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गोरखपुर की नौ और लखनऊ की एक इकाई पर 6.25 करोड़ हर्जाना, UPPCB भी घेरे में

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर भी ठोका 4.75 करोड़ का जुर्माना। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी ने एनजीटी को भेजी रिपोर्ट।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 09:54 PM (IST)
गोरखपुर की नौ और लखनऊ की एक इकाई पर 6.25 करोड़ हर्जाना, UPPCB भी घेरे में
गोरखपुर की नौ और लखनऊ की एक इकाई पर 6.25 करोड़ हर्जाना, UPPCB भी घेरे में

लखनऊ, जेएनएन। नियम कानून ताक पर रख औद्योगिक इकाइयां खुलेआम दूषित उत्प्रवाह नालों में बहा रही हैं। यह उत्प्रवाह नदियों को तबाह कर रहा है। खास बात यह कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) बेखबर बना हुआ है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी ने गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (गीडा) की नौ इकाइयों सहित बाराबंकी रोड लखनऊ की एक इकाई को पर्यावरण एक्ट का उल्लंघन का दोषी पाया। कमेटी ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में इन इकाइयो पर 6.25 करोड़ का जुर्माना किया है। वहीं यूपीपीसीबी पर भी लापरवाही के लिए पहली बार 4.75 करोड़ का जुर्माना देने के आदेश दिए हैं। 

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कमेटी के सचिव राजेंद्र सिंह ने पर्यावरण निदेशालय में प्रेस वार्ता में बताया कि गीडा नाला सरैया नाले से होकर आमी नदी में मिलता है। आमी नदी जबर्दस्त प्रदूषण की चपेट में है। आमी नदी के प्रदूषण का मामला एनजीटी में पहुंचा था। सचिव ने बताया कि मे.देवेंद्र फीड्स प्रा.लि हैचरी में तीन लाख अंडों की प्रोसेसिंग होती है। यहां उत्प्रवाह शोधन के कोई इंतजाम न होने पर इसकी बंदी के साथ 50 लाख के हर्जाने की संस्तुति की गई है। वहीं, मे. भारती रिसर्च एंड ब्रीडिंग फार्म, मे.बर्नेट फार्मास्यूटिकल्स लि., गोरखनाथ एग्रो इंडस्ट्रीज, मदर श्री डेयरी, मे.डॉ.संधु हैचरी व डिव पोल्ट्री फार्म के साथ-साथ यूपीपीसीबी पर 50-50 लाख का पर्यावरणीय जुर्माना किया है। वहीं गीडा स्थित अलकेन कंस्ट्रक्शन पर 25 लाख और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर भी 25 लाख रुपये जुर्माने की संस्तुति एनजीटी से की गई है। 

बीएमडब्ल्यू का मैनेजमेंट कर रही इकाई खुद बीमार 

कमेटी ने बाराबंकी स्थित सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्रा.लि.का भी निरीक्षण किया। पाया गया कि शहर भर के अस्पतालों, पैथोलॉजी व क्लीनिकों से निकलने वाले खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट (बीएमडब्ल्यू) के प्रबंधन के नाम पर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बाउंड्रीवाल गायब होने से हानिकारक अस्पताली कचरा चारों तरफ फैला है। यही नहीं, प्लांट से निकली राख के बैग खुले में पड़े थे, जबकि इसको कानपुर स्थित रैमकी यूनिट में भेजा जाना चाहिए था। ग्रामीणों ने कमेटी को बताया कि आसपास रहने वाले करीब 20 लोग कैंसर से पीडि़त हो गए हैं। कमेटी ने इकाई पर दो करोड़ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर लापरवाही बरतने के लिए 50 लाख रुपये हर्जाने की संस्तुति एनजीटी से की है।


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