अब गन्ना समर्थन मूल्य तय करने को लेकर रार
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : चीनी मिल संचालकों और किसानों के बीच रार केवल गन्ना मूल्य के बकाया 320
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : चीनी मिल संचालकों और किसानों के बीच रार केवल गन्ना मूल्य के बकाया 3206.45 करोड़ रुपये को लेकर ही नहीं बल्कि अगले पेराई सत्र में समर्थन मूल्य निर्धारण मुद्दे पर भी तकरार बढ़ी है। मिल मालिक लगातार घाटा होने का दावा कर गन्ने की कीमत न बढ़ाने को दबाव बनाए है और मूल्य निर्धारण प्रक्रिया में भी बदलाव चाहते है। यानि गन्ना का समर्थन मूल्य राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न किया जाए बल्कि रंगराजन समिति की सिफारिशें यूपी में भी लागू हो परन्तु किसान संगठन इसके लिए कतई राजी नहीं।
लोकसभा चुनाव नजदीक आने से गन्ना मूल्य को लेकर सियासत गर्माएगी, जाहिर है सपा सरकार भी किसान विरोधी होने का ठप्पा लगने से बचेगी। गन्ना मूल्य बढ़ने की आंशका मिल संचालकों को बेचैन किए है। करीब एक दर्जन मिलें आगामी सत्र में पेराई करने से हाथ खींच रही है। दरअसल अक्टूबर 2010 के बाद से अब तक गन्ना समर्थन मूल्य में 36 प्रतिशत वृद्धि हुई लेकिन चीनी के दाम मात्र 11 फीसद ही बढ़े। मिलें अपनी चीनी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच रही हैं जबकि उन्हें गन्ना 280 रुपये प्रति क्विंटल दर से लेना पड़ता है। भुगतान के इस अंतर के चलते ही मिलों पर देनदारी बढ़ी है।
गन्ना समर्थन मूल्य न बढ़ाए सरकार
इस्मा के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिख प्रदेश के चीनी उद्योग को बचाने की मदद मांगी है। उनका कहना है कि सहकारी चीनी मिलों की तर्ज पर निजी क्षेत्र की मिलों को राहत दी जाए, दो हजार करोड़ रुपये बैंक ऋण उपलब्ध कराते हुए दो सौ करोड़ ब्याज का प्रबंध करें। अगले पेराई सत्र में गन्ना समर्थन मूल्य में वृद्धि न कर चीनी के दाम बढ़ने पर होने वाली आय में किसानों की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी कराए। प्रदेश में रंगराजन समिति की सिफारिश के आधार पर गन्ना मूल्य निर्धारित किया जाए वरना उद्योग को बचाना मुश्किल होगा।
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गन्ना मूल्य साढ़े तीन सौ से कम न हो
हाईकोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं होने से क्षुब्ध किसानों का कहना है बढ़ी मंहगाई को देखते हुए गन्ने का दाम साढ़े तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल से कम करना अन्याय होगा। भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विजयपाल तोमर कहते है कि मनमानी के चलते मिल संचालक कोर्ट और सरकार के आदेशों की अनदेखी करते रहे है। दाम बढ़ाने के पैरोकार किसान जागृति मंच के सुधीर पंवार का कहना है कि रंगराजन समिति की सिफारिश लागू करने से मिलों की तानाशाही बढ़ेगी और आम किसान बर्बाद हो जाएगा।
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गत वर्षो में गन्ना मूल्य वृद्धि दर
वर्ष गन्ना मूल्य सरकार
2006-07 125-130 सपा
2007-08 125-130 बसपा
2008-09 140-145 बसपा
2009-10 165-170 बसपा
2010-11 205-210 बसपा
2011-12 240-250 बसपा
2012-13 275-280 सपा
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गन्ना किसानों का बकाया करोड़ में
सहकारी मिलें 171.45
निजी क्षेत्र 3035.01
कुल 3206.45
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बड़ी बकाएदार 11 चीनी मिलें
चीनी मिल रकम लाख में
मलकपुर 12,881.43
मवाना 12,223.43
तितावी 7,697.16
मोदीनगर 7,053.81
नंगलामल 5,678.49
बहेड़ी 5,624.60
बिलारी 2,178.43
गड़ौरा 2,601.19
नबावगंज 2,162.76
नियोली 1,897.42
गोपी 559.12
-नोट: 6 अगस्त तक प्राप्त गन्ना विभाग के आंकड़ों के अनुसार
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