सोलर प्लांट लगवाने वाले उपभोक्ता परेशान, नहीं बन रहे बिल
लखनऊ के किसी भी सोलर पॉवर प्लांट की अवर अभियंता नहीं कराते हैं बिलिंग हर माह उपभोक्ता को अपना बिल बनवाने के लिए अवर अभियंता के पास जाकर गिड़गिड़ाना पड़ता है। कारण महीनों से सोलर लगवाने वाले उपभोक्ताओं के बिल नहीं बन रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए हर साल लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके बाद भी सोलर पॉवर प्लांट की बिलिंग व्यवस्था आज तक सुधर नहीं सकी। हर माह उपभोक्ता को अपना बिल बनवाने के लिए अवर अभियंता के पास जाकर गिड़गिड़ाना पड़ता है। कारण महीनों से सोलर लगवाने वाले उपभोक्ताओं के बिल नहीं बन रहे हैं। इससे लाखों रुपये खर्च करके प्लांट लगवाने उपभोक्ता परेशान है।
गोमती नगर के विशाल खंड निवासी शिवकाली त्रिपाठी 31 जुलाई 2020 से परेशान है। इनका अकाउंट नंबर 1340890000 है। मीटर अभी तक फीड नहीं।गोमती नगर विस्तार निवासी मनीष विरवानी (3755514307) है। इनके यहां पहले से स्मार्ट मीटर लगा है, सिर्फ फीडिंग होनी है, नहीं हुई। राजाजीपुरम के बृजेश कुमार मिश्रा फरवरी 2020 से परेशान है, इनका अकाउंट नंबर (8572007034) है। ऐशबाग की पूनम रस्तोगी (8617280000) है, इनका भी मीटर अगस्त 2020 से फीड नहीं। यह हाल बिजली विभाग का है। ऐसे उपभोक्ताओं की भरमार है। गोमती नगर की विश्वास खंड निवासी शकुंतला अग्रवाल (9687880000) है। यह उपभोक्ता अगस्त 2020 से उपकेंद्र के चक्कर लगकर थक चुकी है।
इनके बिल गलत बने नहीं सुधर रहे
सोलर पॉवर प्लांट के दर्जनों उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके बिल गलत बने हैं, वह चक्कर लगा रहे हैं। डा. संजय सिंह (अकाउंट नंबर 1173594959) मानस इन्क्लेव निवासी का गलत बिल बना है, आज तक ठीक नहीं हो सका। गीता खन्ना भी इसी तरह परेशान है। अवध नरेश गुप्ता तो सोलर लगवाने के बाद एक बिल जमा नहीं कर पाए, क्योंकि बिल ही नहीं बना। इसी तरह अपूर्व मिश्रा, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, शशांक तिवारी, सुंदर लाल जैसे उपभोक्ता बिजली विभाग की कार्यप्रणाली से परेशान है।
क्यों नहीं लेते अभियंता बिलिंग की जिम्मेदारी
नेड़ा से अब बिजली विभाग के पास अब सोलर पॉवर प्लांट की पूरी जिम्मेदारी है, लेकिन उपभोक्ताओं की एक भी समस्या का निवारण बिना सिफारिश संभव नहीं है। हर उपकेंद्र में अगर अभियंता चार से पांच दिन ऐसे उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित कर दे तो समस्याएं आसानी से हल सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।