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Lucknow University Centenary celebrations: सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, एक भारत श्रेष्ठ भारत में लव‍िव‍ि का व‍िशेष योगदान

उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि ये अवसर अविस्मणीय है। 100 साल में सैकड़ों मेधावी विद्यार्थी निकले हैं। मुख्यमन्त्री योगी आद‍ित्‍यनाथ का शिक्षा में लगाव रहा है। विश्वविद्यालय में जिस तरह की सहायता की जरूरत होती है वे करते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 11:44 AM (IST)
Lucknow University Centenary celebrations: सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, एक भारत श्रेष्ठ भारत में लव‍िव‍ि का व‍िशेष योगदान
लविवि के शताब्दी उत्सव समारोह में शिरकत करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा।

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ व‍िव‍ि की 100 वर्ष की शानदार यात्रा के लिए बधाई। 100 वर्ष की जीवंत यात्रा को अगले 100 साल तक कायम रखेंं। वास्तव में लविवि अपनी स्थापना 100 वर्ष होने के साथ ढेर सारी उप्लब्धि‍यांं लाया है। ये कोविड की चुनौती है। साथ ही नई शिक्षा नीति भी आई है। दोनों में से बहुत कुछ हम ले सकते हैं। सामान्य अवसर पर सब योग्यता प्रदर्शित कर सकता है। मगर चुनौती से तप कर ही सोना बनता है। कोविड काल में शिक्षा को आगे बढ़ाया जा रहा है। ये लविवि की उपलब्धि है। यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लखनऊ व‍िव‍ि के शताब्‍दी वर्ष समारोह के उदघाटन अवसर पर कहीं। इस दौरान उनके साथ उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा व कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय भी मौजूद थे।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, लोकल फ़ॉर वोकल को भी लविवि ने बढ़ावा दिया है। 100 साल की उपलब्धियां बहुत हैं। एक भारत श्रेष्ठ भारत को भी एलयू ने आगे बढ़ाया। इसने राष्ट्रपति दिए, न्यायमूूर्ति दिए, राजनेता, अफसर, आचार्य और वैज्ञानिक भी दिए हैं। बड़े व्यापारी भी दिए हैं। जब हम मूल्यांकन करेंगे तब एक-एक उपलब्धि दिखाई देगी। भारत मे ज्ञान की बात केवल परीक्षा पास करने तक नहींं है। हमारा उद्देश्य सा विद्या या विमुक्तकये है। नई शिक्षा नीति भी है। हम इस नीति पर चलेंगे तो हमारा कोई विद्यार्थी डिग्री पाने के बाद असहाय नहीं होगा। ये ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को साथ जोड़ना होगा। मैं देखता हूँ कि हमने संस्थान खोल दिये मगर उनको जनसरोकार से उनको दूर कर दिया। संस्थान का हिस्सा केवल छात्र या आचार्य ही नहीं होते हैं। अभिभावक और पूर्व छात्र बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हम ज्ञान को सीमित नहीं कर सकते हैं।

मैं बार कहता हूँ कि केवल संस्थान स्थापित करना काफी नहीं है। हम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लविवि ने सैनिटाइजर बनाना शुरू करें। सभी कालेज की लैब में ये काम हो सकता था। मगर बाकी लोग सरकार के भरोसे बैठे रहे। कोई भी समाज सरकार के आगे चलेगा तभी वह स्वाबलम्बी बनेगा। स्वाबलंबी समाज ही आत्मनिर्भर होगा। दुर्भागय से आजादी के बाद देश इसी हालात में रहा है। मगर प्रधनमंत्री मोदी ने देश को बदल दिया है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को शुरू किया है। उप्र सरकार ने काम शुरू किया है। हमने उप्र दिवस का कार्यक्रम 24 जनवरी को मनाया। प्रथम स्थापना दिवस 69 वर्ष के बाद मनाया गया। 2018 में हमने एक जनपद एक उत्पाद का कार्यक्रम शुरू किया। आज केंद्रीय बजट में इसको लागू किया गया। पूरे देश मे इसको लागू किया जा रहा है। यही आत्मनिर्भर भारत की नींव है। हर एक हाथ को काम मिलेगा। मैंने एक तकनीकी संस्थान के 20 विद्यार्थी बुलाए। वे स्टार्टअप शुरू करना चाहते थे। वे पूंजी चाहते थे। स्टार्टअप, स्टैंडअप और मुद्रा योजना की जानकारी उनको नहीं थी। क्या संस्थान इसकी जानकारी नहीं दी जाती है। इज़का परिणाम है जो नवाचार के जरिये स्वयं का काम करना चाहते थे वे वंचित हैं। उनको काम नहीं मिला है। हमको सोचना पड़ेगा। वोकल फ़ॉर लोकल होना पड़ेगा। हमने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट पर काम किया था। हर जिले की मैपिंग करवाई। हमारा हर जिला बहुत संपन्न है। हमारी पर कैपिटा इनकम देश से ज्यादा थी। मगर हम एक तिहाई तक आ गए। कहाँ कमी थी। यहां का ऊर्जावान युवा पलायन तभी करेगा जब हम स्थानीय उत्पाद को आगे नहीं बढाएंगे। भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो इसके लिए यूपी को आगे बढाना होगा।

स्वच्छ भारत अभियान में उप्र में ढाई करोड़ शौचालय बनाना था। पहले ढाई साल में मात्र 45 लाख बन सके थे। मगर बचे ढाई साल में हमने मंजिल प्राप्‍त की। हमने मिलकर अपनी प्रतिभा का उपयोग किया और इच्छाशक्ति हो तो कुछ हो सकता है। हमने अपने कार्यकाल में 2.61 करोड़ शौचालय बना लिए थे। हमारे संस्थानों को आगे आना होगा। सरोकारों से जुड़ना ही होगा। हम सामान्य नागरिक को उसके भरोसे न छोड़े। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रॉडक्ट पर सक्रिय हों और शासन की योजनओं की विद्यर्थियों को जानकारी दी जाए।

उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि ये अवसर अविस्मणीय है। 100 साल में सैकड़ों मेधावी विद्यार्थी निकले हैं। मुख्यमन्त्री योगी आद‍ित्‍यनाथ  का शिक्षा में लगाव रहा है। विश्वविद्यालय में जिस तरह की सहायता की जरूरत होती है वे करते हैं। वे कोविड काल मे लगे रहे। तमाम अवसरों पर उन्होंने ध्यान दिया है। यहां अनेक विद्वान आचार्य रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ स्थान पाया है। हम आज सबका उल्लेख करते हैं। यहां अनेक शोध हुए हैं। कई शोध पीठ का निर्माण किया गया है। सरकार लगातार धनराशि उपलब्ध करवा रही है। सेंटर आफ एक्सीलेंस के ढाई करोड़ से अधिक की धनराशि दी गई है। डिजिटल लाइब्रेरी में 11 हजार ई कंटेंट आए। डिजिटल लायब्रेरी में अनेक अहम लेक्चर निश्शुल्क उपलब्ध हैं। मेस के निर्माण के लिए तीन करोड़ रुपये दिए। आवासों के निर्माण के लिए भी बजट उपलब्ध करवाया गया।

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कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कहा कि ऐसा अवसर जीवन मे कभी कभी आता हैं ये हमारे ल‍ि‍ए गौरव का पल है। हम सबके लिए सीएम का आना भी गौरव है। उन्होंने यहां सहर्ष स्वीकार किया। जब भी लविवि को संकट हुआ उन्होंने मदद की। डॉ दिनेश शर्मा ने सेंटर आफ एक्सीलेंस में मदद की। मैं सभी का स्वागत करता हूँ। राय ने बताया कि लव‍िव‍ि नेअनेक उपलब्धियां प्राप्त की है। नई शिक्षा नीति के 60 फीसद प्राविधान का पालन करने वाला पहला विश्विद्यालय हैं। नया डिलिट् आर्डिनेंस और पीएचडी आर्डिनेंस का पालन किया है। विद्यार्थियों के लिए काम हो रहेे हैं। हमने फैकल्टी आफ योग और सेंटर आफ नैनो साइंस की स्थापना की है। आध्यातमिक विकास के लिए हैप्पी थिंकिंग लैब,इस्कॉन और ब्रह्मकुमारी से एमओयू किया। जिससे हम अपने दर्शन की ओर मोड़ा है। हमारे पास डिजिटल लर्निंग सिस्टम स्लेट है। जो कि ट्रेडमार्क वाला है। हमने अपना सैनिटाइजर और काढ़ा भी बनाया है। 


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