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पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के मामले में दूसरे विभागों में भ्रम की स्थिति

पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के लिए नगर विकास विभाग ने 12 विभागों को अधिकार तो दे दिए लेकिन, कार्रवाई को लेकर भ्रम की स्थिति बनी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 12:05 AM (IST)
पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के मामले में दूसरे विभागों में भ्रम की स्थिति
पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के मामले में दूसरे विभागों में भ्रम की स्थिति

लखनऊ (जेएनएन)। पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई के लिए नगर विकास विभाग ने 12 विभागों के अफसरों को अधिकार तो दे दिए लेकिन, कार्रवाई को लेकर अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इसका मुख्य कारण अभी तक स्पष्ट शासनादेश का जारी न होना है। इस कारण यह अफसर अभी कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह है कि इन्हें न तो कोई चालान बुक दी गई और न ही प्रोफार्मा जिससे यह जुर्माना तक वसूल सकें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पॉलीथिन, प्लास्टिक व थर्मोकोल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का निर्णय लिया है।

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  • पहले चरण में 15 जुलाई से 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक प्रतिबंधित
  • दूसरे चरण 15 अगस्त से प्लास्टिक थर्मोकोल कप, प्लेट, ग्लास व चम्मच प्रतिबंधित 

इन्हें मिला कार्रवाई का अधिकार

  • 1-डीएम, एडीएम, एसडीएम
  • 2-निकाय आयुक्त, अपर नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी, सफाई निरीक्षक
  • 3-यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, पर्यावरण अभियंता, वैज्ञानिक अधिकारी, सहायक पर्यावरण अभियंता, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी, अवर अभियंता व वैज्ञानिक सहायक
  • 4-निदेशक पर्यावरण, उप निदेशक पर्यावरण, सहायक निदेशक पर्यावरण
  • 5-मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चिकित्सा अधिकारी
  • 6-उप व सहायक माल एवं सेवाकर अधिकारी 
  • 7-प्रभागीय वन अधिकारी, उप प्रभागीय अधिकारी व क्षेत्रीय अधिकारी 
  • 8-तहसीलदार व नायब तहसीलदार
  • 9-पर्यटन अधिकारी व सहायक पर्यटन अधिकारी
  • 10-जिला पूर्ति अधिकारी और खाद्य निरीक्षक
  • 11-खाद्य एवं सुरक्षा निरीक्षक
  • 12-औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के सहायक प्रबंधक, अवर अभियंता व इससे ऊपर के सभी अधिकारी

12 विभागों को कार्रवाई का अधिकार

पॉलीथिन व प्लास्टिक पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने के लिए नगर विकास विभाग ने 12 दूसरे विभागों के अफसरों को भी कार्रवाई का अधिकार दिया है। लेकिन, नगर विकास विभाग ने दूसरे विभागों के अफसरों के द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का स्पष्ट शासनादेश जारी नहीं किया है। इस कारण भ्रम की स्थिति है। दूसरे विभाग के अफसर किस प्रकार कार्रवाई करेंगे, क्या कई विभाग मिलाकर संयुक्त जांच समिति बनेगी या फिर  विभाग अपने स्तर से कार्रवाई करेंगे। इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है। इन अफसरों के सामने दूसरी मुसीबत यह भी है कि अभी तक जुर्माना वसूल कर कहां जमा करना है इसकी भी जानकारी नहीं दी गई है। नगर विकास विभाग के अफसरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (उपयोग एवं निस्तारण का विनियमन) अध्यादेश ही 15 जुलाई को जारी हुआ है। इसी दिन अधिसूचना जारी कर 50 माइक्रोन तक की प्लास्टिक कैरीबैग प्रतिबंधित किए गए हैं। जल्द ही इसमें शामिल दूसरे विभागों के अफसरों के साथ बैठक कर शासनादेश जारी किया जाएगा। इसके बाद सारी स्थिति साफ हो जाएगी।

अभी नगरीय निकाय ही कर रहे कार्रवाई

पॉलीथिन के खिलाफ अभी केवल नगरीय निकाय ही कार्रवाई कर रहे हैं। जुर्माना भी केवल नगरीय निकाय ही वसूल रहे हैं। इसके अलावा दूसरे विभाग अभी इसमें कुछ नहीं कर पा रहे हैं। अध्यादेश व अधिसूचना जारी होने के बाद भी दूसरे विभागों के अफसरों को किस प्रकार कार्रवाई करनी है यह साफ नहीं है।


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