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नम आंखों के साथ निकला राजधानी में कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत

बड़े इमामबाड़े में निकाला गए ताबूत। नम आंखों से जियारत कर अजादारों ने पेश किया आंसुओं का पुरसा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 06:24 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 06:24 PM (IST)
नम आंखों के साथ निकला राजधानी में कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत
नम आंखों के साथ निकला राजधानी में कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत

लखनऊ(जेएनएन)। बहत्तर हैं खुदा वालों, सलाम ऐ कर्बला वालों...। एक-एक करके सिलसिलेवार कर्बला के 72 शहीदों का ताबूत देख अजादारों के हाथ जियारत को उठ गए। नम आंखों से अजादारों ने अपने पास से गुजर रहे ताबूत मुबारक की जियारत कर शहीदों को आंसुओं का पुरसा पेश किया।

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कर्बला के शहीदों की याद में शनिवार को बड़े इमामबाड़े में 72 ताबूत निकाला गया। सबसे पहले अंजुमन शब्बीरिया की ओर से इमामबाड़ा परिसर में मजलिस का आयोजन किया गया। मौलाना तकी रजा ने मजलिस को खिताब कर कर्बला के पैगाम को आम किया। मौलाना ने कहा कि कर्बला की जंग अच्छाई और बुराई के बीच थी।

पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम ने अपने 71 साथियों के साथ यजीद की लाखों की फौज से मुकाबला करके यह बता दिया कि तादाद कम होने के बाद भी जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है। फिर चाहे बुराई के रास्ते पर चलने वालों की संख्या कितनी भी क्यों न हो।

 

मौलाना ने इमाम की शहादत का मंजर बयां किया, तो अजादारों की आंखें नम हो उठीं। मजलिस के बाद एक-एक करके सिलसिलेवार ताबूत के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया। मौलाना कैसर जौनपुरी ने अपने खास अंदाज में मंजरकशी कर कर्बला के 72 शहीदों की सिलसिलेवार कुर्बानियों को बयां किया, जिसे सुन अजादारों की सदाएं बुलंद हो उठीं। इसी के साथ अजादारों ने कर्बला के 72 शहीदों के ताबूत की जियारत की। ताबूत के साथ अजादारों को अलम, गहवारा व जुलजनाह सहित अन्य शबीह-ए-मुबारक की जियारत कराई गई। बड़े इमामबाड़े में देर रात तक जियारत का सिलसिला जारी रहा। 

दहकते अंगारों पर चल किया आग का मातम

लब पर या हुसैन की सदाएं और हाथ में हजरत अब्बास अलमदार के अलम मुबारक को लेकर अजादारों ने आग पर मातम किया। नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर अजादारों ने कर्बला के असीरों को पुरसा पेश किया। पक्का पुल के पास स्थित दरियावाली मस्जिद में मौलाना जावेद आब्दी ने मजलिस को खिताब किया। मजलिस के बाद मस्जिद परिसर में आग पर मातम कर शहीदों का गम मनाया।

 

मातमी अंजुमन ने देर रात तक नौहाख्वानी व सीनाजनी की। इसके बाद नज्र-ए-मौला का एहतमाम किया गया। वहीं, गोलागंज स्थित मकबरा आलिया में अजादारों को शबीह-ए-मुबारक की जियारत कराई गई। इसी तरह अक्सा ट्रस्ट की ओर से गोलागंज स्थित मस्जिद मीर हैदर हुसैन में चल रही पांच दिवसीय मजलिसों का सिलसिला शनिवार को पूरा हो गया। अंतिम दिन मौलाना अली अब्बास खान ने मजलिस पढ़ी।


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