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उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद ने लिखा 'एम' होना गुनाह!

उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद ने आइपीएस आफिसर वाट्सएप ग्रुप में लिखा अल्लाह की मर्जी। बुरा तो लगता है पर एम होना गुनाह है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 10:52 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद ने लिखा 'एम' होना गुनाह!
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद ने लिखा 'एम' होना गुनाह!

लखनऊ, जेएनएन। यूपी के डीजीपी रह चुके जावीद अहमद की एक टिप्पणी के चलते हलचल मच गई है। वह सीबीआइ निदेशक बनने की दौड़ में शामिल थे लेकिन, मौका न मिलने पर उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिया। जावीद ने आइपीएस आफिसर वाट्सएप ग्रुप में लिखा 'अल्लाह की मर्जी। बुरा तो लगता है पर एम होना गुनाह है।' एम का आशय उनके मुसलमान होने से लगाया जा रहा है और यह माना जा रहा है कि यह प्रतिक्रिया निदेशक न बनने पर ही उन्होंने जारी की। इस बारे में जावीद से मोबाइल फोन पर पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

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आइपीएस आफिसर ग्रुप पर टिप्पणी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने शनिवार को सीबीआइ के नये निदेशक के लिए मध्य प्रदेश कैडर के 1983 बैच के आइपीएस ऋषि कुमार शुक्ल के नाम को मंजूरी दे दी। इस फैसले के बाद ही केंद्र में डीजी एनआइसीएफएस (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ क्रिमिनोलॉजी एंड फोरेंसिक साइंस) के पद पर तैनात जावीद अहमद ने आइपीएस आफिसर ग्रुप पर टिप्पणी की। ग्रुप के ही एक सदस्य ने इस टिप्पणी को देर रात मीडिया में सार्वजनिक कर दिया। 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी जावीद अहमद सपा और भाजपा सरकार में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके हैं। सपा सरकार में जावीद अहमद को कई वरिष्ठों की अनदेखी करके यूपी का डीजीपी बनाया गया था। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने उन पर गंभीर आरोप लगाये। 19 मार्च, 2017 को योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही यह दावा होने लगा कि जावीद हटा दिए जाएंगे लेकिन, सरकार ने उन्हें 22 अप्रैल, 2017 तक डीजीपी बनाये रखा। फिर 1980 बैच के सुलखान सिंह को योगी सरकार ने डीजीपी बनाया। हटाये जाने के बाद भाजपा सरकार ने जावीद को डीजी पीएसी का महत्वपूर्ण पद दिया। 

 अगर जावीद ने ऐसा कहा तो उचित नहीं

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी अतुल से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्हें सहसा यकीन नहीं हुआ कि जावीद अहमद ने ऐसी कोई टिप्पणी की है। अतुल का कहना था 'अगर जावीद ने ऐसा कहा है तो उचित नहीं है। इस देश में बहुत से मुस्लिम अफसरों को मौका मिला है। अगर किसी खराब और जूनियर आदमी को सीबीआइ का निदेशक बनाया गया होता तो यह टिप्पणी समझ में आती। नियुक्ति प्रक्रिया कभी-कभी सवालों में आ जाती है लेकिन, अभी भी उस संस्था पर मुझे भरोसा है।' जावीद अहमद की इस टिप्पणी को लेकर आइपीएस अफसरों में भी कई तरह की राय है। पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह ने कहा 'जावीद सीबीआइ में 13 वर्ष रहे हैं और अच्छे अफसर हैं। अगर उन्होंने यह महसूस किया तो सोचने वाली बात है। पर कमेटी बहुत से बिंदुओं का अवलोकन करके फैसला करती है। फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है।'


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