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सीएम योगी आदित्यनाथ और मुख्तार अंसारी की अदावत 16 साल पुरानी, जानें- क्यों खौफ में माफिया

यूपी के मऊ में वर्ष 2005 दंगे हुए थे। उस समय मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाले इलाकों में घूम रहा था। उस पर दंगे भड़काने का आरोप था। तब योगी आदित्‍यनाथ गोरखुपर से सांसद हुआ करते थे। उस समय योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 05:01 PM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 07:08 AM (IST)
सीएम योगी आदित्यनाथ और मुख्तार अंसारी की अदावत 16 साल पुरानी, जानें- क्यों खौफ में माफिया
सीएम योगी आदित्यनाथ और माफिया मुख्तार अंसारी की दुश्मवी 16 साल पुरानी है।

लखनऊ, जेएनएन। लोगों को आज भी याद है जब माफिया मुख्तार अंसारी का काफिला सड़क से गुजरता था तो किसी की मजाल जो उनके कारंवा के बीच आ जाए। एक लाइन से 786 नंबर की 20 से 30 एसयूवी गुजरती थीं। मुख्‍तार अंसारी जब चलता था तो बॉडीगार्ड और अपने गैंग के बीच सबसे लंबा दिख जाता था, लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि वह व्‍हीलचेयर पर आ चुका है। अब माफिया मुख्तार अंसारी यूपी की जेल में पहुंच चुका है। मुख्तार अंसारी भी इस बात को भली भंती जानता है कि बांदा जेल में उसकी डगर कठिन होगी क्‍योंकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उसके हर अपराध का हिसाब लेने वाली है। कुछ हिसाब सीएम योगी आदित्यनाथ के व्‍यक्तिगत दुश्‍मनी के भी हैं।

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उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में वर्ष 2005 दंगे हुए थे। उस समय मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाले इलाकों में घूम रहा था। उस पर दंगे भड़काने का आरोप भी लगा था। तब योगी आदित्‍यनाथ गोरखुपर से सांसद हुआ करते थे। उस समय योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी और कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को इंसाफ दिला के रहेंगे। वह गोरखपुर से मऊ के लिए निकल भी पड़े थे, लेकिन तब न तो यूपी में बीजेपी की सरकार थी और न ही कोई पैठ, तो योगी आदित्‍यनाथ को दोहरीघाट में ही रोक दिया गया था।

2008 में योगी आदित्‍यनाथ ने फिर मुख्‍तार को ललकारा : मऊ दंगों के तीन साल बाद यानी वर्ष 2008 में योगी आदित्‍यनाथ ने मुख्‍तार अंसारी को फिर ललकारा था। योगी आदित्‍यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में ऐलान किया कि वह आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे। तय तारीख के अनुसार सात सितंबर, 2008 को डीएवी डिग्री कॉलेज के मैदान में रैली का आयोजन किया गया। इसमें मुख्‍य वक्‍ता योगी आदित्‍यनाथ थे। रैली की सुबह, गोरखनाथ मंदिर से करीब 40 वाहनों का काफिला निकला। उन्हें आजमगढ़ में विरोध की पहले से ही आशंका थी, इसलिए योगी आदित्यनाथ की टीम पहले से ही तैयार थी।

योगी आदित्‍यनाथ की गाड़ी पर हमला : योगी आदित्यनाथ का काफिला जब निकला तो सैकड़ों गाड़ियां पीछे थीं। कई सौ मोटरसाइकिलें भी योगी-योगी के नारे लगा रहे थे। योगी आदित्यनाथ काफिले में सातवें नंबर की लाल एसयूवी में बैठे थे। तभी एक पत्थर उनकी गाड़ी पर आकर लगा। योगी के काफिले पर हमला हो चुका था। हमला सुनियोजित था। उस वक्‍त योगी ने ये सकेंत दे दिया कि हमला मुख्‍तार अंसारी ने करवाया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि काफिले पर लगातार एक पक्ष से गोलियां चल रही थी, गाड़ियों को तोड़ा जा रहा था पुलिस मौन बनी रही।

उसी समय योगी ने कही थी बदले की बात : योगी आदित्‍यनाथ ने उसी समय कहा था कि हम इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे, जिसने भी गोली मारी है अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी तो गोली मारने वालों को उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा। आजमगढ़ हमले में कुछ लोगों ने मुख्तार अंसारी का हाथ होने का भी आरोप लगाया था, हालांकि यह सिर्फ आरोप था, इसकी पुष्टि कभी नहीं हुई।

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