इस वीकेंड लें फूलों का आनंद, NBRI में शनिवार से दो दिवसीय गुलदाउदी एवं कोलियस का शो Lucknow News
एनबीआरआइ लखनऊ में शनिवार से शुरू होगा दो दिवसीय गुलदाउदी एवं कोलियस शो।
लखनऊ, जेएनएन। चारों तरफ हरियाली के बीच मुस्कराते फूल मानों आपको हर दुख-दर्द भूलकर अपने साथ चहकने का आमंत्रण दे रहे हैं। वीकेंड हो और फूलों का साथ हो, भला कौन ऐसे मौके को हाथ से जाने देगा। आपको भी ऐसा मौका मिलने वाला है, जब आप ढेर सारे फूलों की खूबसूरती निहारकर उनसे बातें कर सकेंगे। ...तो तैयार हो जाइए इन खूबसूरत पलों को अपने जेहन और कैमरे में कैद करने के लिए, क्योंकि वीकेंड पुष्पप्रेमियों के लिए बेहद खास होने वाला है। सीएसआइआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) में शनिवार से दो दिवसीय गुलदाउदी एवं कोलियस शो की शुरुआत होने जा रही है। इस वार्षिक प्रदर्शनी की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। पुष्पप्रेमी गुलदाउदी की दर्जनों किस्मों के दीदार कर सकेंगे। रंग-बिरंगे फूलों से सजी बगिया में आप न केवल सेल्फी ले सकते हैं, बल्कि मनपसंद फूलों को करीब से निहार भी सकते हैं। ठंड के मौसम में खिले फूलों के साथ सजावटी पौधों और गमलों की रेंज आपके दिन को खुशनुमा बना सकती है। पुष्प प्रदर्शनी में क्या है खास, कैसे लगाएं फूल, पुष्पों एवं पौधों के औषधीय गुण और महत्व को बताती जागरण सिटी की रिपोर्ट...
जाड़े का मौसम और चटक रंग-बिरंगे फूलों का साथ पुष्प प्रेमियों को खासतौर पर रास आता है। यह वीकेंड ऐसे लोगों के लिए बेहद खास होने वाला है। एनबीआरआइ की ओर से आयोजित दो दिवसीय गुलदाउदी एवं कोलियस शो की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस प्रदर्शनी में पुष्प प्रेमी गुलदाउदी की दर्जनों किस्मों के दीदार कर सकेंगे। यहां एनबीआरआइ की ओर से विकसित किस्मों के साथ एकत्रित जर्मप्लाज्म (किस्मों) का भी प्रदर्शन करेगा। इसके अलावा बागवानी के शौकीन शहरी भी अपने-अपने पौधों को विभिन्न ट्रॉफी के लिए रखेंगे। एनबीआरआइ के वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक व गार्डन इंचार्ज डॉ.एसके तिवारी बताते हैं कि प्रतियोगी 23 रनिंग ट्रॉफी के लिए अपने फूलों पर दांव लगाएंगे। ट्रॉफी को पिछले विजेताओं के पास से वापस एकत्र करना कठिन कार्य था। इसमें बहुत समय व श्रम बर्बाद होता है। ट्रॉफी 30-40 साल पुरानी हो चुकी है। इसलिए इनका रखरखाव भी कठिन है। कई ट्रॉफी की लकड़ी गल चुकी है तो यह भी नहीं पता है कि आखिर रनिंग ट्रॉफी किसके नाम से दी जा रही है। इसलिए इस बार कुछ बदलाव किया जा रहा है। जिसके नाम से रनिंग ट्रॉफी चल रही है, उनसे कहा गया है कि वे या उनके परिवारीजन स्वयं समारोह में शामिल होकर ट्रॉफी वापस दें। पुष्प प्रदर्शनी का समापन रविवार को होगा। विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक विजेताओं को पुरस्कृत करेंगे।
शनिवार व रविवार को लगेगी प्रदर्शनी
दो दिवसीय पुष्प प्रदर्शनी का उद्घाटन शनिवार दोपहर दो बजे होगा। शाम पांच बजे तक लोग इसका आनंद ले सकते हैं। वहीं रविवार को को प्रात: 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक लोग फूलों का आनंद ले सकते हैं। विजेताओं को ट्रॉफी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा आप विजेताओं से फूलों को लगाने के गुर भी सीख सकेंगे।
आया दिलकश फूलों का मौसम
जाड़ा यानी चटक रंग के फूलों का मौसम। एक, दो, तीन नहीं बल्कि दर्जनों किस्म के फूल इस सीजन में गार्डन की रौनक बढ़ाते हैं। अच्छी बात यह है कि इन पौधों को लगाने के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास गार्डन उपलब्ध हो। आप गमलों में पौधे लगाकर पोर्च, बालकनी, छतों को गुलजार कर सकते हैं। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) के उद्यान प्रभारी डॉ.आर के रॉय बताते हैं कि यदि लॉन में पौधे लगाने हों और अधिक संख्या में पौधे चाहिए हों तो थालियों या क्यारी में बीज लगाकर पौधे तैयार करें। इसके लिए तीन हिस्सा मिट्टी, एक हिस्सा गोबर की खाद व एक हिस्सा नीम की खली का मिश्रण तैयार करें। इस मिश्रण को थालियों या क्यारी में भरकर बीज रोपें। तीन सप्ताह में पौधे तैयार हो जाएंगे इन पौधों को जहां लगाना हो वहां ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। यदि आपको कुछ पौधे चाहिए हों तो सीधे नर्सरी से लाकर पौधे लगा सकते हैं। शुरुआत में पौधों की सिंचाई सुबह-शाम करनी चाहिए। जब तापमान कुछ और कम हो जाए तो एक समय सिंचाई काफी होगी।
मन चाहे फूल लगाएं :
इस मौसम में लगभग 50-60 किस्म के फूल खिलते हैं। इन फूलों की विविधता देखने लायक होती है। चाहे रंग हों या खूबसूरत आकार, फूलों की छटा देखते ही बनती है।
लगाएं ये फूल :
फ्लाक्स, आइस फ्लावर, हेलीक्राइसम (पेपर फ्लावर), सेंटेरिया, गजेनिया, स्वीट पी, साल्विया, सिनरेरिया, पैंजी, बर्बिना, कैंडीटफ्ट, एंटीराइनम (डॉग फ्लावर), डायंथस, कार्नेशन, गेंदा, कॉसमॉस, पिटूनिया आदि।
गुलाब की करें कटिंग :
गुलाब की कटिंग करने का यह उपयुक्त समय है। कटिंग करके कटे हुए स्थान पर किसी भी फंटीसाइट जैसे बावस्टीन, कैपटन आदि का गाढ़ा पेस्ट लगा दें इससे कटे हुए स्थान से पौधा खराब नहीं होगा। इसके अलावा गुलाब की जड़ों से थोड़ी मिट्टी निकाल दें जिससे जड़ों को धूप लग जाए। तीन-चार दिन के बाद फिर खाद, मिट्टी व नीम की खली का मिश्रण मिलाकर भर दें। इससे फूल और बड़े आएंगे।
बताए जाएंगे औषधीय गुण
इस मौसम में फूलों और सजावटी पौधे लगाने को लेकर जागरूकता फैलाने की पहल राजकीय उद्यान आलमबाग में शुरू हुई है। यहां न केवल आपको पौधे मिलेंगे बल्कि उसे लगाने और देखभाल की जानकारी भी दी जाएगी। अधीक्षक डॉ. जयराज वर्मा ने बताया कि कुछ लोग पौधे ले तो जाते हैं, लेकिन सही तरीका पता न होने के कारण पौधे बढ़ नहीं पाते। ऐसे में यहां से पौधे लेकर जाने वालों को पौधरोपण की जानकारी के साथ ही देखभाल के बारे में भी बताया जाएगा। पौधरोपण से संबंधित सवाल पौधा लेने वाले स्थान पर मौजूद विशेषज्ञ से लिया जा सकता है। इसके साथ ही सुबह-शाम वॉकिंग करने वालों को भी स्लोगन के माध्यम से पौधरोपण की जानकारी दी जाएगी। राजकीय उद्यान में लोगों को पेड़ पौधों के महत्व को मान्यताओं के आधार पर भी बताया जा रहा है। उद्यान विशेषज्ञ बालीशरण चौधरी ने बताया कि पूजा-पाठ, रोग व खानपान, हर कहीं पौधों का प्रयोग होता है। मराठियों में हर वर्ष प्रतिपदा में कड़वी नीम की पत्ती खाने का रिवाज है, जिससे त्वचा और पेट संबंधी रोगों का खतरा कम हो जाता है। भारतीय समाज में तुलसी की पूजा का विशेष महत्व है। उत्तर से दक्षिण तक हर घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाया जाता है। मंदिर में पीपल का पेड़ लगा होता है, जिसके चारों ओर सात बार परिक्रमा करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के चारों ओर घूमने से रोग-दोष दूर होते हैं। इसके अनुसार दिन के हिसाब से भी पेड़ों की पूजा होती है। केले के पेड़ की पूजा गुरुवार को होती है, जबकि शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा होती है। आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु निवास करते हैं तो वट सावित्री के रूप में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। आम तो ङ्क्षहदू धर्म में हर पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
सप्ताह के हर दिन पेड़-पौधे की विशेषता
हिंंदू धर्म में सप्ताह के हर रोज किसी न किसी देवता की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए प्रिय चीजें उन्हें चढ़ाई जाती हैं। पं. जितेंद्र शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव को बेल पत्र, तो गणेश जी को दूर्वा, देवी मां को प्रसन्न करने के लिए लाल गुड़हल का फूल चढ़ाया जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल की पूजा की जाती है। सीता जी जिस पंचवटी में भगवान राम के साथ रही थीं, उसमें पांच वट यानी वृक्ष थे, जिनका ङ्क्षहदू धर्म में विशेष महत्व है।
नक्षत्र-नवग्रह वाटिका
आयुर्वेदिक और धार्मिक ग्रंथों में जिन 27 नक्षत्रों का नाम है, उनके साथ वृक्ष भी जुड़ा है। मान्यता है कि अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार इन पौधों को लगाने वाले का कल्याण होता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि नवग्रहों की शांति के लिए भी पेड़ उपयोगी हैं। मसलन सूर्य की शांति के लिए आक का पौधा लगाना चाहिए। चंद्र-ढाक, मंगल-खैर, बुध-चिचिड़ा, गुरु-पीपल, शुक्र-गूलर, शहन-शमी, राहु-दूब और केतु- कुश।
यहां से मिलता है पौधा
- राजकीय उद्यान, आलमबाग
- राजकीय उद्यान, अलीगंज
- मोती महल लॉन के पास
- आनंदनगर, आलमबाग
- निजी संस्थाओं द्वारा हर क्षेत्र में भी हरियाली के लिए पौधशालाएं हैं, जहां से पौधे खरीदे जा सकते हैं।