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तालमेल या गुटबाजीः कांग्रेस के ब्लॉक सम्मेलनों में युवाओं को तरजीह

ब्लॉक सम्मेलनों से कांग्रेस के दिग्गज नेता दूरी बनाएं है लेकिन युवा नेता शिरकत कर रहे हैं। इससे कांग्रेस अब युवा होती नजर आने लगी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 08:16 AM (IST)
तालमेल या गुटबाजीः कांग्रेस के ब्लॉक सम्मेलनों में युवाओं को तरजीह
तालमेल या गुटबाजीः कांग्रेस के ब्लॉक सम्मेलनों में युवाओं को तरजीह

लखनऊ (जेएनएन)। समझा जाता है कि कांग्रेस अब युवा हो रही है। कांग्रेस की मिशन-2019 की तैयारियां चल रही है। साथ ही गठबंधन की चर्चा भी है। इसके चलते ही ब्लॉक सम्मेलनों से दिग्गज नेताओं ने दूरी बना रखी है लेकिन युवा नेता शिरकत कर रहे हैं। इसे आपसी तालमेल कहा जाए या गुटबाजी लेकिन कांग्रेस में युवा को तरजीह मिलती दिखने लगी है। जमीनी स्तर पर सम्मेलनों के जरिये संगठन की सक्रियता बढ़ाने व पार्टी विस्तार जैसी योजना के अपेक्षित परिणाम लेने के लिए कांग्रेस नेतृत्व सक्रिय है। 

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सम्मेलनों में युवा उभरते विचार

कांग्रेस के ब्लाक सम्मेलनों में कुछ इस तरह विचार सामने आ रहे हैं जो मौजूदा सत्तारूढ़ दल की काट करते नजर आते हैं। एक ब्लाक सम्मेलन में नेताओं का बयान कुछ इस तरह रहा। सामाजिक समदर्शिता और वैचारिक दूरदर्शिता ही दो ऐसे पहलू हैं जिसके माध्यम से कोई भी देश तरक्की करता है और विकास की नई ऊंचाई को पाता है। मौजूदा सरकार ने जाति एवं धर्म का चश्मा पहन कर समाज को तोडऩे का काम किया है। कांग्रेस ने देश को सामाजिक समदर्शिता और वैचारिक दूरदर्शिता से चलाया और देश को विश्व के 10 मुख्य देशों की सूची में शामिल कराया। कांग्रेस ने अपनी सरकार में देश के विकास के लिए जो काम किया वो आज विश्व में भारत की पहचान बन गयी है। 

 

लोकतंत्र बचाने के लिए संकल्पित कांग्रेस 

एक अन्य ब्लाक सम्मेलन में कांग्रेस नेताकहते हैं कि भारत किसानों का देश है और किसान ही इस देश का निर्माता है। वह रात दिन एक कर व बैंक से कर्ज लेकर अपनी फसल को उगाता है मगर सरकार वादा करने के बाद भी केवल लागत का ही पैसा दे रही है। यह सरकार की वादा खिलाफी का सबूत है। कांग्रेस ने सदैव राष्ट्रहित के साथ-साथ लोकतंत्र के दायरे में रहकर काम किया है और लोकतंत्र को बचाने के लिए कांग्रेस सदैव संकल्पित रही है। मौजूद सरकार आज जो भारत को जाति, वर्ग और धर्म वार बांट रही है और समाज के प्रत्येक तबके के बीच में गहरी खाई खोद कर भारत की अखंडता की धज्जियां उड़ा रही है। आज डॉलर की अपेक्षा रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। अब आगे मौजूदा सरकार क्या करना चाहती है। 

ब्लॉक सम्मेलनों की समयावधि बढ़ाई गई 

दरअसल, पांच जून से आरंभ ब्लॉक सम्मेलन वैसे तो 25 जून तक पूरे किए जाने थे लेकिन, बीच में ईद का त्यौहार आने के कारण इसकी समयावधि बढ़ा दी गई थी। सम्मेलनों के आयोजन की जिम्मेदारी जिला और शहर अध्यक्षों के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के सदस्यों को सौंपी गई थी। पार्टी नेताओं का दावा है कि 80 प्रतिशत तक सम्मेलन आयोजित हुए, जबकि सूत्रों का कहना इससे इतर है। अधिकतर जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की स्थिति स्पष्ट न होने और पीसीसी सदस्यों से तालमेल न हो पाने की बाधा भी उत्पन्न हुई।

गठबंधन की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से उत्साह कम

सम्मेलनों में पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय नेताओं की उपस्थिति भी अनिवार्य थी। जिला व शहर अध्यक्षों को भेजे पत्र में पूर्व विधायक सतीश अजमानी ने सम्मेलनों की रिपोर्ट व समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की कटिंग व फोटोग्राफ प्रदेश कार्यालय भेजने के निर्देश भी दिए थे। इतना ही नहीं सम्मेलनों के लिए 21 सूत्री एजेंडा भी तय किया था। संगठन समीक्षा के साथ भाजपा की खामियों पर जनमत तैयार करने की रूपरेखा भी तय होनी थी। भाजपा द्वारा चुनाव प्रचार में किए वादों का उल्लेख करते हुए इसे जनता के साथ किये गए मजाक के तौर पर प्रचारित करना था। ब्लाक सम्मेलन के बारे में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का कहना है कि गठबंधन व सीट बंटवारे की स्थिति स्पष्ट नहीं होने से कार्यकर्ताओं में उत्साह कम है। गठबंधन के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी द्वारा लगातार कांग्रेस को बेहद कम आंकने से भी बेचैनी है। इतना ही नहीं पार्टी नेतृत्व द्वारा मौन साधने से बढ़ी मायूसी का सम्मेलनों पर प्रतिकूल असर दिखा।


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