कानपुर संवासिनी गृह प्रकरण में टिप्पणी पर बढ़ी प्रियंका की मुश्किलें, बाल संरक्षण आयोग का नोटिस
उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कानपुर बाल संरक्षण गृह मामले में प्रियंका वाड्रा की टिप्पणी को असत्य और भ्रामक बताते हुए नोटिस जारी किया है।
लखनऊ, जेएनएन। कानपुर बाल गृह (बालिका) में निरुद्ध संवासिनियों के कोरोना संक्रमित और कुछ के गर्भवती पाए जाने को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा द्वारा फेसबुक पर की गई टिप्पणी को उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Uttar Pradesh State Commission for Protection of Child Rights) ने असत्य और भ्रामक बताते हुए नोटिस जारी किया है। आयोग ने नोटिस जारी कर कहा है कि प्रथम दृष्टया यह जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन है। यदि प्रियंका वाड्रा ने तीन दिन में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट का खंडन नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता का कहना है कि कानपुर के स्वारूपनगर स्थित बालगृह (बालिका) में 171 बालिकाएं निरुद्ध हैं। इनमें से 63 नाबालिग बालिकाएं पॉक्सो एक्ट के तहत निरुद्ध हैं, जिन्हें पॉक्सो एक्ट के तहत कानपुर, एटा, आगरा, कन्नौज और फीरोजाबाद की बाल कल्याण समितियों ने विधिक रूप से जेजे एक्ट- 2015 और पॉक्सो एक्ट- 2012 के तहत विधिक कार्रवाई करते हुए सुरक्षा व संरक्षण के लिए बालगृह कानपुर में भेजा है।
डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार की छवि खराब करने के लिए भ्रामक और असत्य खबरों के माध्यम से इस घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। इसी क्रम में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी अपने आफिशियल फेसबुक पेज पर भ्रामक और तथ्यविहीन पोस्ट लिखी है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा की इस पोस्ट को आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत स्वत: संज्ञान में लिया है। निरीक्षण कर आयोग ने पाया कि यह पोस्ट पूरी तरह भ्रामक और तथ्यविहीन है। साथ ही सुनियोजित तरीके से नाबालिग बालिकाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने का कुत्सित प्रयास भी है। यदि प्रियंका वाड्रा ने तीन दिन में फेसबुक टिप्पणी के संबंध में खंडन नहीं किया तो बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी अपने आफिशियल फेसबुक पेज पर लिख है कि कानपुर के सरकारी बालगृह से 57 बच्चों की कोरोना जांच होने पर दो बच्चियां गर्भवती निकलीं और एक एड्स से पीड़ित है। उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा है कि मुजफ्फरपुर बिहार के बालिका गृह का पूरा किस्सा देश के सामने है। यूपी के देवरिया में पहले ही ऐसा मामला आ चुका है। ऐसे में फिर से इसी प्रकार की घटना का सामने आना दिखाता है कि जांचों के नाम पर सब कुछ कैसे दबा दिया जाता है। सकारी बालगृहों में बहुत अमानवीय घटनाएं हो रही हैं।
बता दें कि राजकीय बाल संरक्षण गृह कानपुर की सात गर्भवती किशोरियों में पांच कोरोना संक्रमित हैं। इन्हें आगरा, एटा, कन्नौज, फीरोजाबाद व कानपुर के बाल कल्याण समिति से संदर्भित कर रखा गया है। सभी यहां आने से पूर्व गर्भवती थीं। दो को हैलट को और तीन को रामा मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल में रखा गया है। हैलट में भर्ती एक को आठ माह और दूसरी को साढ़े आठ माह का गर्भ है। यहां जांच में एक एचआईवी संक्रमित पाई गई है, जबकि दूसरी को हेपेटाइटिस सी का संक्रमण है। दोनों किशोरियों की उम्र 17 वर्ष है, उन्हें एचआइवी और हेपेटाइटिस सी का संक्रमण होने से हाई रिस्क पर रखा गया है। जिलाधिकारी डॉ ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि बालिका संरक्षण ग्रह में कुल 57 बालिकाएं संक्रमित पाई गई हैं। 115 बालिकाओं व स्टाफ के 34 कर्मचारियों को क्वारंटाइन कराया गया है।