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राज्यपाल राम नाइक की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति अब सिंधी भाषा में भी

वीआइपी रोड स्थित विश्व शांति आश्रम में राज्यपाल की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति का सिंधी भाषा में विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और साईं चांडू राम साहिब जी की मौजूदगी में हुआ।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 08:52 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 08:52 AM (IST)
राज्यपाल राम नाइक की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति अब सिंधी भाषा में भी
राज्यपाल राम नाइक की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति अब सिंधी भाषा में भी

लखनऊ, जेएनएन। बढ़ते कदम ही दूरी कम करते हैं, जमीन पर भी उड़ान भरते हैं और जो कदम मंजिल पर जाकर थमते हैं वही इतिहास रचते हैं। जिंदगी के लंबे संघर्षकाल की ऐसी ही प्रेरणादायी हकीकत है चरैवेति-चरैवेति। जिसे संस्मरणों के जरिए लोगों तक पहुुंचाने का प्रयास किया है राज्यपाल राम नाइक ने। गुरुवार को जिंदगी से जुड़े कई अनुभवों के बीच पुस्तक का सिंधी भाषा में विमोचन हुआ। इस मौके पर राज्यपाल की पत्नी वृंदा नाइक और उनकी बेटियां भी मौजूद थीं। राज्यपाल ने कहा कि किताब नहीं पूरा जीवनचक्र है। प्रत्येक संस्मरण जिंदगी के संघर्ष की कहानी है जिससे कदम-कदम पर प्रेरणा मिलती है।

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हिंदी दैनिक में छपे थे संस्मरण

राज्यपाल ने कहा कि मेरे अलावा पूर्व सीएम शरद पवार, मनोहर जोशी और सुशील शिंदे ने एक हिंदी दैनिक में एक साथ कॉलम लिखना शुरू किया था। मेरे और शिंदे के कालम एक साथ प्रकाशित होते थे। एक दिन प्रकाशक ने मेरे संस्मरणों को किताब की शक्ल देने की गुजारिश की। मैं भी तैयार हो गया और इस तरह चरैवेति-चरैवेति सामने आ गई।

दस भाषाओं में है पुस्तक

चरैवेति-चरैवेति ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व मंत्री अंबार रिजवी ने कहा कि सिंधी भाषा के साथ ही चरैवेति-चरैवेति अब दस भाषाओं में पढऩे को मिल सकेगी। हमारी कोशिश है कि संविधान में जितनी भाषाएं हैं सभी भाषाओं में पुस्तक उपलब्ध हो।  इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधु और ङ्क्षहदू एक दूसरे के लिए हैं। दोनों सभ्यताएं एक दूसरे से और एक दूसरे के लिए हैं। 

अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक शब्द कमियां छिपाने के लिए बने : मुख्यमंत्री

मौका राज्यपाल राम नाइक की पुस्तक चरैवेति-चरैवेति के सिंधी भाषा के विमोचन का था लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यक-बहुसंख्यकों के नाम पर राजनीति करने वालों पर निशाना भी साधा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक शब्द लोगों ने अपनी कमियां छिपाने के लिए बनाए हैं। सिंधी समाज ने यह दिखा दिया है कि अगर पूरी ईमानदारी से परिश्रम किया जाए तो अल्प संख्यक शब्द के कोई मायने नहीं रह जाते। सीएम ने संघर्ष की मिसाल बताते हुए कहा कि आपके ही बीच से निकलकर आडवाणी देश के उपप्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। 

जन्मदिवस मानते थे स्थापना दिवस नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा से ही यूपी में 24 जनवरी को स्थापना दिवस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। यहां लोग अपना जन्मदिन तो मनाते लेकिन यूपी दिवस नहीं होता था। प्रयागराज कुंभ में अब तक करीब 21 करोड़ लोगों ने स्नान किया है। प्रदेश की आबादी के बराबर लोग कुंभ में स्नान कर चुके हैं।


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