कैसे कम हो प्रदूषण, विभागों और तेल कंपनियों के बीच लटके सीएनजी पंप
एक दर्जन से अधिक सीएनजी पंप सरकारी विभागों और तेल कंपनियों के बीच में अटके पड़े हैं, जिस कारण उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
लखनऊ, (राजीव बाजपेयी)। राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर को पार कर चुका है लेकिन सरकारी महकमे नहीं चेत रहे हैं। राजधानी में वाहनों की संख्या बीस लाख का आंकड़ा पार कर गई है। वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण के स्तर को लगातार बढ़ा रहा है। सीएनजी प्रदूषण को सुधारने में मददगार हो सकती हैं लेकिन पंपों के खुलने में एनओसी रोड़ा है। तेल कंपनियां कह रही हैं कि एनओसी मिलने में महीनों लग जाते हैं। यही वजह है कि सीएनजी सुविधा देने से पहले एनओसी लेना बड़ी चुनौती है। इस कारण सीएनजी का विस्तार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
जनवरी से अब तक एनओसी नहीं
गैस कंपनी के मुताबिक दुबग्गा मदर स्टेशन की एनओसी जनवरी में दाखिल की गई थी जो अब तक नहीं मिली। स्टेशन का सिविल वर्क तो हो चुका है लेकिन एनओसी के चक्कर में पंप चालू नहीं किया जा सका।
तीन मदर स्टेशन शुरू होने का इंतजार
ग्रीन गैस विकल्प खंड गोमतीनगर, ट्रांसपोर्टनगर और दुबग्गा में मदर स्टेशन खोलने पर काम कर रही है। ग्रीन गैस के एमडी जिलेदार का कहना है कि एनओसी मिलते ही काम शुरू हो जाएंगे। इन पंपों के शुरू होने के बाद लखनऊ में मदर स्टेशन की संख्या आठ हो जाएगी।
घटतौली में चार पंप, 18 हो रहे संचालित
गत वर्ष एसटीएफ के छापे में जिन चार पंपों पर घटतौली पकड़ी गई थी वहां पर आइओसी ने डीलरशिप निरस्त कर दी। इसके चलते सीएनजी भी बंद हो गई। शेष 18 पंप संचालित हैं।
कहां-कहां से लेनी पड़ती है एनओसी
जिला प्रशासन, वन विभाग, फायर, एलडीए, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी या एनएच व नागपुर विस्फोटक संस्थान।
क्या कहते हैं डीएम
किसी पंप की एनओसी नहीं रोकी जाती। जिनके अभिलेख पूरे हैं उनको तत्काल जारी किया गया है। तेल कंपनियों की लापरवाही से कई पंप नहीं शुरू हो सके हैं। जहां एनओसी के बावजूूद नहीं शुरू हुए उनमें कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है।