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फिर से खामोश हो गई घंटों की आवाज, थम गई घंटाघर की घड़ी Lucknow News

पुराने लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी बंद हुई। कई दिनों से घंटों की आवाज आसपास के इलाकों में आवाज नहीं सुनाई।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 05:30 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 02:29 PM (IST)
फिर से खामोश हो गई घंटों की आवाज, थम गई घंटाघर की घड़ी Lucknow News
फिर से खामोश हो गई घंटों की आवाज, थम गई घंटाघर की घड़ी Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन।  ऐतिहासिक घंटाघर के घड़ी की सुइयां फिर से ठहर गई हैं। कई दिनों से घंटों की आवाज हुसैनाबाद सहित आसपास के इलाकों में नहीं सुनाई दे रही। शाम सात बजे घड़ी बारह बजा रही है। लाखों रुपये खर्च कर वर्षो बाद शुरू हुई घड़ी की आवाज एक बार फिर से खामोश हो चुकी है।

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रखरखाव की कमी कहें या हुसैनाबाद ट्रस्ट के कर्मचारियों की लापरवाही। वर्ष 2012 के बाद जब से हुसैनाबाद के ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी की मरम्मत हुई है, तब से कुछ-कुछ महीने पर घंटाघर की घड़ी बंद हो जाती है। जबकि चाबी भरने के लिए ट्रस्ट ने अलग से कर्मचारी भी रखा है। एक बार चाबी भरने पर घड़ी एक सप्ताह तक चलती है। पर फिर भी घड़ी की सुइयां थम जाती हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कई बार शिकायतें मिलने के बाद भी ट्रस्ट की ओर से अब तक कोई मुकम्मल बंदोबस्त नहीं किया गया।

इस संबंध में हुसैनाबाद ट्रस्ट के सचिव व एडीएम पश्चिम संतोष कुमार वैश्य का कहना है कि घंटाघर की घड़ी में कोई खराबी नहीं है। चाबी न भरने की वजह से घड़ी बंद हो गई होगी। घड़ी की देखरेख व चाबी भरने का काम एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। इसलिए ट्रस्ट ने चाबी भरने के लिए अलग से एक व्यक्ति भी रखा है। मामले की जानकारी कर उचित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही चाबी भरवाकर घड़ी को फिर से शुरू कराया जाएगा।

बिग बेन क्लॉक की झलक

घंटाघर में लगी नायाब घड़ी ब्रिटेन की फर्म जेडब्ल्यू बेसन द्वारा बनाई गई विश्व की तीन महान घड़ियों में से एक है। गन मेटल की बनी यह घड़ी उस समय 26,900 रुपये में बनकर तैयार हुई थी। लंदन के बिग बेन क्लॉक की तर्ज पर इसका निर्माण कराया गया था, कहा जाता है कि इस घंटाघर के पहिए बिग बेन से ज्यादा बड़े हैं। चौदह फीट लंबा और डेढ़ इंच मोटा पेंडुलम लंदन की वेस्टमिनस्टर क्लॉक की तुलना में बड़ा है। इसमें घंटे के करीब फूलों की पंखुडियों के आकार पर बेल्स लगी हुई है, जो हर एक घंटे बाद बजती है। घड़ी के घंटों की आवाज दूर तक सुनाई देती है। इसमें पांच घंटे लगे हैं। वर्ष 1984 में खराब हो गई थी, जिसे करीब 28 वर्ष बाद लाखों रुपये खर्च कर 2012 में दोबारा शुरू कराया गया था।


देश का सबसे ऊंचा घंटाघर

हुसैनाबाद का ऐतिहासिक घंटाघर देश का सबसे ऊंचा घंटाघर है। यह घंटाघर न केवल शहर, बल्कि विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। यह ब्रिटिश वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। अवध के नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने वर्ष1882 से 1887 के बीच संयुक्त अवध प्रांत के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर सर जार्ज कूपर के आगमन पर घंटाघर का निर्माण कराया था। घंटाघर की कुल ऊंचाई 221 फीट है। ब्रिटिश आर्किटेक्ट रासकेल पायने ने नक्शा तैयार किया था।


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