मुख्य आरोपी नाबालिग करार
विधि संवाददाता, लखनऊ : सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या के मुख्य आरोपी को किशो
लखनऊ। सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या के मुख्य आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड द्वारा बालिग घोषित किए जाने के आदेश को सत्र न्यायाधीश केके शर्मा ने रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा है कि आरोपी के हाईस्कूल के प्रमाणपत्र के अनुसार वह घटना के समय अपचारी किशोर था।
किशोर न्याय बोर्ड ने गत 29 मई 2013 को मामले की जांच करने के बाद अभिभावक राम छबीले की ओर से दी गई उस अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें अपचारी किशोर घोषित करने की मांग की गई थी। किशोर न्याय बोर्ड के फैसले के विरुद्ध दायर अपील का निस्तारण करते हुए सत्र अदालत ने कहा है कि जब किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्धारण किया जाता है तब सर्व प्रथम हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में अंकित जन्मतिथि, उसके अभाव में प्रथम बार अध्ययन हेतु प्रवेश के लिए दर्ज कराई गई जन्म तिथि, उसके अभाव में निगम, नगर पालिका अथवा मतदाता सूची में अंकित आयु को आधार बनाया जाएगा। यदि यह भी संभव न हो तब मेडिकल बोर्ड के माध्यम से आयु का निर्धारण किया जाता है।
अदालत ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा है कि हाईस्कूल प्रमाण पत्र के अनुसार घटना के समय 16 वर्ष 9 माह 14 दिन का था। इस मामले में दुखी राम उ'चतर माध्यमिक विद्यालय के रिकॉर्ड में ब्लेड से खुरच ह्वाइनर का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखना होगा कि यह इस घटना के कई वर्ष पूर्व किया गया था। उस समय कोई भी व्यक्ति यह सोच नहीं सकता कि इस प्रकार जन्मतिथि में हेराफेरी करने में भविष्य में घटित होने वाले हत्या जैसे मामलों में वह उसका फायदा उठाएगा। अदालत ने कहा है कि मामले के तथ्यों से अलग हटकर देखना होगा कि हाईस्कूल के प्रमाण पत्र में कितनी सत्यता है। अदालत ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ से पूछा कि योगेन्द्र यादव की जन्म तिथि को 18 मई 1996 न मानकर 18 दिसंबर 1994 क्यों माना जा रहा है तथा इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि योगेन्द्र की जन्मतिथि 1994 न होकर 1996 हो। अदालत ने कहा है कि यह भी संभव हो सकता है कि स्कूल के रिकॉर्ड में त्रुटि वश 18-12-1994 तिथि अंकित हो गई हो जिसे तुरंत बाद स्कूल से संपर्क कर सुधारा गया हो।
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