मिल रही जिंदगियां बचाने की सकारात्मक ऊर्जा

लखनऊ, जेएनएन। Happy Mothers Day 2020: कोरोना कान में अब अपने अपनों से दूर हैं।  वायरस का खतरा हर कदम, हर पल मंडरा रहा है। ऐसे में हमारे 'कोरोना वारियर्स' अपनी जान खतरें में डालकर एक-एक जिंदगी बचाने के लिए जूझ रहे हैं। न ड्यूटी के वक्त का पता न खाने का होश। हफ्तों परिवार से भी नहीं मिल पा रहे। इस मुश्किल दौर में हमारे वारियर्स यानी डॉक्टर घंटों एयर टाइट पीपीई किट पहनकर कोविड वार्ड में वायर से सीधा मोर्च ले रहे हैं।

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हां, इस अवसर पर मरीजों को ठीक करने में काम भले ही उनके मेडिकल की पढ़ाई आ रही है मगर...हौसला तो बस मां से ही मिला है। यह उस जननी की ही ऊर्जा है, जो उन्हें आम लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए प्रेरित करती हैं। इस मर्दस डे, खतरनाक वायरस से लड़ रहे कोरोना फाइटर्स के मां को समर्पित कुछ लफ्ज ....

 

मां से ही मिलती है हर चीजों को सिंपिल रखने की सलाह  

 केजीएमयू मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ.डी.हिमांशु के मुताबिक,  मां ने हमेशा एक ही सीख दी कि लाइफ में चीजो को सिंपिल रखो। उनका कहना था कि अपना काम करते रहना चाहिए परिणाम की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। काम अच्छा होगा तो परिणाम खुद ही अच्छे आएंगे। मैं उनकी इसी बात को लेकर आगे बढ़ रहा हूं। मां प्रो.नलिनी रेड्डी बीएचयू में प्रोफ़ेसर थी। आज वह मेरे साथ नहीं लेकिन उनकी एक-एक बात मुझे याद है। वह मुझसे हमेशा यह कहती थीं कि मैं बहुत जल्दी एक्साइटेड हो जाता हूं और बहुत जल्दी डिप्रेस। वह मुझे समझाती कि हर दिन एक सा नहीं रहता इसलिए यह सोचना कि आज जैसा था वैसा ही कल होगा गलत है। अपना काम पूरी लगन और ईमानदारी से करते रहो, बस यही सबसे जरूरी है। वह हमेशा कहती कि इंसान को रिजिड नहीं होना चाहिए। जैसा समय हो उसी के अनुसार काम करना चाहिए। मुझे उनकी कही बातें आज भी मोटिवेट करती हैं।

मां ने कभी कमजोर नहीं होने दिया

केजीएमयू मनोरोग विभाग एसोसिएट प्रोफेसर के डॉ.पवन गुप्ता ने बताया कि कभी कमजोर नहीं होने दिया मेरी मां स्वतंत्र बाला  गुप्ता एक टफ मदर रही हैं। शुरू में मुझे कभी-कभी खराब भी लगता था। बचपन से ही उन्होंने हमें अपने सारे काम स्वयं करने की शिक्षा दी। हम संयुक्त परिवार में रहते थे। मां को मैंने दादा दादी और बड़ों की सेवा करते ही देखा। इंटर करने के बाद मैं घर से बाहर पढ़ाई के लिए चला गया। मां का साथ तो छूट गया लेकिन उनकी इस सिखाई हुई बातें आज भी मुझे हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रखती हैं । मां बड़े गर्व से कहती थी कि पवन को हर स्थिति में रहने की आदत है मुझे अफसोस है कि जिस तरह से मां ने अपने बड़ों की सेवा करी मैं उनकी सेवा नहीं कर पा रहा हूं। वह स्ट्रोक की पेशेंट है लेकिन आज भी माता-पिता दोनों ही अपने काम स्वयं करते हैं । मैं खुश हूं कि मां ने मेरी ऐसी परवरिश की कि मैं किसी भी परिस्थिति में अपने को आसानी से एडजस्ट कर लेता हूं।

 

अकेलेपन में मां ही याद आती है

केजीएमयू मेडिसिन विभाग डॉक्टर सुधीर वर्मा के मुताबिक, मां सोना देवी ने हमेशा पॉजिटिव रहने की  शिक्षा दी।उनकी यही बात मुझे मोटिवेट करती है।जब मैं क्वॉरेंटाइन में था मां मुझे हिम्मत देती । अकेलापन महसूस होता तो मैं झट से उन्हें वीडियो कॉल कर लेता और वह हमेशा की तरह ही मेरी हिम्मत बंधाती। कोरोना के मरीजों के इलाज में शुरुआत में थोड़ा डर लगता था। कभी-कभी मन परेशान हो उठता था लेकिन मां ने हमेशा हिम्मत दी। माता पिता दोनों ही बताते  कि ड्यूटी है और तुम्हें अच्छे से करनी चाहिए । उनकी यह पॉजिटिव बातें बहुत काम आती हैं ।आज भी जब परेशान होता हूं तो उनसे वीडियो कॉल करके एक नई ऊर्जा मिलती है।

मां शिक्षा ने ही बनाया अच्छा इंसान

केजीएमयू मेडिसिन विभाग डॉ.तौसीफ ए.खान बताते हैं कि मेरा मानना है कि समाज में दो तरह के इंसान होते हैं ।एक वो जो नेकी करते हैं और दूसरे वो जो पूरे समाज को शर्मसार करते हैं । इसमें मां की सबसे बड़ी भूमिका  होती है। दरअसल मां द्वारा बचपन में दी गई शिक्षा ही इंसान  बनाती है । जो लोग समाज को और देश को शर्मसार करते हैं मुझे लगता है उनकी परवरिश में कहीं कोई कमी होती है। मेरी मां कौसर जहां मेरे लिए रोल मॉडल हैं। वह हमेशा मुझे नेकी करने की सीख देती आई हैं ।जब मुझे क्वॉरेंटाइन में जाना था तो मन कुछ विचलित था। सोचा माता-पिता परेशान होंगे इसलिए  उन्हें ना  बताऊं लेकिन हमारे सीनियर्स ने कहा कि उन्हें जानकारी अवश्य देनी चाहिए। हालांकि माता-पिता को यह पता था कि मैं कोविड-19 संक्रमण वार्ड के लिए काम कर रहा हूं । जब मैंने उन्हें अपने क्वॉरेंटाइन में जाने की बात बताई तो वह थोड़ी भावुक हुईं लेकिन खुद संभलते हुए उन्होंने मुझे हिम्मत दी। आज भी मैं उनसे फोन पर बात करके चार्ज हो जाता हूं। मुझे मेरी मां बेहद अजीज है।

 

 

मां की प्रेरणा ने सिखाया जोखिम से खेलन 

एसजीपीजीआई  रेडियो टेक्नोलॉजिस्ट शुभम गांधी ने बताया कि राजधानी कोविड-19 वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों में वायरस फेफड़े को संक्रमित करता है फेफड़े की स्थिति जानने के लिए डॉक्टर चेस्ट एक्सरे कराते हैं । संक्रमित मरीजों का एक्स-रे करना एक बहुत बड़ा चुनौती भरा काम है क्योंकि इनसे संक्रमण की आशंका पूरी रहती है । मां प्रमिला गुप्ता ने सिखाया कि सेवा ही धर्म है। एक्सरे के लिए 7-8 घंटे लगातार प्रोटेक्शन किट पहनना होता है और बहुत ही सावधानी बरतनी पड़ती है । ऐसे में काम करना आसान नहीं। लेकिन मां की प्रेरणा इस काम के लिए हमें खुद को तैयार रखने का जज्बा देती है ।


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