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राजधानी में शेल्टर होम से छुड़ाई गई 14 बच्चियां, एफआइआर दर्ज

बाल कल्याण समिति और पुलिस टीम ने की छापेमारी। बिना आदेश के मनीषा मंदिर में ठहराई गई थीं बालिकाएं। शौचालय की सफाई तक करायी जाती थी बच्चियों से।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 09:11 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:58 PM (IST)
राजधानी में शेल्टर होम से छुड़ाई गई 14 बच्चियां, एफआइआर दर्ज
राजधानी में शेल्टर होम से छुड़ाई गई 14 बच्चियां, एफआइआर दर्ज

लखनऊ(जेएनएन)। गोमतीनगर स्थित मनीषा मंदिर में यातना झेल रहीं 14 बालिकाओं के मामले में रविवार को एफआइआर दर्ज की गई। बाल कल्याण समिति और पुलिस टीम की संयुक्त छापेमारी में कई चौकाने वाले मामले उजागर हुए। गैर कानूनी ढंग से रखी गईं बच्चियों से खाना बनवाने से लेकर शौचालय तक साफ कराया जा रहा था। बालिकाओं ने समिति से गुरुवार को 'नर्क' से मुक्ति दिलाने की गुहार लगाई थी। दो दिन बाद शनिवार को समिति ने पुलिस टीम को साथ लेकर मनीषा मंदिर में छापेमारी की, जिसके बाद विरोध के बावजूद 14 बच्चियों को मुक्त कराया गया।

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न्यायालय बाल कल्याण समिति की सदस्य ने दावा किया कि मनीषा मंदिर के संचालकों ने बच्चों को रखने की कोई इजाजत नहीं ली थी। न्यायालय बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष की ओर से तीन पन्ने की रिपोर्ट गोमतीनगर पुलिस को सौंपी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चियों को बंधुआ मजदूरों की तरह रखा गया था। एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक जेजे एक्ट का उल्लंघन करने की एफआइआर दर्ज की गई है। इंस्पेक्टर गोमतीनगर डीपी तिवारी के मुताबिक समिति के अध्यक्ष कुलदीप रंजन की ओर से मनीषा मंदिर की संचालिका के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। तहरीर में बच्चियों से काम करवाने, बिना अनुमति के उन्हें रखने और उनका शोषण करने का आरोप है। कुलदीप रंजन ने जांच करने गईं समिति की सदस्य ऋचा खन्ना, सुधा रानी व डॉक्टर संगीता शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कराई है।

परिवारीजन से मिलने नहीं देते
न्यायालय बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि समिति के पदाधिकारी गुरुवार को मनीषा मंदिर पहुंचे थे। वहां बच्चियों से जब पूछताछ की गई तो सब रो पड़ीं। बालिकाओं ने कहा कि 'मैम, हम लोग शौचालय भी स्वयं साफ करते हैं और खुद ही भोजन बनाते हैं। बुखार व संक्रमण के बावजूद हम लोगों को एक साथ एक ही हाल में ठूंसकर रखा जाता है। परिवारीजन से मिलने तक नहीं दिया जाता है। विरोध पर धमकी दी जाती हैं।' पूरी बात सुनने के बाद समिति के सदस्य हैरान रह गए शुक्रवार को अवकाश के कारण इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

संस्थापिका ने किया विरोध
शनिवार को जिला बाल सरंक्षण इकाई की आसमां जुबैर की मौजूदगी में गोमतीनगर पुलिस के सहयोग से सभी 14 बालिकाओं को मुक्त करा लिया गया। इसके बाद उन्हें राजकीय बालगृह शिशु व बालिका में भेज दिया गया। इस दौरान मंदिर संस्थापिका सरोजिनी अग्रवाल ने विरोध भी किया। आठ बालिकाओं को प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह (शिशु) और छह बालिकाओं को राजकीय बालगृह (बालिका) मोतीनगर में स्थानांतरित किया गया है। छापेमारी में नीलिमा, संदीप, कुलदीप व सुधा समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

वसूलते थे चार हजार रुपये
न्यायालय बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि सभी बालिकाओं के अभिभावकों से भी बात की गई है। बच्चियों के अभिभावकों का आरोप है कि मंदिर में बालिकाओं को रखने के नाम पर चार हजार रुपये प्रति माह लिए जाते थे।

क्या बोलीं संस्थापिका ?
मनीषा मंदिर की संस्थापिका डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का कहना है कि न्यायालय बाल कल्याण समिति द्वारा जबरन बच्चों को ले जाया गया। यहां सभी बालिकाओं के रहने और भोजन की व्यवस्था दुरुस्त है। सरकारी अनुदान के बिना ये संस्था 35 वर्षो से चल रही है। रविवार को मंदिर का स्थापना दिवस है और सभी बालिकाओं को छात्रवृत्ति दी जानी थी, लेकिन समिति ने उनके भविष्य का ध्यान नहीं रखा।

समिति ने रिपोर्ट में इन बातों का किया जिक्र
संस्था में उपयुक्त स्टाफ नहीं है। संचालिका के निजी वाहन चालक और रसोइया को आश्रय गृह का स्टाफ बताया जाता है। बच्चियों के शारीरिक तकलीफों को निरंतर उपेक्षित किया गया। संस्था में उचित खाने, पीने, रहने कपड़े व चिकित्सा की व्यवस्था नहीं थी। अभिभावकों से न तो मिलने दिया जाता था और न ही मोबाइल फोन पर बात करने की अनुमति थी। बिना समिति के अनुमति के बच्चियों को रखना और उनके अभिभावकों से रुपये लेना। च्चियों को शारीरिक दंड का सामना करना पड़ता था। बच्चियों का आरोप है कि संचालिका खुद उन्हें डांटती और मारती थी। बच्चों ने समिति को बताया है कि उन्हें बासी खाना दिया जाता था। बच्चियों से कपड़े धुलवाए जाते थे। नवरात्र में बच्चियों को खाना खिलाने के लिए लोग आते थे और जो दक्षिणा बच्चियों को मिलता था, उसे संचालिका अपने पास रख लेती थी।
 

बालिकाओं ने बताई आपबीती
मनीषा मंदिर में मिल रही प्रताडऩा से निकली आठ बालिकाओं को प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह (शिशु) और छह बालिकाओं को राजकीय बालगृह (बालिका) मोतीनगर में स्थानांतरित किया गया है। रविवार को बालगृह की अधीक्षिकाओं द्वारा बालिकाओं की काउंसिलिंग की गई, लेकिन बालिकाओं ने क्या बताया? इस बारे में उन्होंने बताने से मना कर दिया। बालिकाओं से पूछताछ के बाद रिपोर्ट जिला प्रोबेशन अधिकारी को सौंपी जाएगी। सोमवार को पुलिस भी बालिकाओं के बयान दर्ज कर सकती है। न्यायालय बाल कल्याण समिति की सदस्य डॉ.संगीता शर्मा ने बताया कि  जांच के बाद सभी को उनके अभिभावकों के सिपुर्द कर दिया जाएगा।

दिवस पर पसरा रहा सन्नाटा
जिस मनीषा मंदिर के स्थापना दिवस पर वीआइपी की भीड़ जुटती थी उस मंदिर के स्थापना दिवस पर रविवार को सन्नाटा पसरा था। स्थापना दिवस पर 22 मेधावियों को छात्रवृत्ति वितरण समारोह में महिला कल्याण मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी को बतौर मुख्य अतिथि आना था, लेकिन वह भी समारोह में नहीं आईं। संस्थापिका डॉ.सरोजिनी अग्रवाल की ओर से छात्रवृत्ति वितरण किया गया।


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