सिद्धपीठ के रूप में ख्याति प्राप्त नवीनीकृत कोनेश्वर मंदिर का आज CM करेंगे उद्घाटन, सात साल से चला रहा था कार्य
यहां मिलेगी महादेव के 12 स्वरूप के दर्शन की अनुभूति। चौक के कोनेश्वर मंदिर के नवीनीकरण का कार्य पूरा। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन भी रहेंगे मौजूद।
लखनऊ, जेएनएन। सिद्धपीठ के रूप में मान्य चौक के कोनेश्वर मंदिर के नवीनीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। करीब सात साल यानी 12 फरवरी 2013 से मंदिर के नवीनीकृत का कार्य चल रहा था। श्री कोनेश्वर महादेव मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपाल जी' ने बताया कि नवीनीकृत मंदिर का उद्घाटन मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की मौजूदगी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल करेंगे।
शाम चार बजे से होने वाले समारोह में स्वामी अच्युतानंद तीर्थ जी महाराज के अलावा उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित कई गणमान्य लोग शामिल होंगे। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध चौक इलाके में वैसे तो भगवान शिव के विविध स्वरूप श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं, लेकिन कोनेश्वर महादेव मंदिर का स्वरूप खास है। सदियों पहले गोमती के तट पर कौंडिन्य ऋषि ने मंदिर की स्थापना की थी। उन्हीं के नाम से मंदिर का नाम चल रहा है। मान्यता है कि श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण ने भी मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी।
दिखेगा सामाजिक सरोकार
सिद्धपीठ के रूप में ख्याति प्राप्त मंदिर को सामाजिक सरोकारों से जोडऩे की पहल के चलते वर्ष 2013 से मंदिर का नवीनीकरण शुरू हुआ था। मंदिर में एक ओर जहां भोलेनाथ के अभिषेक के जल को प्यूरीफाई कर उससे भूमिगत जल को बढ़ाए जाने के लिए सोख्ता बनाया गया है तो दूसरी ओर ऊर्जा संरक्षण के लिए मंदिर परिसर में सौर ऊर्जा का प्लांट स्थापित किया गया है। मंदिर में जहां महादेव के 12 स्वरूप के दर्शन की अनुभूति होगी तो वहीं 18 भगवान की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खीचेंगी।
सोमनाथ मंदिर से लेकर अयोध्या के श्रीराम मंदिर समेत देश के धार्मिक स्थानों को बनाने वाले अहमदाबाद के सौमपुरा परिवार के निर्देशन में मंदिर को नए स्वरूप में ढाला गया है। मंदिर के ऊपर सत्संग हॉल बनाया गया है यहां आने वाले संतों को ठहरने और सेवा के लिए दो कमरे भी तैयार किए गए हैं। यही नहीं मंदिर में चढऩे वाले फूलों से अगरबत्ती बनाकर आने वाले श्रद्धालुओं को समृद्धि का पाठ भी पढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। अगरबत्ती बनाने वाली मशीन भी लगाई जाएगी।