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भ्रष्टाचार पर सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रहार, प्रमुख सचिव वन,PCCF तथा डीजी होमगार्ड को हटाया

सोनभद्र नरसंहार के बाद से वन विभाग की कार्यशैली का मामला सामने आने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में काफी छानबीन हो रही थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 07:23 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 09:29 PM (IST)
भ्रष्टाचार पर सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रहार, प्रमुख सचिव वन,PCCF तथा डीजी होमगार्ड को हटाया
भ्रष्टाचार पर सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रहार, प्रमुख सचिव वन,PCCF तथा डीजी होमगार्ड को हटाया

लखनऊ, जेएनएन। भ्रष्टाचार पर लगातार हमला कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ के रडार पर मंगलवार को वन विभाग तथा होमगार्ड विभाग रहे। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव वन तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक के साथ ही महानिदेशक होमगार्ड पर गाज गिरी है।

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर बड़ा प्रहार करते हुए मंगलवार को दो मामलों के सख्त कार्यवाही की है। सोनभद्र नरसंहार के बाद से वन विभाग की कार्यशैली का मामला सामने आने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में काफी छानबीन हो रही थी। मामला पकड़ में आने के बाद ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार पर गाज गिरनी तय थी। नवंबर से ही पवन कुमार के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आज उनको पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। इनके साथ ही प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी को भी प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है। वन विभाग पर जेपी ग्रुप को नियम के खिलाफ सोनभद्र में जमीन आवंटित करने का मामला तूल पकड़ गया है। प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी तथा प्रमुख मुख्य वन संरक्षक पवन कुमार के बाद अब विभाग के कई बड़े अधिकारियों पर आगे भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।

सोनभद्र में जेपी ग्रुप को वन भूमि आवंटन के मामले में हुए भ्रष्टाचार के मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) एवं विभागाध्यक्ष पवन कुमार को हटा दिया है। पवन कुमार को अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की रिपोर्ट आने के बाद पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाला गया है। वहीं, पवन कुमार को बचाने के आरोप में प्रमुख सचिव वन कल्पना अवस्थी को भी मुख्यमंत्री ने हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया है। सरकार ने सुधीर गर्ग को प्रमुख सचिव वन का अतिरिक्त चार्ज दिया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीसीसीएफ पवन कुमार के भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए पद से हटाने व विस्तृत जांच के आदेश चार नवंबर को ही दे दिए थे। सीएम के स्पष्ट आदेश के बावजूद वन विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी ने पवन कुमार को पद से हटाने के आदेश नहीं जारी किए। उन्होंने फाइल पुनर्विचार के लिए वन मंत्री दारा सिंह चौहान के माध्यम से मुख्यमंत्री के पास दोबारा भेज दी थी। इसमें उन्होंने कहा कि चूंकि सोनभद्र में जमीन आवंटन मामले की जांच अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार कर रही हैं, इसलिए उनकी रिपोर्ट का इंतजार कर लिया जाए। 

मुख्यमंत्री योगी कल्पना अवस्थी के इस रवैये से नाराज थे। इधर, अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने 29 नवंबर को मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इस जांच रिपोर्ट में उन्होंने जेपी को वन भूमि आवंटित करने के मामले में वन विभाग के उस समय के अफसरों को जिम्मेदार माना है। इसमें अफसरों ने हर स्तर पर नियमों की अनदेखी की है। रिपोर्ट मिलते ही मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पीसीसीएफ पवन कुमार को पद से हटा दिया। साथ ही प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी को भी प्रतीक्षा सूची में डाल दिया।  

राजीव गर्ग को मिला चार्ज

मुख्यमंत्री ने पवन कुमार को हटाकर पीसीसीएफ एवं विभागाध्यक्ष का चार्ज सबसे वरिष्ठ आइएफएस अफसर को देने के निर्देश दिए हैं। इसी के बाद 1984 बैच के राजीव कुमार गर्ग ने मंगलवार की शाम यह पद संभाल लिया। 

क्या है जमीन आवंटन का मामला

सोनभद्र में जेपी ग्रुप को जमीन आवंटित करने के मामले में पवन कुमार की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है। जेपी ग्रुप ने सोनभद्र में अपना प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदी तो उसमें वन भूमि दे दी गई। मायावती सरकार के समय यह निर्णय तब हुआ जब पवन कुमार शासन में सचिव वन थे। उस समय सोनभद्र के डीएफओ ने वन विभाग की जमीन आवंटित करने से इनकार कर दिया था। डीएफओ की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए पवन कुमार ने जेपी ग्रुप को वन भूमि  आवंटित कर दी थी। हालांकि बाद में अखिलेश सरकार के समय एनजीटी की सख्ती के कारण कैबिनेट बाई सर्कुलेशन में जमीन आवंटन का फैसला वापस लिया गया था।

गैर वन भूमि दिखाकर किया गया था आवंटन

रेणुका कुमार की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि सोनभद्र में जेपी को जो जमीन दी गई उसे गैर वन भूमि दिखाया गया। सोनभद्र के पांच गांव कोटा, पडर, पनारी, मरकुंडी व मकरिबारी की जमीन देने के लिए इसे वन अधिनियम की धारा चार से अलग दिखाया गया। दरअसल, इस धारा के रहते किसी को जमीन नहीं दी जा सकती है। इसके लिए पहले केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। साथ ही इतनी ही जमीन पर पौधारोपण करना होता है। इस जमीन पर बसे वनवासियों को दूसरे स्थान पर बसाना होता है। 

होमगार्ड विभाग में बड़ा घोटाला 

उत्तर प्रदेश में होमगार्ड विभाग में बड़ा घोटाला सामने आने के बाद विभाग चर्चा में है। फर्जी ड्यूटी दिखाकर कई करोड़ का गोलमाल करने के मामले में आधा दर्जन अधिकारियों को निलंबित करने के बाद मंगलवार को बड़ा एक्शन हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर होमगार्ड के महानिदेशक गोपाल लाल (जीएल) मीणा को पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाला गया है। होमगार्ड विभाग में ड्यूटी घोटाले के चलते डीजी होमगार्ड जीएल मीणा को हटाया गया। डीजी जेल आनन्द कुमार को डीजी होमगार्ड का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। 

होमगार्डों की फर्जी ड्यूटी दिखाकर घोटाले के मामले में आखिरकार शीर्ष स्तर तक कार्रवाई की आंच पहुंची है। शासन ने डीजी होमगार्ड गोपाल लाल मीणा को हटा दिया है। उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। डीजी जेल आनंद कुमार को डीजी होमगार्ड का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। होमगार्ड ड्यूटी घोटाले में नोएडा व लखनऊ में एफआइआर दर्ज कराए जाने के साथ ही कई जिलों में जांच चल रही है। नोएडा व लखनऊ के जिला कमांडेंट समेत होमगार्ड के आठ अधिकारियों व कर्मियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। 


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