भट्टियों के हवाले प्रदूषण के नियम-कानून, रोक के बाद भी जलाया जा रहा कोयला
प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है मगर नियम-कानून भट्टियों के हवाले है। रोक के बावजूद जगह-जगह अंधाधुंध कोयले को जलाया जा रहा है। भट्टियों से उठने वाला धुआं हवा को और दूषित बना रहा है। नतीजा कोरोना काल में लोगों का सांस लेना दूभर है।
लखनऊ, जेएनएन। प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है मगर, नियम-कानून भट्टियों के हवाले है। रोक के बावजूद जगह-जगह अंधाधुंध कोयले को जलाया जा रहा है। भट्टियों से उठने वाला धुआं हवा को और दूषित बना रहा है। नतीजा, कोरोना काल में लोगों का सांस लेना दूभर है।
प्रशासन ने निर्माण कार्यों के साथ ही कोयले से भट्टियां जलाने पर रोक लगाई है। इसके बावजूद शहर में हर इलाके और सड़क किनारे होटल, रेस्टोरेंट व लइया-चने की पटरी दुकानों पर कोयला जलाया जा रहा है। सहालग के चलते कोयले की लगातार डिमांड बढ़ रही है। सीतापुर रोड के कोयला व्यवसायी कमल का कहना है कि सर्दियों में कोयले की डिमांड दोगुनी तक पहुंच जाती है।
एफएसडीए के अभिहीत अधिकारी एसपी सिंह का कहना है कि होटल, रेस्टोरेंट और रिसोर्ट सहित खोमचों और ठेले वालों को भी कोयले का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया है। कहीं पर कोयला जलता पाया गया तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।
डीएम अभिषेक प्रकाश ने बताया कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए निर्देशों का पालन कराया जाएगा। निर्माण कार्यों में अव्यवस्था से प्रदूषण फैलाने वाले कई बिल्डरों पर जुर्माना लगाया गया है। कोयला जलाने पर भी जुर्माना लगेगा।