बिजली विभाग ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लगने वाले शुल्क को हटाया, 50 हजार कंज्यूमर होंगे लाभान्वित
यूपी में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से बिजली के बिल भरने वालों को मिलेगा लाभ नहीं कटेगा अतिरिक्त शुल्क।
लखनऊ [अंशू दीक्षित]। क्रेडिट व डेबिट कार्ड वाले बिजली उपभोक्ताओं को बढ़ावा देने के लिए बिजली महकमे ने भुगतान के समय लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। इसका सीधा फायदा मध्यांचल के उन्नीस जिलों में उन पचास हजार उपभोक्ताओं को मिलेगा, जो क्रेडिट व डेबिट कार्ड से ई निवारण ऐप और यूपीपीसीएल वेबसाइट पर जाकर करते थे। लखनऊ में ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या सबसे अधिक अठारह हजार से अधिक है।अब यह शुल्क यूपीपीसीएल देगा। उदाहरण के तौर पर अगर उपभोक्ता दो हजार बिजली का बिल डेबिट कार्ड से करता है तो उसे बीस रुपये अतिरिक्त देना होता था, अब बिजली महकमा देगा।
मध्यांचल एमडी सूर्य पाल गंगवार ने बताया कि यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। घर बैठे ई-निवारण व यूपीपीसीएल वेबसाइट का लाभ उठाकर सीधे भुगतान कर सकता है। इससे हर माह मध्यांचल के ऊपर करीब पांच से छह लाख अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, लेकिन इससे प्रेरित होकर उपभोक्ताओं में बिजली भुगतान को लेकर जरूर कुछ ललक बढ़ेगी। मध्यांचल के 19 जिलों में क्रेडिट कार्ड से बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं को कुल राशि पर 8 फीसद की छूट मिलेगी। इसी तरह डेबिट कार्ड से बिल भुगतान करने वालों को एक फीसद की छूट का प्राविधान है कुल राशि पर। बिजली महकमा यह देखना चाहता है कि लॉकडाउन के दौरान क्या क्रेडिट व डेबिट कार्ड से बिल जमा करने वालों की संख्या में इजाफा होता है।
वर्तमान में आनलाइन प्रतिशत बेहद कम : मध्यांचल के अंतर्गत बिजली बिल जमा करने वालों का ग्राफ सात फीसद से भी कम है। राजधानी के कुछ डिवीजन छोड दे तो कई डिवीजन में आनलाइन बिल जमा करने वालों का ग्राफ इक्का दुक्का है। आज भी बिजली उपभोक्ता ई सुविधा पर जाकर नगद जमा करने पर विश्वास रखता है।
ई सुविधा पर क्रेडिट व डेबिट वालों का भार संचालकों पर
ई सुविधा केंद्रों पर क्रेडिट कार्ड से बिल जमा करने वालों को जो शुल्क देना होता है वह ई सुविधा को देना होता है। होटल, रेस्टोरेंट, फैक्ट्री व मॉल संचालक अपनी बिजली बिल का भुगतान क्रेडिट कार्ड से करते हैं। इससे दो फायदे हैं एक उपभोक्ता को उसके क्रेडिट कार्ड का भुगतान तुरंत बैंक कर देता है और उपभोक्ता को 45 दिन का लाभ मिल जाता है, दूसरे जो शुल्क लगता है उसे ई सुविधा संचालक एजेंसी को देना होता है, जैसे बीस लाख का भुगतान है तो दो हजार का ई सुविधा संचालक को देने होंगे । इसके एवज में एजेंसी को सिर्फ एक बिल जमा करने पर 19 रुपये मिलता है। हालांकि यह शर्त टेंडर में लिखी हुई है जो संचालकों की गले की हड्डी बन गया है।