लखनऊ में अब जरूरतमंद को बिना डोनर मिलेगा खून, लोहिया संस्थान की सराहनीय पहल
Lohia Institute Lucknow हर साल की तरह इस बार भी लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने एक सराहनीय पहल की है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर सभी जरूरतमंद को लोहिया संस्थान बिना डोनर के खून उपलब्ध कराएगा। राष्ट्रीय दिवसों और महत्वपूर्ण अवसरों पर मरीजों को खून मुहैया कराया जाता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। गणतंत्र दिवस के अवसर पर डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती मरीजों समेत अन्य अस्पतालों के मरीजों को भी बिना किसी डोनर के रक्त यूनिट मुहैया होगी। संस्थान की निदेशिका डा. सोनिया नित्यानंद के अनुसार, वर्ष 2014 से प्रतिवर्ष संस्थान में गणतंत्र दिवस, दो अक्टूबर, 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय दिवसों और महत्वपूर्ण अवसरों पर मरीजों और जरूरतमंदों को बिना किसी डोनर के ब्लड यूनिट उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस वर्ष भी यह परंपरा जारी रहेगी।
ब्लड बैंक प्रभारी डा. वीके शर्मा ने बताया कि लोहिया संस्थान में इमरजेंसी, कैंसर विभाग, कार्डियक सर्जरी विभाग, यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी, मेडिसिन विभाग, प्रसूति विभाग और सर्जरी जैसे विभागों के मरीजों के लिए रक्त की सबसे अधिक आवश्यकता पड़ती है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर संस्थान और अस्पताल में भर्ती मरीजों को बिना डोनर के निशुल्क रक्त मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही किसी भी सरकारी अस्पताल से आने वाले जरूरतमंद को भी निशुल्क रक्त मिलेगा। निजी अस्पतालों से रक्त के लिए आने वाले व्यक्तियों को प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा।
सिविल अस्पताल में खून जांच के लिए भटक रहे मरीज: श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में आए दिन तीन हजार से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं। इसके बावजूद समय से पहले लैब बंद कर दी जा रही है। अगर आपको खून से जुडी जांच करवानी है तो 12 बजे से पहले ही परिसर में पहुंच जाएं। नहीं तो आपको वापस भेज दिया जाएगा।सिविल अस्पताल में डाक्टरों की ओर से हर दिन 500 से अधिक मरीजों को खून की जांच कराने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन, 32 नंबर कमरे के सामने बने ब्लड कलेक्शन काउंटर को दोपहर 12 बजे ही बंद कर दिया जा रहा है। जबकि लैब सुबह साढ़े 8 से दोपहर एक बजे तक खोलने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को देखा गया कि जब मरीज दोपहर 12 बजे के बाद लैब में जांच कराने पहुंचे तो उन्हें यहां बैठे कर्मचारी ने कल आने की सलाह दी। ऐसे में मरीजों को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है।