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UP Cabinet Decision: योगी कैब‍िनेट ने पीडब्‍लूडी से ल‍िया 50 करोड़ से अधिक लागत के सरकारी भवनों का निर्माण कार्य

सीएम योगी की अध्‍यक्षता में हुई कैब‍िनेट बैठक में कई अहम फैसले ल‍िए गए। इसी क्रम में लोक निर्माण विभाग से 50 करोड़ से अधिक लागत के सरकारी भवनों का निर्माण कार्य भी वापस ल‍िया गया। अब नियोजन विभाग के अधीन गठित किया जाने वाला ईपीसी इस काम को देखेगा

By JagranEdited By: Prabhapunj MishraPublished: Wed, 28 Sep 2022 12:21 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 12:21 AM (IST)
UP Cabinet Decision: योगी कैब‍िनेट ने पीडब्‍लूडी से ल‍िया 50 करोड़ से अधिक लागत के सरकारी भवनों का निर्माण कार्य
UP Cabinet Decision लोक निर्माण विभाग से वापस ल‍िए गया सरकारी भवनों का निर्माण कार्य

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। UP Cabinet Decision योगी सरकार ने 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले सरकारी भवनों के निर्माण को ईपीसी (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) पद्धति पर कराने का अधिकार लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) से छीन कर उसे नियोजन विभाग के अधीन गठित किये जाने वाले ईपीसी मिशन को सौंपने का निर्णय किया है।

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योगी कैब‍िनट ने ईपीसी को द‍िया सरकारी भवनों का निर्माण कार्य

  • नई व्यवस्था के अंतर्गत परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ होने के बाद 18 माह के अंदर उसे पूरा किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा। परियोजना की लागत का पुनरीक्षण अनुमन्य नहीं होगा।
  • सरकार ने यह निर्णय राजकीय मेडिकल कालेजों, अटल आवासीय विद्यालयों व अन्य सरकारी भवनों के निर्माण की सुस्त गति को देखते हुए किया है। इन सरकारी भवनों का निर्माण लोनिवि की देखरेख में किया जा रहा था।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में किये गए इस निर्णय की जानकारी नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक 50 करोड़ रुपये से अधिक लागत के सरकारी भवनों की ड्राइंग, डिजाइन लोनिवि तैयार करता था। फिर वह निविदा आमंत्रित कर इन भवनों के निर्माण के ठेके देता था।
  • एक ही एजेंसी द्वारा सभी कार्य करने के कारण काम में गतिरोध महसूस किया जा रहा था। इसलिए सरकार ने तय किया है कि ईपीसी मोड में सरकारी भवनों के निर्माण का दायित्व ईपीसी मिशन को सौंपा जाए।
  • ईपीसी मिशन प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की तरह कार्य करेगा। यह परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किये जाने से लेकर उसके क्रियान्वयन और पूरा होने तक उसकी निगरानी के लिए उत्तरदायी होगा। परियोजना की डीपीआर भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर ही तैयार कराई जाएगी।
  • परियोजना की सैद्धांतिक सहमति के बाद छह माह में कार्य प्रारंभ किया जाएगा। ईपीसी मोड में भवन निर्माण के लिए जो निविदा आमंत्रित की जाएगी, उसमें राज्य व केंद्र सरकारों की निर्माण एजेंसियों के साथ निजी क्षेत्र की एजेंसियां भी हिस्सा ले सकेंगी।
  • परियोजना की डीपीआर, उसके कान्सेप्ट प्लान का अनुमोदन तथा परियोजना की निगरानी की जिम्मेदारी प्रशासकीय विभाग पर होगी।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गवर्निंग बाडी करेगी मार्गदर्शन

ईपीसी मिशन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक गवर्निंग बाडी होगी जो नीतिगत मार्गदर्शन के साथ परियोजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं का समाधान करेगी। परियोजना के कान्सेप्ट प्लान का अनुमोदन, उसकी प्रगति की समीक्षा तथा परियोजना प्रबंधन का कार्य भी करेगी। गवर्निंग बॉडी में स्थायी और अस्थायी सदस्य होंगे। गृह, राजस्व, वित्त, नियोजन, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, श्रम और वन विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव गवर्निंग बॉडी के स्थायी सदस्य होंगे। परियोजनाओं से संबंधित प्रशासकीय विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव अस्थायी सदस्य होंगे।

कार्यकारी समिति देखेगी रोजमर्रा के काम

ईपीसी मिशन के रोजमर्रा के काम के लिए अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव नियोजन विभाग की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति होगी। कार्यकारी समिति प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट का चयन, टेंडर की कार्यवाही तथा परियोजना की निगरानी करेगी। डीपीआर तैयार कराने पर आने वाले खर्च की धनराशि की व्यवस्था नियोजन विभाग के बजट में करायी जाएगी। कार्यकारी समिति की सहायता के लिए इसके अधीन एक तकनीकी सेल का गठन भी किया जाएगा। तकनीकी सेल के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा आवश्यक कार्मिक उपलब्ध कराए जाएंगे।

जिले में तकनीकी प्रकोष्ठ करेगा निगरानी

जिला स्तर पर परियोजना की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक तकनीकी प्रकोष्ठ होगा जिसमें लोनिवि, सिंचाई, ग्रामीण अभियंत्रण व अन्य अभियंत्रण विभागों के अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी होंगे। प्रकोष्ठ जिलाधिकारी को परियोजना की प्रगति व गुणवत्ता के बारे में निर्धारित अवधि में रिपोर्ट देगा।


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