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बादलों ने बिगाड़ी हवा की सेहत, लखनऊ में छाई धुंध- हालात दिल्ली से भी ज्यादा खराब Lucknow News

लखनऊ में 78 अंकों के उछाल के साथ 272 पर पहुंचा एक्यूआइ लुढ़ककर 29.5 डिग्री पर पहुंचा पारा।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 10:15 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 04:03 PM (IST)
बादलों ने बिगाड़ी हवा की सेहत, लखनऊ में छाई धुंध- हालात दिल्ली से भी ज्यादा खराब Lucknow News
बादलों ने बिगाड़ी हवा की सेहत, लखनऊ में छाई धुंध- हालात दिल्ली से भी ज्यादा खराब Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। शहर में रविवार को दिनभर छाई रही बदली ने हवा की सेहत बिगाड़ दी है। वातावरण में मौजूद प्रदूषण और नमी के चलते ऊपर नहीं जा सका। ऐसे में राजधानी का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) गड़बड़ा गया। इस मामले में मुजफ्फरनगर टॉप पर रहा।

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राजधानी में रविवार को सुबह से ही बादल छाए रहे। वहीं, पूर्वी हवा ने आद्र्रता बढ़ा दी। ऐसे में जहां शहर का अधिकतम तापमान लुढ़ककर 29.5 डिग्री पर पहुंच गया, वहीं न्यूनतम तापमान 23.4 रहा। इससे पहले शनिवार को अधिकतम तापमान 30.3 डिग्री दर्ज किया गया था। साथ ही आसमान में धुंध छा गई। 

312 एक्यूआइ के साथ मुजफ्फरनगर देश में अव्वल

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी इंडेक्स में मुजफ्फरनगर का एक्यूआइ रविवार को 312 रहा, जोकि देश में सर्वाधिक है। वहीं, लखनऊ का एक्यूआइ 272 रिकॉर्ड किया गया, जोकि दिल्ली के एक्यूआइ 238 से काफी अधिक रहा। इससे पहले शनिवार को लखनऊ में एक्यूआइ 204 दर्ज किया गया था। ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली से अधिक यूपी की राजधानी में धुंध का प्रकोप रहा। इसके अलावा करनाल का एक्यूआइ 308, यमुनानगर का एक्यूआइ 305, मुरादाबाद का एक्यूआइ 303 रहा। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा का एक्यूआइ 254, गाजियाबाद का 269, बागपत का 225 रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के मुताबिक सोमवार को भी बादलों की आवाजाही रहेगी।

शहर के डिस्प्ले में 334 एक्यूआइ

सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड ने शहर का एक्यूआइ 272 बताया। वहीं, राजधानी में फन सिनेमा के पास लगे डिस्प्ले बोर्ड में सुबह 9:28 पर 334 एक्यूआइ शो कर रहा था।

खोखली तैयारियों की खुली पोल

धुंध ने कागजी तैयारियों को एक बार फिर धता बता दिया। यह हाल तब है, जब चार अक्टूबर को मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने उच्चस्तरीय बैठक कर धुंध से निपटने के लिए 17 विभागों को अलर्ट किया था। साथ ही गत वर्ष की नवंबर व दिसंबर में हुई भयावह स्थिति के बारे में भी बताया था। गत वर्ष 20 अक्टूबर 2018 को एयर क्वालिटी इंडेक्स 236 ही रहा था। मगर, अन्य दिनों में स्थिति खराब रही। 

कमेटियां नहीं शुरू कर पा रहीं काम

प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए मंडलायुक्त द्वारा चार कमेटियां गठित की गई हैं। इसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने अभी तक अपना काम शुरू भी नहीं कर सके हैं। वहीं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा पिछले एक सप्ताह से अकेले ही निर्माण स्थलों का निरीक्षण किया जा रहा है। इसमें चार प्लाईवुड इंडस्ट्री पर पर्यावरणीय हर्जाना भी लगाया गया है। इसके अलावा दर्जनों निर्माण स्थलों को नोटिस जारी किया गया है। बोर्ड यह कार्रवाई वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण एक्ट के तहत कर रहा है, लेकिन एलडीए व नगर निगम बेफिक्र हैं। 

रोड काटकर छोड़ी, उड़ रही धूल

शहर में हर तरफ नगर निगम, जल निगम, निजी संस्थाओं द्वारा रोड कटिंग और खुदाई कराई जा रही है। कहीं पर भी वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपाय नहीं किए जा रहे हैं। लिंब सेंटर से क्लाक्र्स अवध तक सड़क खुदी है। वहीं, अलीगंज, नाका, निराला नगर, जानकीपुरम, डालीगंज, मानसरोवर कॉलोनी में कहीं सड़क खुदी पड़ी है तो कहीं सड़कों पर पड़ी निर्माण सामग्री धूल का सबब बनी हुई है। उधर, फुटपाथ बनाने तो कहीं केबल डालने का काम जोर-शोर से चालू है। हुसैनगंज से ऐशबाग फ्लाईओवर तक सड़क उधड़ी पड़ी है। न तो यहां सड़क को चलने लायक बनाया गया और न ही मिट्टी समेटने और पानी छिड़कने का ही काम किया गया। 

इन्हें जारी किया नोटिस

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम को शुक्रवार को नोटिस जारी किया है कि गोमती नगर रेलवे स्टेशन में किए जा रहे रेलवे ट्रैक के विस्तारीकरण के कार्य के चलते रोड़ी, मिट्टी खुले में पड़ी है। बोर्ड अधिकारियों ने स्टेशन मास्टर पीके मिश्रा के साथ स्थलीय निरीक्षण किया था। बोर्ड द्वारा खुले में पड़ी निर्माण सामग्री के लिए एक सप्ताह का समय देते हुए आदेश दिए है कि मंत्री आवास रोड से रेलवे ट्रैक तक जाने वाली अस्थाई सड़क, जिसे निर्माण सामग्री लाने-ले जाने के लिए प्रयोग किया जाता है। पानी का छिड़काव किया जाए, जिससे धूल न उड़े। ग्रीन जाली और दस दिन के अंदर पीटी जेड कैमरा स्थापित किया जाए और उसका यूआरएल आइडी बोर्ड को भेजा जाए। कहा गया है कि यदि एक सप्ताह में अनुपालन नहीं किया गया तो प्रतिदिन 23 हजार 437 रुपये पचास पैसे के हिसाब से पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी।


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