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अनिस्तारित शिकायतों के निस्तारण को मुख्यमंत्री योगी की टीम कर रही कमाल

इनमें से अधिकांश एसडीएम, कानूनगो, लेखपाल, और थानेदार के स्तर पर लंबित हैं। अनिस्तारित समस्याओं को बढ़ाने में इनका अहम योगदान है।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 16 Jan 2018 01:07 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 01:07 PM (IST)
अनिस्तारित शिकायतों के निस्तारण को मुख्यमंत्री योगी की टीम कर रही कमाल
अनिस्तारित शिकायतों के निस्तारण को मुख्यमंत्री योगी की टीम कर रही कमाल

लखनऊ (जेएनएन)। एंटी भू माफिया अभियान के बाद भी मुख्यमंत्री के 'जनसुनवाई पोर्टल पर आने वाली शिकायतों में से 70 फीसद भूमि विवाद से संबंधित हैं। इसमें पुलिस के पास आने वाली शिकायतों को जोड़ दें तो यह 90 फीसद हो जाती हैं। इनमें से अधिकांश एसडीएम, कानूनगो, लेखपाल, और थानेदार के स्तर पर लंबित हैं। अनिस्तारित समस्याओं को बढ़ाने में इनका अहम योगदान है। अब इन शिकायतों के निस्तारण के लिए सीएम की अलग टीम बनाई गई है।

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हाल के दिनों में से बहुतों की यह शिकायत रही है कि बिना निस्तारण के उनकी शिकायतों को निस्तारित दिखा दिया जाता है। इनमें से अधिकांश तहसील और थाने स्तर की ही होती हैं। ऐसी शिकायतों की निगरानी अब अलग टीम कर रही है। यह टीम संबंधित शिकायत के बाबत शिकायतकर्ता और संदर्भित अधिकारी से बात कर उसका हल निकलवाने का प्रयास करती है। खासकर जमीन के वेमामले जो राजस्व कोर्ट में हैं। इस प्रक्रिया के कारण शिकायतों की संख्या में कमी भी आई है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल की रोज की क्षमता करीब छह हजार शिकायतों को अटेंड करने की है। शुरू के दिनों में औसतन रोज 4500 शिकायतें आती थीं। कभी-कभार तो इनकी संख्या पांच हजार तक भी पहुंची है।

इनमें से करीब 20-25 फीसद समस्याएं ऐसी होती थीं जो पोर्टल पर तो निस्तारित दिखती हैं, पर शिकायतकर्ता निस्तारण से असंतुष्ट होकर दोबारा उनको पोर्टल पर डाल देता था। ऐसी शिकायतें बढऩे पर इनकी सुनवाई के लिए अलग से टीम बनाई गई। करीब आधा दर्जन लोग सिर्फ ऐसी ही समस्याओं की निगरानी करते हैं। टीम के लोग शिकायतकर्ता और जिस अधिकारी के पास शिकायत है उनसे संपर्क करते हैं। अगर समस्या हल होने वाली है तो उसे हल करने को कहा जाता है। अगर मामला सिविल कोर्ट में लंबित है तो शिकायतकर्ता से बता दिया जाता है कि उनकी समस्या का हल कोर्ट से ही होगा।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीएम खुद करते निस्तारण
मुख्यमंत्री भी समय-समय पर जिलाधिकारियों से वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के दौरान छोटी-छोटी समस्याओं के बारे में पूछते हैं। समस्याओं की संख्या और निस्तारण के स्तर पर संबंधित जिलाधिकारियों की रैकिंग भी होती है। इसीलिए मातहतों पर उनका भी भूमि संबंधी मामलों के निस्तारण का दबाव रहता है।

आधी हुई शिकायतों की संख्या
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस प्रयास का असर भी दिखने लगा है। शिकायतों की संख्या घटकर आधी हो गई हैं। रोज का औसत 4500 से घटकर 1900 तक आ गया है। इन सभी शिकायतों को उसी दिन संबंधित जिले के जिलाधिकारी को भेज दिया जाता है। हफ्ते भर में इनका निस्तारण कर आख्या देने का समय होता है। ऐसा न होने पर ये शिकायतें डिफाल्ट में चली जाती हैं, जिसका असर उस जिले के जिलाधिकारी की रैंकिंग पर पड़ता है।

11 लाख शिकायतों में सिर्फ 20 हजार लंबित
योगी सरकार बनने के बाद से अब तक करीब 11 लाख शिकायतें मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर आ चुकी हैं। इसमें से सिर्फ 20 हजार ही लंबित हैं। बाकी का निस्तारण हो चुका है। लंबित समस्याओं में से भी 10-15 फीसद भूमि विवाद से संबंधित हैं। 
 


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