अपट्रॉन इंडिया की जमीन बेचने की फिर से साजिश, रिपोर्ट तलब
शासन ने नगर निगम से तलब की रिपोर्ट। नगर निगम ने अपट्रॉन इंडिया को लीज पर दी थी जमीन। अब इस कीमती जमीन पर बिल्डर्स की नजर है।
लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। टेलीविजन बनाने वाली अर्धसरकारी संस्था अपट्रॉन इंडिया के दफ्तर और वर्कशॉप पर वर्षों पहले ही ताले लटक गए थे, लेकिन कीमती जमीनों पर बिल्डर्स की नजर है। ये जमीन नगर निगम ने अपट्रॉन इंडिया कारपोरेशन को लीज पर दी थी। तीस-तीस वर्ष और फिर तीस वर्ष के लिए लीज पर दी गई जमीन तब विवादों में आ गई थी, जब आइएफसीआइ ने अपट्रॉन द्वारा लोन की रकम न अदा करने पर उसके भवन को अपने अधिकार में ले लिया था।
अब शासन को फिर जानकारी मिली है कि नगर निगम की जमीन को निजी संस्था को बेचने की गुपचुप तैयारी चल रही है। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की बैठक में भी जमीन बेचने का मामला उठा था। आइटी और इलेक्ट्रानिक्स विभाग की बैठक में अधिकारियों ने जमीन को बेचे जाने का मामला उठाया था। गोमती बैराज के बगल और समता मूलक चौराहे के सामने यह जमीन प्राइम लोकेशन में है। जहां होटल बनाए जाने की योजना है। अब सचिव नगर विकास अनुराग यादव ने नगर आयुक्त से जमीन की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है।
ऐसे दी गई थी अपट्रॉन को जमीन
नगर निगम का गोमती बैराज के बगल में सलेज फार्म था। अपट्रॉन इंडिया को अपना व्यवसाय करने के लिए सलेज फार्म की 2,17,931 वर्गफीट जमीन दफ्तर और वर्कशॉप बनाने के लिए लीज पर दी गई थी। कई प्रतिबंध के साथ यह लीज 23 मई 1985 को गई थी। अपट्रॉन इंडिया ने अपने व्यवसाय के लिए विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से 9.70 करोड़ का लोन लिया था और व्यवसाय में घाटा होने के कारण लोन की अदायगी नहीं की थी। लोन देने वाली वित्तीय संस्था आइएफसीआइ ने आठ दिसंबर 2012 को अखबारों में सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करते हुए अपट्रॉन इंडिया के भवन को अपने अधिकार में ले लिया था। इसके बाद आइएफसीआइ ने भवन को बेचने के लिए 22 जनवरी 2013 को टेंडर निकाला दिया था। नगर निगम ने भवन बेचने की प्रक्रिया को रोकने के लिए आइएफसीआइ को पत्र लिखा था, लेकिन आइएफसीआइ ने भूमि भवन को शालीमार कारपोरेशन लिमिटेड को बेच दिया था। इस बिक्री के खिलाफ नगर निगम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसका मामला अभी विचाराधीन है।
निरस्त हो चुकी है लीज डीड
नगर निगम ने शर्तो का उल्लंघन करने पर अपट्रॉन इंडिया के पक्ष में की गई लीज डीड को 19 जून 2013 को निरस्त करते हुए अपना कब्जा ले लिया था।