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भारत को समझने को हमें संस्कृत की शरण में जाना होगा : योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत को अच्छी तरह तथा ठीक से समझने के लिए हमको संस्कृत की शरण में जाना होगा। इस भाषा ने ही हमेशा से हमको मजबूती दी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 02:38 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 03:36 PM (IST)
भारत को समझने को हमें संस्कृत की शरण में जाना होगा : योगी आदित्यनाथ
भारत को समझने को हमें संस्कृत की शरण में जाना होगा : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ में संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डाला। पीडब्ल्यूडी के विश्वेश्वरैया हाल में आज उन्होंने ने राजकीय संस्कृत विद्यालयों के 18 बालिका छात्रावास के साथ 19 राजकीय हाई स्कूल और 16 राजकीय इंटर कालेज के भवनों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत परिषद की परीक्षा में शीर्ष दस स्थान प्राप्त करने वाले 40 मेधावियों को सम्मानित भी किया।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि भारत को अच्छी तरह तथा ठीक से समझने के लिए हमको संस्कृत की शरण में जाना होगा। इस भाषा ने ही हमेशा से हमको मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को सीमित दायरे में कैद करके मत रखिए। इसको आधुनिकता के साथ जोडऩे का प्रयास कीजिए। भारत तो संस्कृत के दम पर दुनिया के प्राचीन राष्ट्रों से एक है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अंग्रेज आए लेकिन जब भारत की चेतना आई तो उनको भागना पड़ा। भारत का स्वाभिमान जागृत न हो सके, इसलिए उस दौर में संस्कृत की उपेक्षा की गई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम हर विषय को पढ़ाएंगे लेकिन संस्कृत के विद्यार्थियों को पुरोहित की शिक्षा भी देंगे। आने वाले समय में संस्कृत के विद्यार्थियों का भी समायोजन हो सके, इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। हम आधुनिकता के विरोधी नहीं रहे। हमने आधुनिकता को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य में बहुत कुछ है। अगर उस ओर ध्यान दिया होता तो संस्कृत को उपेक्षा का सामना न करना पड़ता। पाठ्यक्रम ऐसा बने कि हम अपनी परंपराओं से वंचित न हों और आधुनिकता का समागम भी हो। हम संस्कृत के पाठ्यक्रम को कंप्यूटर, गणित, विज्ञान व दुनिया की तमाम भाषाओं से जोडऩे का कार्य करेंगे ताकि लोग देववाणी के माध्यम से तमाम चीजों को जान सकें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में भी एक वर्ष में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। जितनी तेजी से परिवर्तन उत्तर प्रदेश में हुआ है, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। हमने कम कीमत में पुस्तकों की उपलब्धता, समय पर परीक्षा कराना व शिक्षकों की कमी को दूर करने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया। इसके साथ ही कंप्यूटर, गणित व अंग्रेजी के शिक्षक देने की कार्रवाई तेजी से हुई है। प्रदेश में पठन-पाठन का बेहतर का माहौल बने, यह हमारी प्राथमिकता है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रिजल्ट में देरी से तमाम बच्चे प्रवेश से वंचित हो जाते थे। हमने नकलविहीन परीक्षा तो कराई ही, शिक्षकों की कमी भी नहीं होने दी। इसके साथ ही रिटायर्ड शिक्षकों की सेवा लेकर पठन-पाठन को पटरी पर लाया गया। नकलविहीन परीक्षा के बाद पहली बार हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परिणाम एक ही दिन में आ गए। यह परिवर्तन करके दिखाया गया। पहले परीक्षा में दो महीने व रिजल्ट में एक महीने लगते थे। नकल के ठेके होते थे। प्रतिभा के साथ खिलवाड़ होता था। अब तो प्रदेश में जब शिक्षा विभाग ने ठाना कि मेधावियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए तो नकलविहीन परीक्षा कराके दिखा दिया गया। इसके साथ ही प्रदेश में संस्कृत माध्यमिक शिक्षा परिषद के गठन का मामला 2001 से लंबित था। इसका गठन करने में 17 वर्ष लग गए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा के मेधावी विद्यार्थियों को आज सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले 40 विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले 10 विद्यार्थियों को सम्मान स्वरूप एक-एक लाख रुपये, टैबलेट, मेडल व प्रशस्ति पत्र और शेष मेधावी विद्यार्थियों को 21-21 हजार रुपये, टैबलेट, मेडल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा व शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह भी मौजूद थे।  


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