चाइनीज मांझे ने दस दिन में दो बार रोकी लखनऊ मेट्रो, जानिए क्या होता है खतरा
लखनऊ मेट्रो प्रशासन के लिए सिरदर्द बना चाइनीज मांझा सात से 16 सितंबर के बीच दो बार रुक चुकी है मेट्रो।
लखनऊ, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से चलने वाली मेट्रो की रफ्तार रास्ते में कहा धीमी हो जाए या फिर खड़ी हो जाए, कुछ नही कहां जा सकता? क्योंकि चाइनीज मांझे व तार को लेकर मेट्रो द्वारा किए गए अब तक के प्रयास विफल रहे हैं। लॉक डाउन के बाद से मेट्रो जब से चली है तब से दो बार रास्ते में खड़ी हो चुकी है। यह हाल तब है जब लखनऊ मेट्रो ने वर्ष 2019 में पांच एफआइआर चाइनीज मांझे व तार को लेकर सिंगार नगर, मानक नगर व हुसैनगंज थाने में दर्ज करा चुका है। इसके बाद भी चाइनीज तार व मांझे की बिक्री बदस्तूर जारी है।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि संचालन दस से पंद्रह मिनट बाधित होने के साथ ही मेट्रो को आर्थिक भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं एक मेट्रो खड़ी होने से अप व डाउन लाइन के बीच चलने वाली सभी सोलह मेट्रो को अलग अलग स्टेशनों पर रोकना पड़ता है। इसके कारण मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सात सितंबर से 13 सितंबर तक मेट्रो का संचालन सही चला, लेकिन 14 सितंबर को मवैया के पास मेट्रो का संचालन रुक गया, इसी तरह 15 सितंबर को भी दुर्गा पुरी स्टेशन के पास मेट्रो चाइनीज मांझे के कारण खड़ी हो गई। मेट्रो के विद्युत शाखा के अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो के ऊपर जो 25 हजार वोल्ट की ओवर हेड लाइन में कोई भी धातु संपर्क में आते ही लाइन ट्रिप हो जाती है। इससे मेट्रो जहां होती है वहीं खड़ी हो जाती है।दोबारा लाइन शुरू करने में दस से पंद्रह मिनट लगते हैं। सूत्रों के मुताबिक 16 सितंबर को भी केडी सिंह मेट्रो स्टेशन के पास मेट्रो की गति पतंग के कारण ही धीमी हुई, लेकिन संचालन से जुड़े अफसरों ने इसकी पुष्टि नहीं की।
इन स्टेशनों पर चाइनीज मांझा व तार फंसता है ज्यादा
नार्थ साउथ कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले सिंगार नगर, आलमबाग, आलमबाग बस अड्डा, मवैया, दुर्गापुरी व चारबाग के बाद विश्वविद्यालय, आइटी, बादशाहनगर, लेखराज व इंदिरा नगर स्टेशन हैं।
चाइनीज तार व मांझा क्या करता है नुकसान
- पतंग में बंधे मांझे व तार के साथ शॉर्ट सर्किट होता है और 25000 वोल्ट कैटेनरी तार टूट जाता है
- मेट्रो के ऊपर लगा ओवर हेड इलेक्ट्रिक वायर यानी ओएचई के संपर्क में आने से पूरी लाइन ट्रिप हो जाती है
- कभी-कभी ट्रेन की छत और चाइनीज तार व मांझे के बीच शॉर्ट सर्किट से मेट्रो की क्षत भी क्षतिग्रस्त हो जाती है
- पतंग का तार व मांझा ट्रेन की छत पर लगाए गए एसी में फंसने से एसी सिस्टम के लिए नुकसानदायक
- तार व मांझा मेट्रो के शुरुआती कोच के ऊपर लगे पैंटोग्राफ में उलझ जाते हैं, इससे भी मेट्रो खड़ी हो जाती है।
- एक बार लाइन ट्रिप होने पर मेट्रो संचालन शुरू करने में पंद्रह मिनट लग जाता है।