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कांग्रेस सरकार ने दी थी ऊसर-बंजर भूमि को वक्फ में दर्ज करने की छूट, योगी सरकार करा रही जांच

उत्‍तर प्रदेश में चुनावी फायदे के लिए 1989 में एनडी तिवारी सरकार ने जारी किया था आदेश। अब शासनादेश निरस्त कर योगी सरकार सभी वक्फ संपत्तियों की जांच करा रही है और ऐसी संपत्‍ति‍यों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

By Shobhit SrivastavaEdited By: Anurag GuptaPublished: Sun, 25 Sep 2022 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 07:26 AM (IST)
कांग्रेस सरकार ने दी थी ऊसर-बंजर भूमि को वक्फ में दर्ज करने की छूट, योगी सरकार करा रही जांच
राजनीत‍िक लड़ाई में सरकारी जमीनें वक्फ में दर्ज कर कब्जा की जाती रहीं।

लखनऊ, [शोभित श्रीवास्तव]। अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले सात अप्रैल, 1989 को शासनादेश जारी कर राजस्व में दर्ज ऊसर, बंजर व भीटा भूमि को भी प्रयोग के आधार पर वक्फ संपत्तियों में शामिल करने की खुली छूट दे दी थी। राजनीतिक फायदे के लिए किए गए आदेश से कांग्रेस को भले ही चुनाव में फायदा न मिला हो लेकिन उसकी आड़ में सरकारी जमीनें वक्फ में दर्ज कर कब्जा की जाती रहीं। 33 वर्ष बाद योगी सरकार शासनादेश निरस्त कर वक्फ में दर्ज सभी संपत्तियों की अब जांच करा रही है।

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लेक‍िन नहीं म‍िला राजनीतिक लाभ  

वर्ष 1989 में एनडी तिवारी की सरकार में सरकारी जमीनों को वक्फ में दर्ज करने संबंधी शासनादेश किया गया था, लेकिन उम्मीद के मुताबिक राजनीतिक लाभ नहीं मिला। उसके बाद हुए चुनाव में वह महज 94 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। बाद में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में जनता दल और फिर दूसरे दलों की भी सरकारें बनी लेकिन इस मसले को किसी ने नहीं छुआ।

अब योगी सरकार ने आदेश निरस्त कर वक्फ संपत्तियों की जांच कर राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं। जांच में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, बिक्री के अलावा देखा जाएगा कि कब्रिस्तान, मस्जिद व ईदगाह जैसी संपत्तियां मौके पर हैं भी या नहीं? शासनादेश निरस्त होने से गलत तरीके से वक्फ में दर्ज सरकारी संपत्तियां वापस भी ली जाएंगी।

क्या होती है वक्फ संपत्तियां

"वक्फ" का मतलब किसी भी धार्मिक काम के लिए किया गया कोई भी दान होता है। इसका उपयोग केवल इस्लामिक कानून के तहत पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इसमें मस्जिद, ईदगाह, इमामबाड़ा, दरगाह, मकबरा, कब्रिस्तान आदि आते हैं। दो तरह के वक्फ में एक वक्फ अलल औलाद का मतलब वह संपत्ति जो परिवार के ही सदस्यों के लिए होती है। दूसरा वक्फ अलल खैर जिसका मतलब सार्वजनिक वक्फ है। इसकी देखभाल की जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड की होती है।

प्रदेश में हैं 2.24 लाख वक्फ संपत्तियां

वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आफ इंडिया के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 2,24,863 वक्फ संपत्तियां हैं। इनमें उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पास कुल 2,09,477 संपत्तियां हैं। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पास 15,386 संपत्तियां हैं। प्रदेश में 255 वक्फ संपत्तियों में विवाद होने के कारण मामला न्यायालय में चल रहा है। यूं तो हजारों की संख्या में वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं लेकिन वक्फ बोर्ड के रिकार्ड में मात्र 456 संपत्तियां ही ऐसी हैं जिनमें कब्जे हैं।

क्‍या कहते हैं राज्‍य मंत्री 

वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हो रहे थे। वर्तमान में वक्फ संपत्तियां अभिलेखों में कुछ है जबकि मौके पर कुछ और है। योगी सरकार उन्हें संरक्षित व अल्पसंख्यकों के हित में व्यवस्थित करने के लिए जांच करा रही है।  -दानिश आजाद अंसारी, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ राज्यमंत्री


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