Move to Jagran APP

Lucknow University Centenary Year Celebration: सात समुंदर पार के लोग जुड़े, मगर दूर रहे अपने ही शहर के कॉलेज

केकेसी केकेवी शिया डीएवी विद्यांत क्रिश्चियन आईटी कॉलेज महिला कालीचरण की भागदारी नहीं। केवल विज्ञान महोत्सव में कुछ निजी कॉलेज और चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय का जुड़ाव रहा जबकि इनके अलावा कहीं भी राजधानी के कॉलेजों को इस आयोजन में नहीं जोड़ा गया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 06:00 AM (IST)
Lucknow University Centenary Year Celebration: सात समुंदर पार के लोग जुड़े, मगर दूर रहे अपने ही शहर के कॉलेज
लविवि 100 वें स्थापना दिवस समारोह के आयोजन में शहर के कॉलेजों की सहभागिता रही न के बराबर।

लखनऊ, जेएनएन। लविवि 100 वें स्थापना दिवस समारोह के आयोजन में सात समुंदर पार के लोग जुड़े। कोई वर्चुअल तो कोई यहां पर आया मगर अपने ही शहर के कॉलेजों की सहभागिता न के बराबर रही। केवल विज्ञान महोत्सव में कुछ निजी कॉलेज और चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय का जुड़ाव रहा जबकि इनके अलावा कहीं भी राजधानी के कॉलेजों को इस आयोजन में नहीं जोड़ा गया। जिससे 100 वें वर्ष की भव्यता में कुछ कमी जरूर रह गई। शैक्षणिक क्षेत्र में राजधानी के कॉलेजों का भी कम योगदान नहीं रहा है।

loksabha election banner

केकेसी, केकेवी, शिया, डीएवी, विद्यांत, क्रिश्चियन, आईटी कॉलेज, महिला, कालीचरण, सुन्नी कॉलेज जैसे ही राजधानी के करीब दो दर्जन महाविद्यालय हैं, ये सभी कॉलेज लविवि से संबद्ध हैं। करीब 25 प्रमुख कॉलेज राजधानी के हैं जबकि बाकी कुल 160 कॉलेज लविवि से एफिलिएटेड हैं। मगर 19 से 25 नवंबर तक आयोजित किए गए 100 वें स्थापना दिवस समारोह में इनकी कोई भागीदार आयोजन समिति ने नहीं की है। केवल विज्ञान महोत्सव में कुछ निजी विश्वविद्यालय जैसे इंटीग्रल और बख्शी का तालाब के चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय को आयोजन से जोड़ा गया था। इस बात का मलाल विभिन्न कॉलेजों के प्रबंधनों को रहा मगर लविवि के इस कुप्रबंधन की शिकायत किसी ने भी नहीं की है।

साहित्यिक और सांस्कृतिक उत्सव की तर्ज पर मनाया गया स्थापना दिवस

स्थापना दिवस समारोह को सात दिन तक एक साहित्यिक और सांस्कृतिक उत्सव की तरह मनाया गया। जिसमें कल्चर, लिटरेरी ईवेंट थे मगर कॉलेजों की भागीदारी नहीं की गई थी। ये बात दीगर है कि अनेक ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो पूर्व में अलग अलग कॉलेजों से जुड़े रहे मगर कॉलेजों के औपचारिक भागीदारी की कमी जरूर खलती रही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.