AICOG 2020 : गोलमटोल बच्चे तंदुरुस्ती नहीं बीमारी की निशानी, मधुमेह रोगी होने का खतरा
AICOG 2020 महिलाओं में पीसीओएसडी से बच्चों पर बीमारी का खतरा।
लखनऊ, जेएनएन। गोल मटोल जन्मे बच्चे को लेकर अधिक खुश न हों। कारण, यह तंदुरुस्ती के बजाए बीमारी की निशानी है। ऐसे बच्चों के जवानी के दिनों में डायबिटीज की गिरफ्त में आने का खतरा है। बच्चों में इस दिक्कत का कारण मां में पॉलिसिस्टिक ओबेरियन सिंड्रोम डिजीज (पीसीओएसडी) होना है।
एआइसीओजी की आयोजक सचिव डॉ. प्रीति कुमार ने कहा कि महिलाओं में पीसीओएसडी बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। इसमें महिला की ओवरी में पानी की छोटी-छोटी बूंदें इकट्ठा हो जाती हैं। ऐसे में महिला में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, की समस्या बढ़ जाती है। ये महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार हो जाती हैं।
दक्षिण भारत में 25 फीसद व यूपी में 15 फीसद महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार हो जाती हैं। इन महिलाओं में माइक्रो सोमिक बेबी के जन्म का ग्राफ बढ़ जाता है। इनका वजन सामान्य बच्चों के वजन (तीन से पांच किलोग्राम) से अधिक होता है। ऐसे बच्चों के जन्म के दौरान प्रसव की जटिलताएं बढ़ जाती हैं। वहीं बच्चों में भी 25 वर्ष की अवस्था में डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
बांझपन-गर्भपात का खतरा
डॉ. प्रीति कुमार के मुताबिक पीसीओएसडी से 15 से 20 फीसद महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं। वहीं 20 फीसद में गर्भपात की समस्या हो रही है। महिलाएं गले में कालापन आने पर सतर्क रहें। यह पीसीओएसडी का लक्षण है। वहीं गर्भधारण के वक्त व सात माह पर 75 ग्राम ग्लूकोज पीकर डायबिटीज की जांच कराएं। 140 से अधिक स्तर आने पर डॉक्टर की निगरानी में रहें।