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Fight Against CoronaVirus: इस्लाम को समझे मुस्लिम, हदीस में शारीरिक दूरी का जिक्र

Fight Against CoronaVirus कोरोना से जंग जीतकर निकले डॉक्टर ने कहा भ्रम में न रहें- वायरस जाति-धर्म देखकर हमला नहीं करता।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 08:13 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 08:13 AM (IST)
Fight Against CoronaVirus: इस्लाम को समझे मुस्लिम, हदीस में शारीरिक दूरी का जिक्र
Fight Against CoronaVirus: इस्लाम को समझे मुस्लिम, हदीस में शारीरिक दूरी का जिक्र

लखनऊ [संदीप पांडेय]। Fight Against CoronaVirus: देश के चिकित्सक कोरोना से सीधे जंग लड़ रहे हैं। मरीजों के इलाज में जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं जिनमें तब्लीगी जमात के लोग भी शामिल हैं। बावजूद उन्हें र्दुव्‍यवहार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चिकित्साकर्मियों के कर्तव्यों के बीच भय आड़े आ रहा है। वहीं, मुस्लिम समुदाय में कोरोना को लेकर फैली भ्रांतियां चुनौतियों को दोगुना कर रही हैं। कोरोना से पैदा हुईं चुनौतियों के बारे में किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के डॉ. तौसीफ खान से दैनिक जागरण के संवाददाता  ने बातचीत की। वह कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले उप्र के पहले सरकारी डॉक्टर हैं। 22वें दिन उन्होंने बीमारी से जंग जीती।

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Q: आप कैसे कोरोना की चपेट में आ गए, क्या कोई चूक हो गई थी?

A: लखनऊ में कोरोना की पहली मरीज की स्क्रीनिंग-सैंपलिंग केजीएमयू में मैंने ही की थी। संभवत: स्वैब संग्रह करते वक्त चूक हो गई थी।

Q: लोग कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी का सामना कैसे करें?

A: घबराने की जरूरत नहीं है। यह वायरस फैलता बहुत जल्द है, मगर इसमें रिकवरी 97 फीसद तक हो रही है। लिहाजा, हिम्मत से काम लें।

Q: एक बार आपको कोरोना हो गया है। दोबारा ड्यूटी पर लौटने का क्या प्लान है?

A: मुझे अभी 14 दिन तक होम क्वारंटाइन में रहना है। इसके बाद मिशन पर फिर लौटूंगा और कोरोना से ही लड़ूंगा।

Q: कई मौलवियों के वीडियो वायरल हो रहे हैं, कह रहे हैं कि मुस्लिमों में कोरोना नहीं हो सकता?

A: यह भ्रम है। यह खतरनाक वायरस है। कोई जाति-धर्म देखकर हमला नहीं करता।

Q: रोक के बाद भी कई जगह मस्जिदों में नमाज अदा की गई। रोका गया तो विरोध हुआ। इससे इस्लाम को खतरा बताया गया, इस पर क्या राय है?

A: मुस्लिम पहले इस्लाम को समङों। किसी के बहकावे में न आएं। हदीस में भी महामारी के दरम्यान शारीरिक दूरी का जिक्र है। कोरोना भी महामारी है। लिहाजा, इसमें शारीरिक दूरी का पालन करें। घर पर नमाज अदा करें। भीड़भाड़ से दूर रहें।

Q: मस्जिद में नमाज बंद होने से कई इस्लामिक विद्वानों में आक्रोश है। इस फैसले को उन्होंने मुस्लिम विरोधी बताया।

A: जहां से इस्लाम का उदय हुआ है। वहां भी नमाज बंद है। सऊदी में उमरा, नमाज सब स्थगित है। लिहाजा, धर्म गुरुओं से अपील है कि समाज के लोगों को कुरान-हदीस का सही संदेश दें।

Q: तब्लीगी जमात के कई लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। बावजूद इसके जांच के लिए वे आगे नहीं आ रहे, जानकारी छिपा रहे हैं।

A: तब्लीगी जमात व उसके संपर्क में आए लोगों को खुद जानकारी देनी चाहिए। उनमें बीमारी के लक्षण हैं या नहीं भी हैं तो भी वे पूरी सूचना प्रशासन को दें। ऐसा करने से वे, उनका परिवार व समाज इस खतरनाक वायरस से महफूज रहेगा। इसका खामियाजा दूसरे को भी भुगतना पड़ सकता है।

Q: तब्लीगी जमात के लोग अस्पतालों में डॉक्टर पर थूक रहे हैं। वहीं मुस्लिम बस्तियों में जांच के लिए पहुंची हेल्थ टीम पर हमले हो रहे हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?

A: मैं आइसोलेशन में था। मोबाइल पर समाचार देखे। कई वीडियो देखे। काफी दुख हुआ। मैं मुस्लिम समाज से कहना चाहता हूं, यह नाजुक वक्त है। डॉक्टर-चिकित्साकर्मियों पर हमला करोगे तो उनका मनोबल गिरेगा। यदि डॉक्टरों की हिम्मत जवाब दे गई, तो हालात संभालना कठिन हो जाएगा।


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