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कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कहा- यूपी में कंपनियों के फायदे के लिए बढ़ाई गईं बिजली की दरें

प्रियंका वाड्रा ने कहा कहा कि उपभोक्ता परिषद की घरेलू फिक्स्ड चार्ज व कामर्शियल न्यूनतम चार्ज खत्म करने व किसानों के लिए बिजली दरों में कमी किए जाने की मांग एकदम जायज है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 04:44 PM (IST)
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कहा- यूपी में कंपनियों के फायदे के लिए बढ़ाई गईं बिजली की दरें
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने कहा- यूपी में कंपनियों के फायदे के लिए बढ़ाई गईं बिजली की दरें

लखनऊ, जेएनएन। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने कहा कि यूपी में बिजली की दरें कंपनियों के फायदे के लिए बढ़ाई गईं हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से घरेलू फिक्स्ड चार्ज व कामर्शियल न्यूनतम चार्ज खत्म करने व किसानों के लिए बिजली दरों में कमी किए जाने की मांग एकदम जायज है। उत्तर प्रदेश सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

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बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं से राय लेकर तैयार किया गया बिजली दरों का शेड्यूल मंगलवार को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष राज प्रताप सिंह को सौंपकर जनहित में बिजली दरों को कम करने की मांग की। उपभोक्ता परिषद ने अपने प्रस्ताव में घरेलू फिक्सड चार्ज और वाणिज्यिक श्रेणी के लिए लागू मिनिमम चार्ज को समाप्त करने व किसानों की बिजली दरों में कमी करने की मांग की है। यह पहला मौका जब जनता की ओर से बिजली दरों का शेड्यूल नियामक आयोग के समक्ष दाखिल किया गया है।

बिजली दरें कम कराने का अनुरोध : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों की ओर से वर्ष 2020-21 के लिए दाखिल किये गए एआरआर व बिजली दर प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से उनकी आपत्तियों सहित बिजली दरों का शेड्यूल विद्युत नियामक आयोग अध्यक्ष को सौंप कर जनहित में बिजली दरें कम कराने का अनुरोध किया। उपभोक्ता परिषद ने शेड्यूल में घरेलू ग्रामीण व शहरी विद्युत उपभोक्ताओं और किसानों की बिजली दरों में कमी दर्शाते हुए इसे लागू करने की मांग की है। परिषद की ओर से कहा गया कि कोरोना महामारी के मद्देनजर देश के अनेक राज्यों में बिजली दरों में कमी की गई है।

आयोग को विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट सौंपी : प्रदेश के उपभोक्ताओं से राय के बाद बिजली दरों में कमी का जो प्रस्ताव दाखिल किया गया है, वह पिछले वर्ष नियामक आयेाग द्वारा उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकले 13337 करोड़ रुपये के आधार पर प्रस्तावित किया गया है। आयोग से इसी रेट शेडयूल पर आम जनता से चर्चा कराने की मांग भी की गई है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन के 4500 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे को घटाकर प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को चार प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देने की भी मांग की है। जनता की ओर से बिजली दरों का शेडयूल प्रस्तावित करने के साथ उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग को विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट भी सौंपी है।

किसानों के लिए भी टैरिफ में कमी का सुझाव : उपभोक्ता परिषद ने ग्रामीण घरेलू बीपीएल श्रेणी के उन उपभोक्ताओं को, जिन्हें सौभाग्य योजना के तहत बिजली का कनेक्शन दिया गया है, उनकी एक अलग श्रेणी बनाकर उन्हें मात्र एक रुपये से लेकर 1.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल वसूलने का प्रस्ताव दिया है। प्रस्ताव में किसानों की दर 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर को 150 रुपये प्रति हॉर्स पावर करने की मांग के साथ महंगी बिजली खरीद की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग भी की गई है। परिषद ने समय से बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं को बिल में तीन प्रतिशत की छूट देने, स्मार्ट मीटर गोलमाल पर प्रतिबंध लगाने, उपभोक्ताओं को नियत समय से सेवा न देने पर उन्हें मुआवजा देने, एमयू बेस्ड बिलिंग के आधार पर ही अनिवार्य रूप से बिजली का बिल देने, लाइन हानियों में की गई अनाप-शनाप बढ़ोतरी की जांच कराने के मुद्दे भी उठाए हैं।


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