Chandra Grahan 2020: गुरु पूर्णिमा के दिन होगा चंद्र ग्रहण, भारत में नहीं देगा दिखाई
भारतीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा और सुबह नौ बजकर 59 मिनट पर यह परमग्रास में होगा।
लखनऊ, जेएनएन। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पांच जुलाई को है। इसी दिन साल का तीसरा उपछाया चंद्र ग्रहण भी है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा और सुबह नौ बजकर 59 मिनट पर यह परमग्रास में होगा, जबकि ग्रहण का समापन दोपहर 11 बजकर 22 मिनट पर होगा।
5 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण, उपछाया चंद्र ग्रहण है। इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है जो एक अद्भुत संयोग बन रहा है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है अर्थात सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते है तो चंद्रग्रहण होता है, लेकिन जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में तो होती है परन्तु तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं तो उपछाया चंद्रग्रहण होता है।
चंद्रग्रहण का सूतक काल
ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. ऐसी स्थिति में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। मान्यता है कि चंद्रग्रहण लगाने के 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होता है, लेकिन यह चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण है इसलिए इसमें सूतक काल नहीं माना जायेगा। क्योंकि उपछाया चंद्रग्रहण में सूतक काल को मान्यता नहीं दी जाती है।
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि पूर्णिमा तिथि चार जुलाई को सुबह 11 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस दिन कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास का प्राकट्य हुआ था। उन्होंने चतुर्वेदों के अतिरिक्त 18 पुराणों, उपपुराणों, महाभारत, व्यास संहिता व अन्य ग्रंन्थों का प्रणयन किया। वेद व्यास जी को जगत गुरु भी कहते हैं। उनके पिता ऋषि पराशर और माता सत्यवती थी। इस दिन वेद व्यास, शंकराचार्य, ब्रह्मा जी की विशेष पूजा की जाती है। स्नान और पूजा से निवृत्त होकर उत्तम वस्त्र धारण करके गुरु को वस्त्र, फल, फूल, माला व दक्षिणा अर्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। यह गुरु की कृपा प्राप्त करने का विशिष्ट अवसर है। यह पर्व वैष्णव, शैव, शक्ति सहित सभी सम्प्रदायों में श्रद्धापूर्वक और उत्साह के साथ मनाया जाता है।